03) जूरी कोर्ट – थानों-अदालतों को सुधारने के लिए जूरी अदालतें

जूरी कोर्ट – थानों-अदालतों को सुधारने के लिए जूरी अदालतें

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( Jury Court – Proposed Notification to Enact Jury Courts in India )

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निचे दिया गया क़ानून थानों, अदालतों, स्कूलों, अस्पतालों, बैंक, मीडिया, एवं अन्य सरकारी विभागों का काम काज सुधारने के लिए लिखा गया है। इस कानून को लोकसभा और राज्यसभा से पास करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री अपने हस्ताक्षर करके इस अधिसूचना को सीधे गेजेट में छाप सकते है। #JuryCourt #VoteVapsiPassBook #RRP03

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यदि आप इस क़ानून का समर्थन करते है और देश में इसे लागू करना चाहते है तो पीएम को एक पोस्टकार्ड लिखें। पोस्टकार्ड में यह लिखे :

प्रधानमंत्री जी, कृपया प्रस्तावित जूरी कोर्ट के क़ानून को गेजेट में छापें — #JuryCourt #VoteVapsiPassBook

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भाग (I) : नागरिकों के लिए निर्देश :

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(01) यदि आपका नाम वोटर लिस्ट में है तो यह कानून पास होने के बाद आपको जूरी ड्यूटी के लिए बुलाया जा सकता है। जूरी ड्यूटी में आपको आरोपी, पीड़ित, गवाहों व दोनों पक्षों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत सबूत देखकर बहस सुननी होगी और सजा / जुर्माना या रिहाई का फैसला देना होगा। जूरी का चयन वोटर लिस्ट में से लॉटरी द्वारा किया जाएगा और मामले की गंभीरता देखते हुए जूरी मंडल में 15 से 1500 तक सदस्य होंगे। यदि आपका नाम लॉटरी में निकल आता है तो आपको निचे दिए अपराधो के मुकदमे सुनने के लिए बुलाया जा सकता है :


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1.1. हत्या, हत्या के प्रयास , मारपीट, हिंसा , अप्राकृतिक मानव मृत्यु , दलित उत्पीड़न, Sc-St Act के मामले ।

1.2. अपहरण , बलात्कार , छेड़छाड़ , कार्यस्थल पर उत्पीड़न , दहेज़ , घरेलू हिंसा , डिवोर्स , वैवाहिक झगड़े ।

1.3. सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रसारणों से सम्बंधित सभी मामले एवं सम्बंधित सभी आपत्तियां ।

1.4. किरायेदार-मकान मालिक विवाद, 2 करोड़ से कम मूल्य की सभी प्रकार की जमीन, प्रोपर्टी, सम्पत्तियों आदि के विवाद । मृत्यु भोज से सम्बंधित शिकायतें एवं आपत्तियां।

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(02) इस क़ानून के गेजेट में छपने के 30 दिनों के भीतर प्रत्येक मतदाता को एक वोट वापसी पासबुक मिलेगी। निम्नलिखित अधिकारी इस वोट वापसी पासबुक के दायरे में आयेंगे :

01. जिला पुलिस प्रमुख

02. जिला शिक्षा अधिकारी

03. जिला चिकित्सा अधिकारी

04. जिला जूरी प्रशासक

05. मिलावट रोक अधिकारी

06. DD चेयरमेन

07. RBI गवर्नर

08. CBI डायरेक्टर

09. BSNL चेयरमेन

10. सेंसर बोर्ड चेयरमेन

11. जिला जज

12. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश

13. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश

14. राष्ट्रिय जूरी प्रशासक

15. केन्द्रीय सूचना आयुक्त

तब यदि आप ऊपर दिए गए किसी अधिकारी के काम-काज से संतुष्ट नहीं है, और उसे निकालकर किसी अन्य व्यक्ति को लाना चाहते है तो पटवारी कार्यालय में जाकर स्वीकृति के रूप में अपनी हाँ दर्ज करवा सकते है। आप अपनी हाँ SMS, ATM या मोबाईल APP से भी दर्ज करवा सकेंगे। आप किसी भी दिन अपनी स्वीकृति दे सकते है, या अपनी स्वीकृति रद्द कर सकते है। आपकी स्वीकृति की एंट्री वोट वापसी पासबुक में आएगी। यह स्वीकृति आपका वोट नही है। बल्कि यह एक सुझाव है ।

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[ धारा 2 का स्पष्टीकरण : इस कानून में शुरूआती तौर पर सिर्फ कुछ सरल स्वभाव के अपराधों को शामिल किया गया है, ताकि विशिष्ट किस्म के बुद्धिजीवियों द्वारा दिए जा रहे इस तर्क को कि - आम भारतीय नागरिक ‘ऐसे वाले और वैसे वाले’ अपराधो की प्रकृति समझने की अक्ल नहीं रखते है , अत: उन्हें जूरी में आने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए - नागरिकों द्वारा एक सफ़ेद झूठ के रूप में ख़ारिज किया जा सके। बाद में प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री या मतदाता अन्य अपराधों एवं नागरिक विवादो के अन्य प्रकार भी इसमें जोड़ सकते है।

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इस तरह ये स्थापित किया जा सकेगा कि बुद्धिजीवियों का यह तर्क कि - आम भारतीय नागरिक ‘ऐसे वाले और वैसे वाले’ अपराधो को समझने की अक्ल नहीं रखते है - अधिकतम मतदाताओं द्वारा एक सफ़ेद झूठ के रूप में ख़ारिज किया जा चुका है। तब गोहत्या, भ्रष्टाचार, भाईभतीजा वाद, चोरी, धोखाधड़ी, चेक बाउंस, कर्ज ना चुकाना, किरायेदार-मकान मालिक विवाद, मजदूर-नियोक्ता विवाद, जमीन विक्रय के दस्तावेजों की जालसाजी आदि जैसे अपराध भी प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री / मतदाताओ द्वारा इस क़ानून में जोडे जा सकेंगे। ]

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(03) यदि आपका नाम वोटर लिस्ट में है और आप इस क़ानून की किसी धारा में कोई आंशिक या पूर्ण परिवर्तन चाहते है, तो अपने जिले के कलेक्टर कार्यालय में इस क़ानून के जनता की आवाज खंड की धारा (44.1) के तहत एक शपथपत्र प्रस्तुत कर सकते है। कलेक्टर 20 रू प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर आपके शपथपत्र को पीएम की वेबसाईट पर स्कैन करके रखेगा।

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(II) अधिकारियों के लिए निर्देश :

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(04) टिप्पणी : टिप्पणियाँ इस क़ानून का हिस्सा नहीं है। नागरिक व अधिकारी टिप्पणियों का इस्तेमाल दिशा निर्देशों के लिए कर सकते है। टिप्पणियाँ किसी भी अधिकारी , मंत्री या न्यायाधीश पर बाध्यकारी नहीं है ।

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(05) यह कानून आरोपी या पीड़ित की आयु की अवहेलना करते हुए निम्नलिखित मामलो पर लागू होगा :

5.1. हत्या, हत्या के प्रयास, दुर्घटना या लापरवाही जनित मानव मृत्यु या किसी भी प्रकार की अप्राकृतिक मानव मृत्यु।

5.2. ऐसे सभी अपराध जिसमे हिंसा, जान लेवा धमकी, दुर्घटना एवं ऐसी लापरवाही जिससे शरीर को क्षति कारित हो, या गंभीर चोट कारित होने की संभावना हो, दलित उत्पीड़न, Sc-St Act के मामले ।

5.3. अपहरण-बलात्कार-छेड़छाड़-उत्पीड़न , महिला का पीछा करना , दहेज़ , घरेलू हिंसा, डिवोर्स, वैवाहिक झगड़े।

5.4. सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रसारण जिनमें सभी प्रकार के दृश्य, श्रव्य, इलेक्ट्रोनिक आदि माध्यम जिसमें- फ़िल्में, टीवी, समाचार पत्र, पुस्तकें, फेसबुक, यू ट्यूब आदि शामिल है - से सम्बंधित सभी प्रकार के मामले व आपत्तियां।

5.5. किरायेदार-मकान मालिक विवाद, 2 करोड़ से कम मूल्य की सभी प्रकार की जमीन, प्रोपर्टी, सम्पत्तियों आदि के विवाद । मृत्यु भोज से सम्बंधित शिकायतें एवं आपत्तियां।

5.6. सभी प्रकार के ऐसे अपराध या नागरिक विवाद जिन्हे प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने इस सूची में शामिल किया हो।

5.7. ऐसे अपराध या विवाद जिन्हें नागरिको के बहुमत ने इस क़ानून की धारा (44) द्वारा एवं प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत किया गया हो

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(06) यदि कोई अपराध मुख्यमंत्री द्वारा इस क़ानून में जोड़ा जाता है तो यह केवल अमुक राज्य के लिए ही लागू होगा। यदि इसे प्रधानमंत्री द्वारा जोड़ा जाता है तो यह सम्पूर्ण देश या प्रधानमंत्री द्वारा बताए गए राज्यों के लिए लागू होगा। मुख्यमंत्री / प्रधानमंत्री स्पष्ट कर सकते है कि जूरी सदस्य किन जिलो / राज्यों से या फिर सम्पूर्ण भारत से चुने जाएंगे।

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(07) जिला सहायक निदेशक अभियोजन को शामिल करते हुए धारा (02) में दिए गए 15 अधिकारी वोट वापसी पासबुक के दायरे में रहेंगे। प्रत्येक नागरिक को राशन कार्ड या गैस डायरी की तरह एक वोट वापसी पासबुक जारी की जायेगी, जिसमें इन सभी अधिकारियों के खाने (कॉलम) होंगे। प्रधानमन्त्री या मुख्यमंत्री चाहे तो अन्य पदों जैसे सभापति, सरपंच आदि जन प्रतिनिधियों या अन्य अधिकारियों के पन्ने भी इसमें जोड़ने के लिए अधिसूचना जारी कर सकते है। कोई भी नागरिक इनमें से किसी अधिकारी को को बदलना चाहता है तो वह इसके लिए अपनी स्वीकृति दर्ज करवा सकेगा। स्वीकृति दर्ज करने और नियुक्ति के प्रावधानों के लिए धारा (39) देखें।

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(08) जूरी कोर्ट की स्थापना एवं इसका अस्थायी निलंबन :

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मुख्यमंत्री प्रत्येक जिले में 1 जिला जूरी प्रशासक एवं प्रधानमंत्री केन्द्रीय स्तर पर 1 राष्ट्रीय जूरी प्रशासक की नियुक्ति करेंगे। यदि नागरिक उनके काम से संतुष्ट नही है तो धारा (39) का प्रयोग करके जूरी प्रशासको को बदलने की स्वीकृति दे सकते है।

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[ टिप्पणी : जिला जूरी प्रशासक और राष्ट्रीय जूरी प्रशासक वह अधिकारी होगा जो मुकदमो के लिए जूरी मंडलों का गठन करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि जूरी कोर्ट सुचारू रूप से काम करें। जिला जूरी प्रशासक को वोट वापसी पासबुक के अधीन किया गया है, ताकि नागरिक यदि यह पाते है कि वह ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो वे जूरी प्रशासक को बदलने के लिए अपनी स्वीकृति दे सकें। यदि जूरी प्रशासक को वोट वापसी पासबुक के अधीन नहीं किया गया तो जूरी प्रशासक के निकम्मे एवं पक्षपाती होने की सम्भावना बढ़ जायेगी और जूरी कोर्ट सुचारू ढंग से काम नहीं कर सकेगी। ]

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(09) जूरी प्रशासक की नियुक्ति एवं निलंबन :

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(9.1) किसी राज्य में दर्ज सभी मतदाताओं की 50% से अधिक स्वीकृतियां मिलने पर मुख्यमंत्री ऊपर दी गयी सभी धाराओं को निलंबित कर सकते है, और किसी एक या अधिक जिलों में अपनी पसंद का जिला जूरी प्रशासक 5 वर्षों के लिए नियुक्त कर सकते है। मुख्यमंत्री अमुक जिले के किसी मामले को क्रमरहित तरीके से चुने हुए किसी अन्य जिले में भी भेज सकते है।

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(9.2) भारत के सभी मतदाताओं के 51% मतदाताओ की स्वीकृति लेकर प्रधानमंत्री एक या अधिक जिलों या राज्यों में ऊपर बतायी सभी धाराओं को निलंबित कर सकते है, और अमुक जिलों में अपने विवेक से जूरी प्रशासको को 5 वर्षों के लिए नियुक्त कर सकते है। प्रधानमंत्री किसी मामले को पड़ोसी राज्य के क्रम रहित तरीके से चुने हुए जिले में भी भेज सकते है।

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(10) जूरी ड्यूटी में नागरिको के चयन सम्बन्धी नियम :

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सभी प्रकार के जूरी मंडलो एवं महाजूरी मंडलों का गठन करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाएगा :

(10.1) मतदाता सूची ही जूरी ड्यूटी की सूची होगी, और जूरी का गठन मतदाता सूची से ही किया जाएगा।

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(10.2) जूरी सदस्यों की आयु 25 से 50 वर्ष के बीच होगी। व्यक्ति की उम्र वही मानी जायेगी जो वोटर लिस्ट में दर्ज है।

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(10.3) सभी श्रेणी के सरकारी कर्मचारी स्पष्ट रूप से जूरी ड्यूटी के दायरे से बाहर रहेंगे।

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(10.4) जो नागरिक जूरी ड्यूटी कर चुके है, उन्हें अगले 10 वर्ष तक जूरी में नहीं बुलाया जायेगा।

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(10.5) यदि किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सक को जूरी ड्यूटी पर बुलाया जाता है तो डॉक्टर जूरी ड्यूटी पर न आने के लिए सूचना दे सकता है। जूरी सदस्य डॉक्टर पर जूरी ड्यूटी न करने के एवज में कोई आर्थिक दंड नहीं लगायेंगे।

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(10.6) यदि निजी क्षेत्र के कर्मचारी को जूरी ड्यूटी पर बुलाया गया है तो नियोक्ता उसे आवश्यक दिवसों के लिए अवैतनिक अवकाश प्रदान करेगा। नियोक्ता अवकाश के दिनों का वेतन कर्मचारी के वेतन में से काट सकता है।

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(11) जिला महाजूरी मंडल = डिस्ट्रिक्ट ग्रेंड ज्यूरी का गठन :

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(11.1) प्रथम महाजूरी मंडल का गठन : जिला जूरी प्रशासक एक सार्वजनिक बैठक में मतदाता सूची में से 25 वर्ष से 50 वर्ष की आयु के मध्य के 50 मतदाताओं का चुनाव लॉटरी द्वारा करेगा। इन सदस्यों का साक्षात्कार लेने के बाद जूरी प्रशासक किन्ही 20 सदस्यों को निकाल सकता है। इस तरह 30 महाजूरी सदस्य शेष रह जायेंगे।

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(11.2) अनुगामी महाजूरी मंडल : प्रथम महा जूरी मंडल में से जिला जूरी प्रशासक पहले 10 महाजूरी सदस्यों को हर 10 दिन में सेवानिवृत्त करेगा। पहले महीने के बाद प्रत्येक महाजूरी सदस्य का कार्यकाल 3 महीने का होगा, अत: 10 महाजूरी सदस्य हर महीने सेवानिवृत्त होंगे, और 10 नए चुने जाएंगे। नये 10 सदस्य चुनने के लिए जूरी प्रशासक जिला/ राज्य /भारत की मतदाता सूची में से लॉटरी द्वारा 20 सदस्य चुनेगा और साक्षात्कार द्वारा इनमें से किन्ही 10 की छंटनी कर देगा।

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(12) क्रमरहित तरीके ( लॉटरी ) से मतदाताओं को चुनने का तरीका :

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(12.1) जूरी प्रशासक किसी अंक को क्रमरहित विधि से चुनने के लिए किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का प्रयोग नहीं करेगा। यदि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने किसी प्रक्रिया का विवरण नहीं दिया है तो वह नीचे बताये तरीके का प्रयोग करेगा :

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(12.2) मान लीजिये जूरी प्रशासक को 1 और 4 अंको वाली संख्या जैसे ABCD के मध्य की कोई संख्या चुननी है । तब वह हर अंक के लिए 4 दौर के लिए पांसे फेकेगा। पहले दौर में यदि उसे ऐसा अंक चुनना है जो 0 से 5 के मध्य का है, तब वह केवल 1 पांसे का इस्तेमाल करेगा और यदि उसे ऐसा अंक चुनना है जो 0-9 के मध्य है, तब वह 2 पांसों का प्रयोग करेगा।

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(12.3) चुनी गयी संख्या उस संख्या से 1 कम होगी जो एक अकेला पांसा फेकने पर आएगी, और दो पांसे फेकने की स्थिति में यह 2 से कम होगी। यदि पांसे फेकने पर आई संख्या जरुरत की सबसे बड़ी संख्या से बड़ी है तो वह पांसे दोबारा फेकेगा।

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(12.3.1) मान लीजिये जूरी प्रशासक को एक किताब जिसमे 3693 पेज है, में से एक पेज का चयन करना है। तब जूरी प्रशासक 4 दौर ( राउंड ) के पासें फेंकेगा। पहले दौर में वह एक ही पांसे का प्रयोग करेगा, क्योंकि उसे 0-3 के बीच की संख्या का चयन करना है। यदि पांसा 5 या 6 दर्शाता हैं तो वह पांसा दोबारा फेकेगा। यदि पांसा 3 दर्शाता है तो चुनी हुई संख्या 3-1=2 होगी। अब जूरी प्रशासक दूसरे दौर में चला जायेगा। इस दौर में उसे 0-6 के बीच की एक संख्या चुननी है, इसलिए वह दो पांसे फेकेगा। यदि उनका जोड़ 8 से अधिक हो जाता है तो वह पांसे दुबारा फेकेगा। यदि जोड़ का मान 6 आया तो चुनी हुई संख्या 6-2=4 होगी। इसी प्रकार मान लीजिये चार दौरों में पांसा 3, 5, 10 और 2 दर्शाता है। तब जूरी प्रशासक (3-1) , (5-2) , (10-2) और (2-1) अर्थात पेज संख्या 2381 चुनेगा।

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(12.3.2) जूरी प्रशासक सभी मतदाताओं की सूची तैयार कर सकता है और क्रमरहित तरीके से किन्ही दो बड़ी प्रधान संख्याओ को चुन सकता है। मान लीजिये सूची में N मतदाता है। तब वह N/2 और 2N के बीच दो प्रधान संख्या जिन्हें ‘n और m’ मान लेते है, चुन सकता है। चुने हुए मतदाता हो सकते है - ( n mod N ) , ( n +m ) mod N , ( n+2m ) mod N से (n+ ( k-1 )*m ) mod N , जहाँ k का आशय चुने जाने वाले व्यक्तियों की संख्या है।

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(13) महाजूरी सदस्य प्रत्येक शनिवार और रविवार पर बैठक करेंगे। यदि 15 से अधिक महाजूरी सदस्य सहमति देते है तो वे अन्य दिन भी मिल सकते है। ये संख्या 15 से ऊपर तब भी होनी चाहिए, जब 30 से कम महाजूरी सदस्य उपस्थित हों। यदि बैठक होती है तो आरंभ सुबह 11 बजे से और समाप्त शाम 5 बजे तक हो जानी चाहिए। महाजूरी सदस्य को प्रति उपस्थिती प्रतिदिन 500 रु. एवं साथ में यात्रा खर्च भी मिलेगा। मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री महंगाई दर के अनुसार या यात्रा दूरी जैसी स्थितियों में मुआवजा राशि बदल सकते है। ये राशि उसका कार्यकाल समाप्त होने के 60 दिनों बाद दी जाएगी।

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(14) यदि कोई महाजूरी सदस्य बैठक में अनुपस्थित रहता है तो उसे दैनिक भुगतान नहीं मिलेगा। साथ ही वह भुगतान की जाने वाली राशि की तिगुनी राशी से भी वंचित हो सकता है, तथा उसकी संपत्ति का अधिकतम 0.05% तक और उसकी वार्षिक आय का 1% तक का जुर्माना उस पर लगाया जा सकता है। महाजूरी सदस्य 60 दिनों के बाद जुर्माना राशि तय करेंगे।

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(15) जिला महाजूरी मंडल द्वारा मुकदमो को स्वीकार करना :

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(15.1) यदि किसी व्यक्ति, कंपनी या किसी संस्था का किसी और व्यक्ति या संस्था पर कोई आरोप है और यह आरोप यदि धारा (5) या उसके आधार पर जारी किये गए किसी गेजेट नोटीफिकेशन के अंतर्गत है, तो वे महाजूरी मंडल के सदस्यों को लिखित में सूचित कर सकते है, अथवा धारा (44.1) के अंतर्गत अपनी शिकायत प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की वेबसाइट पर अपलोड कर सकते है। अभियोग करने वाले अपनी तरफ से कानूनी सीमा के अन्दर समाधान के रूप में अभियुक्त की संपत्ति जप्त करना, आर्थिक क्षतिपूर्ति लेना, अभियुक्त को कुछ वर्षों या महीनो तक कारावास या मृत्युदंड का सुझाव दे सकते है।

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(15.2) यदि महाजूरी मंडल के 15 से अधिक सदस्य यदि किसी गवाह, शिकायतकर्ता या अभियुक्त को बुलावा देते है तो वे उनके समक्ष हाजिर हो सकते है। वे किसी वकील या विशेषज्ञ को बोलने की अनुमति दे सकते है या नहीं भी दे सकते है।

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(15.3) यदि महाजूरी मंडल के 15 से अधिक सदस्य किसी मामले को विचार योग्य मानते हैं तो मामले के विचार के लिए जिला जूरी प्रशासक 15 से 1500 नागरिकों की जूरी बुलाएगा जिनकी उम्र 25 से 50 वर्ष की आयु के बीच होगी । यदि 15 से अधिक महा जूरी मंडल के सदस्य कहते हैं कि मामला विचार योग्य नहीं है तो मामले को निरस्त कर दिया जाएगा।

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(15.4) यदि महाजूरी मंडल के अधिकांश सदस्य मानते है कि शिकायत बिलकुल आधारहीन और मनगड़ंत है तो वे मामले की सुनवाई में हुई समय की बर्बादी के लिए 5000 रूपये प्रति घंटे अधिकतम की दर से जुर्माना लगा सकते है। महाजूरी मंडल का प्रत्येक सदस्य जुर्माने की राशि प्रस्तावित करेगा और सबके द्वारा प्रस्तावित जुर्माने की मध्यराशि (median) जुर्माने की राशि मानी जाएगी। महाजूरी मंडल के सदस्य ये भी तय करेंगे कि झूठे आरोप की क्षतिपूर्ति के रूप में अभियुक्त को जुर्माने की राशि में से कितनी राशि दी जाएगी। झूठा आरोप होने की स्थिति में अभियुक्त अपने समय , सम्मान और अन्य नुकसान के लिए अधिकतम क्षतिपूर्ति पाने हेतु अलग से एक मामला दायर कर सकते है।

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(16) किसी मामले के लिए आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या का निर्धारण :

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महाजूरी मंडल का प्रत्येक सदस्य मामले के विचार के लिए वांछित जूरी की संख्या प्रस्तावित करेगा और जिला जूरी प्रशासक सारे सदस्यों द्वारा प्रस्तावित संख्या के माध्य को वांछित जूरी संख्या के रूप मे निर्धारित करेगा। यदि महाजूरी मंडल के सदस्यों की संख्या सम है तो जिला जूरी प्रशासक उच्चतर मध्य संख्या को वांछित जूरी संख्या के रूप मे निर्धारित करेंगे। जूरी सदस्यों की संख्या के संबध में महाजूरी मंडल का फैसला अंतिम होगा। महाजूरी सदस्यों के लिए दिशा निर्देश :

(16.1) यदि अभियुक्त के पास अधिक आर्थिक या राजनैतिक हैसियत है तो जूरी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

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(16.2) यदि अपराध जघन्य है तो जूरी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। उदाहरण के लिए यदि मामला 100,000 रूपए या उससे कम धन राशि की चोरी का है तो जूरी सदस्यों की संख्या 15 हो सकती है। पर यदि चुराई धन राशि इससे अधिक है तो जूरी सदस्यों की संख्या ज्यादा होगी। यदि मामला हत्या का है तो जूरी सदस्यों की संख्या 50 या 100 या उससे भी अधिक हो सकती है।

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(16.3) यदि कोई व्यक्ति अतीत में एकाधिक अपराधों का अभियुक्त रहा है, और महाजूरी मंडल के सदस्य ज्यादातर मामलों को विचार योग्य मानते है तो वे जूरी सदस्यों की संख्या बढ़ा सकते है।

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(16.4) यदि मामला ज्यादा पैसों का है तो जूरी सदस्यों की संख्या ज्यादा हो सकती है। न्यूनतम संख्या 15 होगी और हर 1 करोड़ की राशि के लिए 1 अतिरिक्त सदस्य जोड़ा जाएगा। किन्तु जूरी का आकार 1500 से अधिक नहीं होगा।

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(17) जूरी सदस्यों का चयन :

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(17.1) जूरी प्रशासक मतदाता सूची से लॉटरी द्वारा वांछित जूरी संख्या से दुगनी संख्या में नागरिकों को चुनकर उन्हें बुलावा भेजेगा। उनमे से किसी भी पक्षकार के रिश्तेदार, पडोसी, सहकर्मी आदि को जूरी सदस्यों में शामिल नहीं किया जाएगा। जिले में पिछले 10 वर्षों में किसी सरकारी पद पर रहे नागरिक भी जूरी से बाहर रहेंगे। शेष लोगों में से बिना किसी इंटरव्यू के जूरी प्रशासक लाटरी द्वारा आवश्यक संख्या के जूरी सदस्य चुनेगा। किसी व्यक्ति को जूरी में शामिल नहीं करने का निर्णय जूरी प्रशासक द्वारा लिया जाएगा और उसे सिर्फ महाजूरी मंडल के बहुमत द्वारा बदला जा सकेगा।

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(17.2) जिला जूरी प्रशासक जूरी सदस्यों को प्रत्येक जूरी सदस्य की शिक्षागत योग्यता, पेशा और संपत्ति अथवा आय के बारे में सूचित करेगा। जिन जूरी सदस्यों के पास कम जानकारी है या तर्क या गणित में कम दक्षता है वे उन जूरी सदस्यों से सहायता ले सकते है, जिनके पास ज्यादा जानकारी है या जो तर्क या गणित में ज्यादा दक्ष हैं।

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(17.3) जिला जूरी प्रशासक जिला मुख्य न्यायधीश से मामले की सुनवाई में जूरी सदस्यों को आवश्यक सलाह देने और मामले के संचालन के लिए एक या अधिकतम 3 न्यायधीशों की नियुक्ती करने के लिए कहेगा। न्यायधीशों के संख्या के बारे मे जिला मुख्य न्यायधीश का निर्णय अंतिम होगा। जिला जूरी प्रशासक एक ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर को नियुक्त करेंगे और ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर मामले पर विचार करने की प्रक्रिया एवं जूरी ट्रायल का संचालन करेगा।

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(18) जूरी मंडल द्वारा मुकदमो की सुनवाई करना : सुनवाई सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी। मामले की सुनवाई सिर्फ तभी शुरू होगी जब चुने गए समस्त जूरी सदस्यों में से (चुने गए समस्त जूरी सदस्यों में से, ना कि सिर्फ उपस्थित जूरी सदस्यों के) 75% सुनवाई शुरू करने को राजी हों।

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(19) ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर शिकायत कर्ता को एक घंटे तक बोलने की अनुमति देगा तथा इस दौरान उन्हें कोई नहीं रोकेगा। इसके बाद अभियुक्त एक से डेढ़ घंटे तक अपना पक्ष रखेगा। इस तरह एक के बाद एक दोनों पक्ष बोलेंगे। भोजन विराम दोपहर 1 बजे से 2 बजे के बीच शुरू होगा और 1 घंटे तक रहेगा। इसी तरह सुनवाई लगातार प्रत्येक दिन चलेगी। जूरी सदस्यों के बहुमत द्वारा किसी भी पक्ष के बोलने की अवधि को बदला जा सकेगा। इस क़ानून में सभी जगह जूरी का बहुमत या अधिकांश का अर्थ चुने गए समस्त जूरी सदस्यों के बहुमत से है ना कि सिर्फ उपस्थित जूरी सदस्यों के बहुमत से।

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(20) मामले की सुनवाई न्यूनतम 2 दिन तक चलेगी । तीसरे दिन या उसके बाद यदि जूरी सदस्यों का बहुमत कहता है कि हमने दोनों पक्षों को पर्याप्त सुन लिया है, तो सुनवाई एक दिन और चलेगी। यदि अगले दिन बहुमत कहता है कि उन्हें और सुनना है तो सुनवाई तब तक चलती रहेगी जब तक जूरी का बहुमत सुनवाई ख़त्म करने को नही कहता। अंतिम दिन दोनों पक्ष 1-1 घंटे तक अपना पक्ष रखेंगे। इसके बाद जूरी सदस्य 2 घंटे तक आपस में विचार मंथन करेंगे। यदि 2 घंटे बाद जूरी सदस्य ये निर्णय लेते है की उन्हें और विचार मंथन की आवश्यकता नहीं है, तो जूरी अपना फैसला सार्वजनिक करेगी।

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(21) जुर्माने का निर्धारण : प्रत्येक जूरी सदस्य जुर्माने की राशि प्रस्तावित करेगा, जो कि प्रवृत क़ानूनी सीमा के अन्दर हो। यदि किसी सदस्य द्वारा प्रस्तावित जुर्माना राशि कानूनी सीमा से अधिक है तो जुर्माने की अधिकतम कानूनी सीमा को प्रस्तावित जुर्माने की राशि माना जाएगा। ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर सभी प्रस्तावित जुर्माना राशीयों को घटते क्रम में रखेगा। अर्थात सबसे अधिक प्रस्तावित राशि को सबसे ऊपर और सबसे अंत में सबसे कम जुर्माने की राशि को रखा जायेगा। ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर दो तिहाई जूरी सदस्यों द्वारा मंजूर जुर्माने की राशि को जुर्माने की राशि मानेंगे। उदाहरण के लिए, यदि जूरी सदस्यो की संख्या 100 हैं तो घटते क्रम में 67 क्रमांक पर प्रस्तावित जुर्माने की राशि को जुर्माने की राशि माना जाएगा। अर्थात, यदि 100 में से 34 जूरी सदस्यों ने शून्य जुर्माना प्रस्तावित किया है तो जुर्माने की राशि को शून्य माना जाएगा।

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(22) कारावासीय दंड : ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर जूरी सदस्यों द्वारा प्रस्तावित कारावास की अवधि को घटते क्रम में सजाएगा। अर्थात सबसे अधिक दंड सबसे पहले और सबसे कम को अंत में रखा जायेगा। यदि किसी सदस्य द्वारा बतायी कारावास की अवधि कानूनी सीमा से अधिक है तो ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर उस मामले में कानून द्वारा प्रस्तावित सर्वाधिक कारावास अवधि को प्रस्तावित कारावास की अवधि के रूप में दर्ज करेंगे, और 2/3 जूरी सदस्यो द्वारा मंजूर कारावास की अवधि को सम्मिलित रूप से तय की गयी कारावास की अवधि माना जाएगा। अर्थात, यदि एक तिहाई जूरी सदस्य कारावास की अवधि शून्य प्रस्तावित करते हैं तो अभियुक्त को निरपराध घोषित कर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि जूरी सदस्यों की संख्या 100 है तो घटते क्रम में 67 क्रम संख्या वाली प्रस्तावित कारावास की अवधि को कारावास की सम्मिलित अवधि के रूप में माना जाएगा और यदि 34 जूरी सदस्य कारावास की अवधि शून्य प्रस्तावित करते हैं तो कारावास नहीं होगा।

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(23) मृत्यु दंड एवं सार्वजनिक नारको टेस्ट के मामले में 75% से अधिक जूरी सदस्यों की मंजूरी आवश्यक होगी। इस तरह के मामलों में एक अन्य जूरी मंडल द्वारा मामले पर पुनर्विचार किया जाएगा। दूसरी बार में आयी जूरी ही ये निर्णय करेगी कि मृत्युदंड होगा या नहीं। मृत्यु दंड पर पुनर्विचार के लिए आयी जूरी भी मृत्यु दंड को 75% सदस्यों द्वारा अनुमोदित करेगी।

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(24) जूरी मंडल जो भी अंतिम फैसला देंगे उसे ट्रायल के पदासीन जज द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। यदि जज चाहे तो जूरी के फैसले में संशोधन कर सकता है, या फैसले को पूरी तरह से पलट सकता है। जज जब भी अपना फैसला लिखेगा तब वह सबसे पहले जूरी के फैसले को उद्धत करेगा। सरकारी दस्तावेजो, बुलेटिन एवं अन्य सभी जगह जहाँ पर भी फैसले को दर्ज / उद्धत किया जाएगा, वहां पर अनिवार्य रूप से सबसे पहले जूरी द्वारा दिए गए फैसले का जिक्र किया जाएगा।

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(25) यदि किसी अन्य समाधान की मांग की गयी है तो जूरी सदस्य दोनों पक्षों को अधिकतम 5 या उससे कम वैकल्पिक प्रस्ताव दाखिल करने को कहेंगे। इसके अलावा जूरी की अनुमति से कोई भी व्यक्ति समाधान के लिए अपना प्रस्ताव जूरी के सामने रख सकता है। प्रत्येक जूरी सदस्य प्रत्येक वैकल्पिक प्रस्ताव को 0 में से 100 के बीच अंक देगा। यदि किसी प्रस्ताव को किसी जूरी सदस्य ने कोई भी अंक नहीं दिया हैं तो उस प्रस्ताव के लिए उनके द्वारा दिया गया अंक शून्य माना जाएगा। जिस वैकल्पिक समाधान प्रस्ताव को सबसे ज्यादा अंक मिलेंगे उस प्रस्ताव को जूरी द्वारा मंजूर किया गया प्रस्ताव माना जाएगा।

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(26) अनुपस्थिति या देर से आने पर जूरी सदस्यों पर जुर्माना - यदि कोई जूरी सदस्य या कोई भी पक्ष सुनवाई में अनुपस्थित रहता हैं या विलम्ब से आते हैं तो 60 दिन बाद महा जूरी मंडल जुर्माने की राशी तय करेगा, जो कि उनकी संपत्ति का 0.1% अथवा वार्षिक आय का 1% हो सकता है। जुर्माने के निर्धारण में महा जूरी मंडल का फैसला अंतिम होगा।

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(27) यदि 50% से ज्यादा जूरी सदस्य मानते हैं कि शिकायत बिलकुल निराधार एवं मनगड़ंत है तो प्रत्येक जूरी सदस्य अधिकतम 1000 रूपए प्रति जूरी सदस्य तक का जुर्माना लगा सकता है। प्रत्येक जूरी सदस्य जुर्माने की राशि प्रस्तावित करेगा और जिला जूरी प्रशासक प्रस्तावित राशियों के मध्य मान को जुर्माने की राशि मानेगा। किन्तु जुर्माने की उच्चतम सीमा वह राशि होगी जो कि शिकायतकर्ता की संपत्ति की 2% या वार्षिक आय की 10% में से उच्च है। जुर्माने की इस राशि में से अभियुक्त को जो राशि दी जायेगी उसकी गणना इस प्रकार होगी - अभियुक्त द्वारा पिछले वर्ष भरे गए आयकर रिटर्न के अनुसार उसकी प्रतिदिन आय का निर्धारण किया जाएगा। तथा जितने दिन सुनवाई चली और अभियुक्त को जितने दिन का नुकसान हुआ उस हिसाब से उसे मुआवजा दिया जाएगा। अभियुक्त ज्यादा मुआवजे के लिए अलग से मामला दायर कर सकता है। हायर जूरी एवं सुप्रीम जूरी में सुनवाई के दौरान भी सुनवाई करने वाला जूरी मंडल भी मामले के पूर्णतया निराधार होने पर वादियों पर इस तरह का जुर्माना लगा सकता है। किन्तु यह जुर्माना 20,000 रू प्रति सुनवाई घंटे से अधिक नहीं होगा।

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(28) जटिल मामलों में यदि कोई तकनिकी या कानूनी विशेषज्ञ कोई जानकारी देने के इच्छुक हैं तो कोई भी पक्षकार या ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर उनकी मदद ले सकते है। जूरी प्रशासक उनकी दैनिक भुगतान राशि तय करेंगे, जो उनकी दैनिक आय से अधिक नहीं होगी। जूरी सदस्यों को भत्तों के रूप में जिला महाजूरी मंडल के सदस्यों के समान धनराशी दी जायेगी।

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(29) यदि किसी जिले में तहसील स्तर के न्यायालय है तो जूरी प्रशासक तहसील स्तर पर भी महाजूरी मंडल का गठन कर सकता। तहसील का महाजूरी मंडल तहसील के अंतर्गत मामलों की सुनवाई करेगा। जिला जूरी प्रशासक तहसील अदालतों के लिए तहसील जूरी प्रशासक की नियुक्ति करेंगे और जूरी कोर्ट की कार्यवाही ऊपर दी गयी धाराओं के अनुरूप ही होगी।

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(30) उच्चतर जूरी मंडल = हायर जूरी कोर्ट में अपील :

(30.1) जिला जूरी मंडल द्वारा दिए गए फैसले के विरुद्ध किसी भी पक्ष को 30 दिन के अन्दर राज्य के उच्चतर जूरी मंडल में अपील करने का अधिकार होगा। यदि वादी गण 30 दिनों के बाद अपील करते है तो महाजूरी मंडल प्रति दिन या प्रति माह के हिसाब से विलम्बित शुल्क लगाकर अपील स्वीकार कर सकते है, या नहीं भी कर सकते है। जिस जिले की जूरी ने पूर्व में फैसला दिया था वादी उस जिले के महाजूरी मंडल के सामने या राज्य के अन्य किसी भी जिले में अपील दायर कर सकता है। जूरी प्रशासक राज्य के किन्ही 5 जिलों को लॉटरी से चुनेगा, किन्तु लॉटरी में उस जिले के नाम को शामिल नहीं किया जाएगा जिस जिले की जूरी ने इस मुकदमे का पूर्व में फैसला दिया था।

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(30.2) हारने वाला पक्ष लॉटरी में निकले उपरोक्त 5 जिलो के महाजूरी मंडल के सामने अपनी अपील दायर कर सकता है। 5 में से यदि 3 या उससे अधिक जिलो के महाजूरी मंडल मामले को सुनने की अनुमति दे देते है तो अपील स्वीकृत मानी जायेगी। वादी अपील स्वीकार करने वाले महाजूरी मंडलो में से किन्ही 3 महाजूरी मंडलों में अपनी अपील दायर करेगा। वादी अपील की सुनवाई करने वाले प्रत्येक जिले के जूरी प्रशासक के यहाँ 5,000 रू जूरी कोर्ट फ़ीस के रूप में जमा करेगा।

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(30.3) जूरी का आकार उस जिले का महाजूरी मंडल तय करेगा जहाँ अपील दायर की गयी है। जूरी सदस्यों का चयन जिले की मतदाता सूचियों से किया जायेगा। किन्तु अपीलीय जूरी का आकार उस जूरी से कम नहीं होगा जिस जूरी ने इस मामले का पूर्व में फैसला दिया था। अपीलीय जूरी में न्यूनतम 50 एवं अधिकतम 1500 तक सदस्य हो सकेंगे।

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(31) हायर जूरी में सुनवाई :

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(31.1) जिन जिलो में अपील की सुनवाई की जाने वाली है उन जिलो के जूरी प्रशासक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश से मामले की सुनवाई के लिए एक या अधिकतम 3 उच्च न्यायधीशों की नियुक्ति के लिए कहेंगे। मुख्य न्यायाधीश तीनो जिलो के लिए अलग अलग न्यायधीशों को नियुक्त करेंगे। न्यायधीशो के संख्या के बारे मे मुख्य न्यायधीश का निर्णय अंतिम होगा।

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[ टिप्पणी : मुख्य न्यायधीश सुनवाई के लिए अमुक जिले के किसी सेवारत जज को नियुक्त कर सकते है, या उच्च न्यायालय से न्यायाधीशो को भी भेज सकते है, या स्वयं को नियुक्त कर सकते है। इस बारे में अंतिम फैसला मुख्य न्यायाधीश करेंगे।]

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(31.2) उपरोक्त 3 जूरी मे से 2 जूरी मंडलों द्वारा दिया गया निर्णय अपील का अंतिम निर्णय म?