12) जूरी पंचायत – पंचायतो एवं स्थानीय प्रशासन को सुधारने के लिए प्रस्तावित क़ानून
जूरी पंचायत – पंचायतो एवं स्थानीय प्रशासन को सुधारने के लिए प्रस्तावित क़ानून
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VoteVapsi Passbook - Proposal to Improve Panchayat & Local Administration
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(इस क़ानून ड्राफ्ट का पीडीऍफ़ एवं अन्य सम्बंधित जानकारी के लिए इस पोस्ट के पहले 3 कमेन्ट देखें। पीडीऍफ़ पेम्पलेट छपवाने और मोबाईल पर पढने के फोर्मेट में है।)
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कानून का सार : यह कानून पंचायत एवं स्थानीय स्तर के प्रशासन को सुधारने के लिए लिखा गया है। इस कानून में ऐसी कई प्रक्रियाएं है जो स्थानीय प्रशासन को चलाने वाले अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाती है और ऐसी व्यवस्था की रचना करती है जिससे अधिकारियों की लापरवाही, अकर्मण्यता एवं भ्रष्टाचार में तेजी से गिरावट आएगी। इस क़ानून को मुख्यमंत्री विधानसभा से पास करके लागू कर सकते है। इस क़ानून को प्रधानमंत्री भी लोकसभा से पारित कर सकते है।
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यदि आप इस क़ानून का समर्थन करते है तो मुख्यमंत्री को एक पोस्टकार्ड भेजे। पोस्टकार्ड में यह लिखे :
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“मुख्यमंत्री जी, कृपया प्रस्तावित जूरी पंचायत क़ानून को गेजेट में छापें - #JuryPanchayat #VoteVapsiPassBook, #RRP12
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======क़ानून ड्राफ्ट का प्रारम्भ====
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टिप्पणी : इस ड्राफ्ट में दो भाग है - (I) नागरिकों के लिए सामान्य निर्देश, (II) नागरिकों और अधिकारियों के लिए निर्देश। टिप्पणियाँ इस क़ानून का हिस्सा नहीं है। नागरिक एवं अधिकारी टिप्पणियों का इस्तेमाल दिशा निर्देशों के लिए कर सकते है।
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भाग (I) नागरिको के लिए निर्देश :
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(01) इस क़ानून के गेजेट में छपने के 30 दिनों के भीतर राज्य के प्रत्येक मतदाता को एक वोट वापसी पासबुक मिलेगी। निम्नलिखित अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि इस वोट वापसी पासबुक के दायरे में आयेंगे :
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1. सरपंच
2. तहसील पंचायत समिती प्रधान
3. जिला पंचायत प्रमुख
4. नगर परिषद / नगर निगम पार्षद
5. नगर परिषद सभापति / मेयर
6. मुख्यमंत्री
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तब यदि आप ऊपर दिए गए किसी जनप्रतिनिधि के काम-काज से संतुष्ट नहीं है, और उसे निकालकर किसी अन्य व्यक्ति को लाना चाहते है तो पटवारी कार्यालय में जाकर स्वीकृति के रूप में अपनी हाँ दर्ज करवा सकते है। आप अपनी हाँ SMS, ATM या मोबाईल APP से भी दर्ज करवा सकेंगे। आप किसी भी दिन अपनी स्वीकृति दे सकते है, या अपनी स्वीकृति रद्द कर सकते है। आपकी स्वीकृति की एंट्री वोट वापसी पासबुक में आएगी।
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(02) यदि आपका नाम वोटर लिस्ट में है तो इस कानून के पारित होने के बाद आपको जूरी ड्यूटी के लिए बुलाया जा सकता है। निम्नलिखित 6 अधिकारियों एवं मुख्यमंत्री के अलावा धारा (01) में दिए गए जनप्रतिनिधियों एवं उनके स्टाफ से सम्बंधित नागरिक शिकायतें जूरी ड्यूटी के दायरे में रहेगी। जूरी मंडल का चयन लॉटरी से किया जाएगा, तथा मामले की हैसियत के अनुसार जूरी मंडल में 15 से 1500 नागरिक तक हो सकेंगे। यदि लॉटरी में आपका नाम निकल आता है तो आपको इन 12 अधिकारीयों एवं जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आने वाली शिकायतों की सुनवाई करके फैसला देना होगा। शिकायत की गंभीरता के अनुसार आप अमुक आरोपी पर जुर्माना लगा सकते है। किन्तु मुख्यमंत्री जूरी मंडल के दायरे से बाहर रहेंगे :
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1. पटवारी
2. गिरदावर
3. ग्राम विकास अधिकारी ( पंचायत सचिव )
4. तहसीलदार
5. जिला परिषद सचिव
6. नगर परिषद सचिव
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(03) यदि आपका नाम राज्य की वोटर लिस्ट में है और आप इस क़ानून की किसी धारा में कोई आंशिक या पूर्ण परिवर्तन चाहते है, या उपरोक्त में से किसी अधिकारी के खिलाफ कोई शिकायत सार्वजनिक रूप से दर्ज कराना चाहते है तो अपने जिले के कलेक्टर कार्यालय में इस क़ानून के जनता की आवाज खंड की धारा ( 20.1 ) के तहत एक शपथपत्र प्रस्तुत कर सकते है। कलेक्टर 20 रू प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर शपथपत्र स्वीकार करेगा, और इसे मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर स्कैन करके रखेगा।
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भाग (II) : अधिकारियों के लिए निर्देश :
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(04) पटवारी कार्यालयों को सुचारू एवं व्यवस्थित करने के लिए यह क़ानून पारित होने के बाद मुख्यमंत्री निम्नलिखित कार्यो को दी गयी समय सीमा में पूरा किया जाना सुनिश्चित करेंगे :
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(4.1) राज्य के खाली पड़े पटवारी के सभी पदों पर पटवारियों की नियुक्ति की जायेगी। यदि नयी भर्ती की आवश्यकता है तो भर्ती की प्रक्रिया अगले 180 दिनों में पूर्ण कर ली जानी चाहिए।
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(4.2) यह क़ानून पारित होने के 365 दिनों के भीतर प्रत्येक पटवार खाने का अनिवार्य रूप से कम्प्यूटरीकरण किया जाएगा। आवश्यकता के अनुसार कम्प्यूटर में दक्ष लिपिकों की नियुक्ति करके पटवारी के स्टाफ का दायरा बढाया जायेगा। पटवारी को शामिल करते हुए पटवारी कार्यालय का न्यूनतम स्टाफ 4 व्यक्तियों का होगा। यह सभी नियुक्तियां यह क़ानून पारित होने के 365 दिनों के भीतर कर ली जानी चाहिए।
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(4.3) जब पटवारी फील्ड में है तब भी पटवारी कार्यालय अनिवार्य रूप से 10 बजे से सांय 5 बजे तक खुला रहेगा।
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(4.4) जिन पटवार खानो में पर्याप्त कमरे इत्यादि नहीं है उनके लिए आवश्यक भवन निर्माण किया जाएगा एवं यह निर्माण इस क़ानून के पारित होने के 3 वर्षो के अंदर कर लिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री इस क़ानून के गेजेट में आने के 6 माह के भीतर सभी पटवार खानों को उन्नत किये जाने का प्रोजेक्ट विधानसभा में रखेंगे जिसमें यह ब्यौरा होगा कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए कितने पटवारी कार्यालयो को किस क्रम से उन्नत किया जाएगा। मुख्यमंत्री इस प्रोजेक्ट के साथ ही अनिवार्य रूप से इसके लिए बजट भी पास करेंगे।
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(4.5) पटवारी एक मोबाईल एप / वेब पोर्टल या सोशल मीडिया एकाउंट / व्हाट्स एप नंबर सार्वजनिक करेगा, ताकि उसके क्षेत्र के मतदाता अपनी शिकायतें ऑनलाइन भी दर्ज करवा सके।
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(4.6) यदि कोई भी नागरिक पटवारी कार्यालय में या धारा 01 एवं 02 में लिखे गए अधिकारियों / जनप्रतिनिधियों को किसी कार्य के लिए कोई एप्लीकेशन देता है और यदि एप्लीकेशन पर सार्वजनिक करें दर्ज करता है, तो यह प्रार्थना पत्र सार्वजनिक किया जायेगा। यदि शिकायतकर्ता ने इसे सार्वजनिक करने के लिए नहीं कहा है तो इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। सार्वजनिक की गयी जो नागरिक शिकायतें पेंडिंग है और जो कार्य पूर्ण हो चुके है, उनकी अद्यतन जानकारी व्यवस्थित रूप से कार्यालय के सूचना पट्ट पर बिना मांगे उपलब्ध रहेगी एवं इसे प्रति सप्ताह अनिवार्य रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। यह जानकारी ऑनलाइन भी उपलब्ध रहेगी। यदि यह जानकारी स्वत: सार्वजनिक नहीं की जाती है तो यह माना जायेगा कि, इन्हें छिपाया गया है।
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(4.7) धारा 02 में दिए गए अधिकारी सभी नागरिक शिकायतों एवं नागरिक प्रार्थना पत्रों का निपटान सिलसिलेवार करेंगे। यदि वे क्रम का उलंघन करते है तो उन्हें इसका स्पष्ट कारण लिखित में देना होगा। उदाहरण के लिए , मान लीजिये कि पटवारी या तहसीलदार के पास सोमवार को एक व्यक्ति A नकल निकलवाने का प्रार्थना पत्र देता है, तथा B नक़ल निकलवाने का प्रार्थना पत्र मंगलवार को देता है। चूंकि इन दोनों अर्जियों की प्रकृति एक जैसी है अत: अधिकारी पहले सोमवार को लगाई गयी अर्जी का निस्तारण करेगा। यदि अधिकारी A से पहले B की नकल निकाल देता है तो उसे अनिवार्य रूप से यह दर्ज करना होगा कि क्यों B की अर्जी पर पहले काम किया गया।
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(05) इस क़ानून के पारित होने के बाद से सरपंच का सेवा भत्ता न्यूनतम 40,000 रू एवं अधिकतम 50,000 मासिक होगा, जो कि उसके क्षेत्र की मतदाता संख्या पर निर्भर करेगा। सरपंच अधिकतम 5 पंचायत से चुनाव लड़ सकेगा और वह उतनी पंचायतो का सेवा भत्ता प्राप्त करेगा, जितनी पंचायत में वह सरपंच चुना गया है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति 3 पंचायत से चुनाव लड़ता है, और 2 पंचायत से जीत जाता है तो वह 80,000 रू मासिक प्राप्त करेगा।
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(06) इस क़ानून के पारित होने के बाद नगर पालिका / नगर परिषद / नगर निगम पार्षद का न्यूनतम सेवा भत्ता 15,000 मासिक से 25,000 होगा। पार्षद किन्ही 3 वार्ड से चुनाव लड़ सकेगा, और वह उतने वार्ड का सेवा भत्ता प्राप्त करेगा जितने वार्ड से वह चुना गया है।
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(07) इस क़ानून के पारित होने के बाद सभापति का सेवा भत्ता न्यूनतम 60,000 एवं अधिकतम 80,000 होगा।
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[ टिप्पणी : इस क़ानून में जहाँ भी पार्षद शब्द का प्रयोग हुआ है उसका आशय है - नगर पालिका , नगर परिषद एवं नगर निगम का पार्षद। इस क़ानून में सभापति शब्द से आशय है - नगर पालिका, नगर परिषद एवं नगर निगम का सभापति। इस क़ानून में प्रधान शब्द से आशय है - तहसील पंचायत समिती का प्रधान। इस क़ानून में जिला प्रमुख से आशय है - जिला पंचायत का प्रमुख।]
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(08) पार्षद अपने वार्ड में प्रत्येक दुसरे एवं चौथे रविवार ( 2nd & 4th Sunday ) को सांय 4 बजे एक नागरिक सभा का आयोजन करेगा। सभापति इसके लिए वार्ड में स्थित किसी सार्वजानिक कम्युनिटी सेंटर, स्कूल आदि में स्थान की व्यवस्था कराएगा। यदि वार्ड में नगर परिषद के क्षेत्राधिकार का भवन मौजूद है तो सभा इसी स्थल पर आयोजित होगी, और स्थान व समय किसी भी स्थिति में बदला नहीं जाएगा।
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(8.1) किसी व्यक्ति को यदि नगर परिषद के क्षेत्राधिकार एवं अपने वार्ड से सम्बंधित कोई शिकायत या सुझाव पार्षद के सम्मुख रखना है तो वह सभा में उपस्थित होकर अपनी शिकायत या सुझाव आदि पार्षद को लिखकर दे सकता है। शिकायतकर्ता अनिवार्य रूप से अपने मतदाता पहचान पत्र की फोटो कॉपी अपनी एप्लीकेशन के साथ सलंग्न करेगा।
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(8.2) इस सभा में जितनी भी शिकायतें / सुझाव आयेंगे उन्हें पार्षद एक सीरियल नंबर देगा और उन्हें स्वीकार करके नगर परिषद द्वारा जारी (Allote) किये गए अपने रजिस्टर में क्रम से दर्ज कर लेगा। पार्षद एप्लीकेशन लेने के बाद अपनी छाप लगाकर हस्ताक्षर युक्त एक पावती ( Receiving ) भी देगा। पार्षद अगली सभा से पहले पूर्व सभा के ब्यौरे सभापति कार्यालय में अग्रेषित कर देगा।
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(8.3) नागरिक यह एप्लीकेशन सभापति कार्यालय में भी दे सकता है। सभापति द्वारा नियुक्त क्लर्क 5 रू प्रति पृष्ठ की दर से इसे स्कैन करके सभापति की वेबसाईट पर नागरिक शिकायतों के सेक्शन में रख देगा। सभापति इस तरह का सिस्टम बना सकते है कि नगर के मतदाता अपने वार्ड या नगर के लिए दी गयी किसी एप्लीकेशन पर अपनी सहमति दर्ज कर सके।
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(9) अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों द्वारा आवेदन एवं योग्यताएं :
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(9.1) सरपंच एवं पार्षद : यदि कोई मतदाता सरपंच बनना चाहता है तो वह किसी भी दिन तहसीलदार कार्यालय में उपस्थित होकर अपना शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है। तहसीलदार अमुक पद के लिए तय जमा राशि लेकर आवेदन स्वीकार कर लेगा। तहसीलदार शपथपत्र को स्कैन करके जिला कलेक्टर की वेबसाईट पर अपलोड करेगा और उसे एक विशिष्ट सीरियल नंबर जारी करेगा। पार्षद अपना आवेदन जिला कलेक्टर कार्यालय में जमा करेगा।
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(9.2) प्रधान, सभापति, जिला प्रमुख एवं मुख्यमंत्री : यदि कोई मतदाता प्रधान, सभापति या जिला प्रमुख बनना चाहता है तो वह जिला कलेक्टर कार्यालय में किसी भी दिन अपना शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है। प्रधान एवं सभापति के लिए जमानत राशि विधायक के बराबर एवं जिला प्रमुख के लिए यह राशि सांसद की जमानत राशि के बराबर होगी। कलेक्टर शपथपत्र को स्कैन करके जिला वेबसाईट पर रखेगा और प्रत्याशियों को एक विशिष्ट सीरियल नंबर जारी करेगा।
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(9.3) जूरी प्रशासक : जिले का कोई भी नागरिक जिसकी आयु 32 वर्ष से अधिक हो तो वह जिला जूरी प्रशासक पद का आवेदन करने के लिए कलेक्टर कार्यालय में अपना शपथपत्र प्रस्तुत कर सकेगा।
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(10) मतदाता द्वारा प्रत्याशियों का समर्थन करने के लिए हाँ दर्ज करना :
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(10.1) कोई भी नागरिक किसी भी दिन अपनी वोट वापसी पासबुक या मतदाता पहचान पत्र के साथ पटवारी कार्यालय में जाकर सरपंच, प्रधान, जिला प्रमुख, पार्षद, सभापति, जूरी प्रशासक एवं मुख्यमंत्री के प्रत्याशियों के समर्थन में हाँ दर्ज करवा सकेगा। पटवारी अपने कम्प्यूटर एवं वोट वापसी पासबुक में मतदाता की हाँ को दर्ज करके रसीद देगा। पटवारी मतदाताओं की हाँ को प्रत्याशीयों के नाम एवं मतदाता की पहचान-पत्र संख्या के साथ जिले की वेबसाईट पर भी रखेगा। मतदाता किसी पद के प्रत्याशीयों में से अपनी पसंद के अधिकतम 5 व्यक्तियों को स्वीकृत कर सकता है।
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(10.2) स्वीकृति ( हाँ ) दर्ज करने के लिए मतदाता 3 रूपये फ़ीस देगा। BPL कार्ड धारक के लिए फ़ीस 1 रुपया होगी
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(10.3) यदि कोई मतदाता अपनी स्वीकृती रद्द करवाने आता है तो पटवारी एक या अधिक नामों को बिना कोई फ़ीस लिए रद्द कर देगा। यदि मतदाता अपनी स्वीकृति SMS द्वारा दर्ज करता है तो सभी मतदाताओ के लिए शुल्क 50 पैसा रहेगा
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(10.4) प्रत्येक सोमवार को महीने की 5 तारीख को, कलेक्टर पिछले महीने के अंतिम दिन तक प्राप्त प्रत्येक प्रत्याशियों को मिली स्वीकृतियों की गिनती प्रकाशित करेगा। पटवारी अपने क्षेत्र की स्वीकृतियो का यह प्रदर्शन प्रत्येक सोमवार को करेगा। मुख्यमंत्री की स्वीकृतियों का प्रदर्शन राज्य के मुख्य सचिव द्वारा भी किया जाएगा।
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[ टिपण्णी : कलेक्टर ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता अपनी स्वीकृति SMS, ATM एवं मोबाईल एप द्वारा दर्ज करवा सके।
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रेंज वोटिंग - प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता किसी प्रत्याशी को -100 से 100 के बीच अंक दे सके। यदि मतदाता सिर्फ हाँ दर्ज करता है तो इसे 100 अंको के बराबर माना जाएगा। यदि मतदाता अपनी स्वीकृति दर्ज नही करता तो इसे शून्य अंक माना जाएगा । किन्तु यदि मतदाता अंक देता है तब उसके द्वारा दिए अंक ही मान्य होंगे। रेंज वोटिंग की ये प्रक्रिया स्वीकृति प्रणाली से बेहतर है, और ऐरो की व्यर्थ असम्भाव्यता प्रमेय ( Arrow’s Useless Impossibility Theorem ) से प्रतिरक्षा प्रदान करती है। ]
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(11) सरपंच एवं पार्षद के लिए परिक्षण -चुनाव की शर्तें :
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(11.1) यदि कोई प्रत्याशी निचे लिखी गयी 3 शर्तें पूरी कर लेता है तो सरपंच इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री से विनती कर सकता है कि वे अमुक पंचायत में सरपंच का परिक्षण-चुनाव ( Test-Election ) आयोजित करें । यदि सरपंच 7 दिनों के भीतर अपना इस्तीफा नहीं देता है तो मुख्यमंत्री अमुक पंचायत में सरपंच का परिक्षण-चुनाव कराने का फैसला ले सकते है, या नहीं भी ले सकते है।
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(11.1.1) यदि अमुक प्रत्याशी की स्वीकृतियों की संख्या सरपंच की वर्तमान स्वीकृतियों से अधिक है।
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(11.1.2) यदि अमुक प्रत्याशी की स्वीकृतियों की संख्या सरपंच को पिछले चुनाव में मिले वोटो की संख्या से भी अधिक है।
(11.1.3) स्वीकृतियों का यह आधिक्य यदि सरपंच के मतदान क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं का 10% से अधिक भी है।
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स्पष्टीकरण : मान लीजिये कि किसी मतदान क्षेत्र में कुल 5,000 मतदाता है, और पिछले चुनाव में मौजूदा सरपंच को 2000 वोट प्राप्त हुए थे तो परिक्षण-चुनाव सिर्फ तब होगा जब किसी प्रत्याशी को कम से कम 2000+500=2500 से अधिक स्वीकृतियां मिले। यहाँ कुल मतदाता 5000 है अत: इसका 10% = 500 को 2000 में जोड़ा गया है। आशय यह है कि, यदि किसी प्रत्याशी को 2400 स्वीकृतियां मिल जाती है, तो परिक्षण-चुनाव नहीं होगा और मौजूदा सरपंच को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है । किन्तु यदि किसी प्रत्याशी को 2500 से अधिक स्वीकृतियां मिल जाती है तो सरपंच इस्तीफा दे सकता है या मुख्यमंत्री अमुक पंचायत में परिक्षण-चुनाव कराने का फैसला ले सकते है।
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(11.2) नगर परिषद वार्ड पार्षद के परिक्षण चुनाव के लिए भी शर्तें यही होगी जो धारा (11.1) में सरपंच के लिए बतायी गयी है।
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(12) सरपंच एवं नगर परिषद वार्ड पार्षद के परिक्षण-चुनाव की प्रक्रिया :
यदि धारा (11.1) में बतायी गयी तीनो शर्तें पूरी हो जाती है, तो परिक्षण-चुनाव आयोजित किये जायेंगे। परिक्षण चुनाव के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा :
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(12.1) मतपत्र पर कुल 6 प्रत्याशियों के नाम होंगे और सबसे ऊपर मौजूदा सरपंच का नाम रहेगा। शेष 5 प्रत्याशी वे होंगे जिन्होने सरपंच के प्रत्याशी के रूप में सबसे ज्यादा स्वीकृतियां प्राप्त की है। पदासीन सरपंच को इस चुनाव के लिए न तो फॉर्म भरने की जरूरत होगी और न ही जमानत राशि देनी होगी। पदासीन सरपंच को वही चिन्ह आवंटित किया जाएगा जिस चिन्ह पर उसने पूर्व चुनाव जीता है। शेष 5 प्रत्याशियों को जमानत राशि देकर नामांकन पत्र दाखिल करना होगा।
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(12.2) यदि परिक्षण-चुनाव में कोई प्रत्याशी इतने वोट प्राप्त कर लेता है कि निचे दी गयी शर्तें पूरी हो जाती है तो पदासीन सरपंच के जगह पर अमुक प्रत्याशी को सरपंच नियुक्त कर दिया जाएगा :
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(12.2.1) यदि किसी प्रत्याशी को पंचायत की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं ( सभी, न कि केवल वे जिन्होंने वोट किया है ) के 50% से अधिक वोट प्राप्त हो जाते है।
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(12.2.2) यदि ये वोट सरपंच को पिछले चुनाव में मिले वोटो से उतने अधिक है, जितना पंचायत की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं का 10% होता है।
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स्पष्टीकरण : मान लीजिये कि किसी पंचायत के मतदान क्षेत्र में कुल 5,000 मतदाता है, और पिछले चुनाव में मौजूदा सरपंच को 2,500 वोट प्राप्त हुए थे तो नए सरपंच को कम से कम 2,500+500=3,000 वोट लाने होंगे। यहाँ कुल मतदाता 5000 है अत: इसका 10% = 500 को 2,500 में जोड़ा गया है। अब मान लीजिये कि सह-चुनाव में कोई प्रत्याशी 2,500 वोट लाता है और पदासीन सरपंच को 1,500 वोट ही मिलते है तब भी मौजूदा सरपंच ही सरपंच बना रहेगा।
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(12.3) नगर परिषद वार्ड पार्षद के लिए परीक्षण चुनाव : पार्षद के परिक्षण चुनाव के लिए भी ठीक उसी समीकरण ( फार्मूले ) का पालन किया जाएगा जो धारा 12.2 में सरपंच के लिए बताया गया है।
(13) प्रधान, जिला प्रमुख एवं जूरी प्रशासक की नियुक्ति एवं निष्कासन
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(13.1) तहसील प्रधान के लिए : यदि किसी पंचायत समिती की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक मतदाता प्रधान के किसी प्रत्याशी के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है, और यदि ये स्वीकृतियां मौजूदा प्रधान की स्वीकृतियों से 5% अधिक भी है तो मौजूदा प्रधान इस्तीफा दे सकता है । यदि प्रधान 7 दिवस में इस्तीफा नहीं देता है तो मुख्यमंत्री उसे नौकरी से निकाल कर सबसे अधिक स्वीकृतियां पाने वाले प्रत्याशी की नियुक्ति प्रधान के रूप में कर सकते है, या नहीं भी कर सकते है।
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(13.2) जिला प्रमुख के लिए : यदि किसी जिले की समस्त पंचायत समितियों की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक मतदाता जिला पंचायत प्रमुख के किसी प्रत्याशी के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है, और यदि ये स्वीकृतियां मौजूदा जिला प्रमुख की स्वीकृतियों से 1% अधिक भी है तो मुख्यमंत्री अमुक प्रत्याशी की नियुक्ति जिला प्रमुख के रूप में कर सकते है, या नहीं भी कर सकते है।
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(13.3) जिला जूरी प्रशासक : यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक मतदाता किसी उम्मीदवार के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है और यदि ये स्वीकृतियां मौजूदा जूरी प्रशासक की स्वीकृतियों से 1% अधिक भी है तो मुख्यमंत्री अमुक व्यक्ति को जूरी प्रशासक की नौकरी दे सकते है।
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(14) मुख्यमंत्री की नियुक्ति एवं निष्कासन :
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यदि मुख्यमंत्री का कोई प्रत्याशी निम्नलिखित शर्तें पूरी कर लेता है :
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(14.1) वह मौजूदा मुख्यमंत्री से 1% अधिक स्वीकृतियां प्राप्त कर लेता है।
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(14.2) यदि ये स्वीकृतियां राज्य की मतदाता सूचियों में दर्ज कुल मतदाताओ के 35% से भी अधिक है।
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(14.3) यदि स्वीकृतियों की यह संख्या उन विधायको को मिले वोटो से भी अधिक है, जितने विधायको का समर्थन मुख्यमंत्री को प्राप्त है।
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यदि ऊपर दी गयी तीनो शर्तें पूरी हो जाती है तो मौजूदा मुख्यमंत्री इस्तीफा दे सकता है। यदि मुख्यमंत्री 7 दिनों के भीतर इस्तीफा नहीं देता है तो विधायक मौजूदा मुख्यमंत्री को नौकरी से निकाल कर किसी अन्य विधायक को मुख्यमंत्री की नौकरी दे सकते है या नहीं भी दे सकते है, अथवा अपने इस्तीफे देकर नए विधानसभा चुनाव घोषित कर सकते है, या नहीं भी कर सकते है, अथवा प्रधानमंत्री राष्ट्रपति शासन लगाकर राज्य में नए चुनावों की घोषणा कर सकते है या नहीं भी कर सकते है।
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स्पष्टीकरण : मान लीजिये कि किसी राज्य में
(1) कुल 3 करोड़ मतदाता तथा 200 विधानसभा सीट है ,
(2) राज्य का मुख्यमंत्री X है, और X की स्वीकृतियों की संख्या 1 करोड़ है,
(3) सदन में X को 120 विधायको का समर्थन हासिल है,
(4) इन 120 विधायको को चुनाव में मिले कुल मतों योग 1 करोड़ 20 लाख है,
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और ऐसे में यदि Y को 1 करोड़ 30 लाख स्वीकृतियां मिल जाती है तो धारा 14 में दी गयी तीनो शर्तें पूरी हो जायेगी।
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(15) सभापति की नियुक्ति एवं निष्कासन :
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सभापति को बदलने के लिए किसी प्रत्याशी को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होगी -
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(15.1) यदि अमुक प्रत्याशी की स्वीकृतियों की संख्या सभापति की वर्तमान स्वीकृतियों से अधिक है।
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(15.2) यदि अमुक प्रत्याशी की स्वीकृतियों की संख्या सभापति को चुनाव में मिले वोटो की संख्या से भी अधिक है।
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(15.3) स्वीकृतियों का यह आधिक्य यदि सभापति के मतदान क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 2% से अधिक भी है।
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यदि सभापति का कोई प्रत्याशी उपरोक्त तीनो शर्तें पूरी कर लेता है तो सभापति इस्तीफा दे सकता है। यदि सभापति 7 दिनों के भीतर इस्तीफा नहीं देता है तो मुख्यमंत्री उसे नौकरी से निकालकर परिक्षण चुनाव करवाने का आदेश जारी कर सकते है। परिक्षण चुनाव की प्रक्रिया एवं उसमे जीत हार का समीकरण वही रहेगा जैसा धारा (12.2) में बताया गया है।
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स्पष्टीकरण : मान लीजिये कि किसी किसी नगर परिषद क्षेत्र में कुल 2,00,000 मतदाता है, और चुनाव में मौजूदा सभापति को 70,000 वोट प्राप्त हुए थे तो परिक्षण चुनाव सिर्फ तब संचालित किया जाएगा जब किसी प्रत्याशी को कम से कम 70,000+4,000=74,000 से अधिक स्वीकृतियां मिले। यहाँ कुल मतदाता 2 लाख है अत: इसका 2% = 4,000 को 70,000 में जोड़ा गया है। आशय यह है कि, यदि किसी प्रत्याशी को 72,000 स्वीकृतियां मिलती है, तो परिक्षण-चुनाव नहीं होगा।
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(16) सरपंच एवं पार्षद के लिए सह-चुनाव की अतिरिक्त प्रक्रिया ( Co-Election )
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(16.1) मुख्यमंत्री एवं राज्य के सभी मतदाता राज्य चुनाव आयुक्त से विनती करते है कि, जब भी जिले में कोई भी जिला पंचायत चुनाव, ग्राम पंचायत चुनाव, तहसील पंचायत चुनाव, सांसद का चुनाव, विधायक का चुनाव या अन्य कोई भी चुनाव करवाया जाएगा तो इन चुनावों के साथ राज्य चुनाव आयुक्त सरपंच के चुनाव के लिए भी मतदान कक्ष में एक अलग से मतपत्र पेटी रखेगा, ताकि मतदाता यह तय कर सके कि वे मौजूदा सरपंच की नौकरी चालू रखना चाहते है या किसी अन्य व्यक्ति को यह नौकरी देना चाहते है।
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(16.2) सह चुनाव की प्रक्रिया ठीक वैसी ही होगी जैसी धारा (12.2) में सरपंच के परिक्षण चुनाव में बतायी गयी है। सह चुनाव में भी मतपत्र में कुल 6 प्रत्याशियों के नाम होंगे और सबसे ऊपर मौजूदा सरपंच का नाम रहेगा। शेष 5 प्रत्याशी वे होंगे जिन्होने सरपंच के प्रत्याशी के रूप में सबसे ज्यादा स्वीकृतियां प्राप्त की है। पदासीन सरपंच को सह-चुनाव के लिए न तो फॉर्म भरने की जरूरत होगी और न ही जमानत राशि देनी होगी। सह चुनाव में भी पदासीन सरपंच को वही चिन्ह आवंटित किया जाएगा जिस चिन्ह पर उसने पूर्व चुनाव जीता है। जीत हार का समीकरण ( फार्मूला ठीक वही रहेगा जैसा परिक्षण चुनाव में बताया गया है।
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(16.3) पार्षद के लिए सह-चुनाव की प्रक्रिया : जब भी जिले में कोई भी जिला पंचायत चुनाव, ग्राम पंचायत चुनाव, तहसील पंचायत चुनाव, सांसद का चुनाव, विधायक का चुनाव या अन्य कोई भी चुनाव करवाया जाएगा तो इन चुनावों के साथ राज्य चुनाव आयुक्त पार्षद के चुनाव के लिए भी मतदान कक्ष में एक अलग से मतपत्र पेटी रखेगा, ताकि के मतदाता यह तय कर सके कि वे मौजूदा वार्ड पार्षद की नौकरी चालू रखना चाहते है या किसी अन्य व्यक्ति को यह नौकरी देना चाहते है। इस प्रक्रिया का संचालन वैसे ही किया जाएगा जैसा सरपंच के लिए बताया गया है।
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(17) शिकायतों की सुनवाई के लिए जूरी मंडलों का गठन
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[ टिप्पणी : मुख्यमंत्री जूरी मंडल के गठन एवं संचालन के लिए आवश्यक विस्तृत प्रक्रियाएं गेजेट में प्रकाशित करेंगे, जिन्हें इस क़ानून में जोड़ा जायेगा। मुख्यमंत्री के अलावा कोई अन्य मतदाता भी इसी क़ानून की धारा 20.1 का प्रयोग करते हुए ऐसी आवश्यक प्रक्रियाएं जोड़ने का शपथपत्र दे सकता है। ]
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(17.1) जूरी प्रशासक जिले की मतदाता सूची में से लॉटरी द्वारा 25 से 50 आयु वर्ग के 60 लोगो को चुनेगा और इसमें से 30 सदस्यीय महाजूरी मंडल की नियुक्ति करेगा। इनमे से हर 10 दिन में 10 सदस्य सेवानिवृत होंगे और नए 10 सदस्यो का चयन मतदाता सूची में से लॉटरी द्वारा कर लिया जाएगा। यह महाजूरी मंडल निरंतर काम करता रहेगा। महाजूरी सदस्य प्रत्येक शनिवार एवं रविवार को बैठक करेंगे। बैठक सुबह 11 बजे से पहले शुरू हो जानी चाहिए और बैठक सांय 5 बजे तक चलेगी। जूरी सदस्यों को प्रति उपस्थिति 600 रू एवं यात्रा व्यय मिलेगा।
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(17.2) जूरी प्रशासक प्रत्येक तहसील के लिए एक तहसील जूरी प्रशासक की नियुक्ति भी करेगा। तहसील जूरी प्रशासक अपनी तहसील में 20 सदस्यीय तहसील महाजूरी मंडल का गठन करेंगे। तहसील महाजूरी मंडल के गठन के लिए तहसील की मतदाता सूचियों का प्रयोग किया जाएगा । जूरी मंडल के गठन एवं बैठको की शेष प्रक्रिया जिला महाजूरी मंडल के समान ही रहेगी।
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(17.3) यदि धारा धारा 01 एवं धारा 02 में दिए गए किसी भी अधिकारी / जनप्रतिनिधि या उसके स्टाफ के खिलाफ कोई नागरिक शिकायत है तो वादीगण अपने मामले की शिकायत सम्बंधित तहसील / जिला महाजूरी मंडल के सदस्यों को लिख कर दे सकते है। यदि महाजूरी मंडल के सदस्य मामले को निराधार पाते है तो शिकायत खारिज कर सकते है । यदि महाजूरी मंडल शिकायत स्वीकार कर लेता है तो महाजूरी मंडल मामले की सुनवाई करेगा। महाजूरी मंडल चाहे तो खुद सुनवाई कर सकता है, और यदि मामले ज्यादा है तो सुनवाई के लिए अलग से जूरी मंडल का गठन भी कर सकता है।
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(17.4) तहसील स्तर के अधिकारीयों एवं जनप्रतिनिधियों की शिकायतें तहसील के महाजूरी मंडल में की जायेगी, तथा इसकी अपील जिला महाजूरी मंडल में होगी। तहसील स्तर की जूरी का गठन तहसील की मतदाता सूचियों से एवं अपील की जूरी का गठन जिले की मतदाता सूचियों से किया जाएगा।
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(18) जूरी मंडल द्वारा शिकायतों की सुनवाई :
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(18.1) यदि किसी अधिकारी / जनप्रतिनिधि के खिलाफ महाजूरी मंडल द्वारा एक से अधिक शिकायतें स्वीकृत कर ली जाती है, महाजूरी मंडल सुनवाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। किसी अधिकारी / जनप्रतिनिधि के खिलाफ जितनी शिकायतें आई है उनकी सुनवाई 15 दिन में एक बार ही होगी। उदाहरण के लिए यदि पटवारी या तहसीलदार के खिलाफ 1 तारीख से 15 तारीख के बीच जितनी शिकायतें है उनकी सुनवाई 16 तारीख को और 16 तारीख के बाद में आई शिकायतों की सुनवाई महीने के आखिरी दिन होगी।
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(18.2) जब वादीगण शिकायत लिखेंगे तो अनिवार्य रूप से इसमें यह भी दर्ज करेंगे कि उन्हें इसका क्या समाधान चाहिए। साथ ही वे अधिकारी / जनप्रतिनिधि पर कोई आर्थिक दंड लगाने की मांग भी इसमें लिख सकते है। जुर्माने या क्षतिपूर्ति की मांग करने पर वे इसकी सीमा भी अपनी शिकायत में लिखेंगे।
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(18.3) मामला सुनने के बाद महाजूरी मंडल बहुमत से अपना फैसला देगा। यदि जुर्माना लगाया गया है तो यह जुर्माना अधिकारी / जनप्रतिनिधि के वेतन से काट लिया जायेगा। यदि जुर्माने की राशि अमुक अधिकारी के वेतन के 50% से अधिक है तो कम से कम दो तिहाई जूरी सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता होगी । अधिकारी को नौकरी से निकालने एवं ट्रांसफर करने का फैसले को कम से कम 75% जूरी सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाएगा।
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(18.4) यदि सुनवाई के दौरान महाजूरी मंडल के सदस्य यह पाते है कि वादीगण ने झूठे तथ्यों को प्रस्तुत किया है, या शिकायत एकदम मनगड़ंत एवं फर्जी थी तो समय खराब करने के एवज में जूरी सदस्य शिकायतकर्ताओ पर भी जुर्माना लगा सकते है।
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(18.5) महाजूरी मंडल के फैसले के खिलाफ यदि कोई भी पक्षकार अपील दायर करता है तो जिला महाजूरी मंडल जिले की मतदाता सूचियों में से एक नयी जूरी का गठन करेगा। इस जूरी का आकार उस जूरी मंडल से बड़ा होगा जिस जूरी मंडल ने इस मामले की सुनवाई करके फैसला दिया था वह जूरी प्रशासक के सामने अपील दायर कर सकता है। जटिलता एवं आरोपी की हैसियत के अनुसार महाजूरी मंडल तय करेगा कि 15-1500 के बीच में कितने सदस्यों की जूरी बुलाई जानी चाहिए। तब जूरी प्रशासक मतदाता सूची से लॉटरी द्वारा सदस्यों का चयन करते हुए जूरी मंडल का गठन करेगा और मामला इन्हें सौंप देगा।
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(18.6) अब यह जूरी मंडल दोनों पक्षों, गवाहों आदि को सुनकर फैसला देगा। अपील की जूरी में दो तिहाई सदस्यों द्वारा मंजूर किये गये निर्णय को जूरी का फैसला माना जाएगा। प्रत्येक मामले की सुनवाई के लिए अलग से जूरी मंडल होगा, और फैसला देने के बाद जूरी भंग हो जाएगी।
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(19) जूरी मंडलों के फैसलों का पालन : जूरी मंडल के फैसले परामर्श कारी होंगे । मुख्यमंत्री या सम्बंधित विभाग का मंत्री जूरी मंडल द्वारा दिए गए किसी फैसले में संशोधन कर सकते है, उसमे बदलाव कर सकते है, या उसे पूरी तरह से पलट सकते है। किन्तु मंत्री स्तर से कम का कोई भी अधिकारी जूरी मंडल द्वारा दिए गए फैसले में बदलाव नहीं कर सकेगा। जूरी द्वारा यदि किसी अधिकारी को दोषी ठहराया जाता है तो इसे अधिकारी का मूल्यांकन करने वाली सर्विस बुक में दर्ज किया जाएगा, तथा पदोन्नति, स्थानांतरण आदि के मूल्यांकन में इस तथ्य को आधार माना जाएगा।
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(20) जनता की आवाज :
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(20.1) यदि कोई मतदाता इस कानून में कोई परिवर्तन चाहता है तो वह कलेक्टर कार्यालय में एक एफिडेविट जमा करवा सकेगा। जिला कलेक्टर 20 रूपए प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर एफिडेविट को मतदाता के वोटर आई.डी नंबर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन करके रखेगा।
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(20.2) यदि कोई मतदाता धारा 20.1 के तहत प्रस्तुत किसी एफिडेविट पर अपना समर्थन दर्ज कराना चाहे तो वह पटवारी कार्यालय में 3 रूपए का शुल्क देकर अपनी हां / ना दर्ज करवा सकता है। पटवारी इसे दर्ज करेगा और हाँ / ना को मतदाता के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।
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[ टिपण्णी : यह क़ानून लागू होने के 4 वर्ष बाद यदि व्यवस्था में सकारात्मक एवं निर्णायक बदलाव आते है तो कोई भी नागरिक इस कानून की धारा 20.1 के तहत एक शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है, जिसमे उन कार्यकर्ताओ को सांत्वना के रूप में कोई औचित्य पूर्ण प्रतिफल देने का प्रस्ताव होगा, जिन्होंने इस क़ानून को लागू करवाने के गंभीर प्रयास किये है। यह प्रतिफल किसी स्मृति चिन्ह / प्रशस्ति पत्र आदि के रूप में हो सकता है। यदि कोई कार्यकर्ता तब जीवित नही है तो प्रतिफल उसके नोमिनी को दिया जाएगा। यदि राज्य के 51% नागरिक इस शपथपत्र पर हाँ दर्ज कर देते है तो प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री इन्हें लागू करने के आदेश जारी कर सकते है, या नहीं भी कर सकते है। ]
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======ड्राफ्ट का समापन=====
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इस क़ानून को गेजेट में प्रकाशित करवाने के लिए एक आम मतदाता के रूप में आप क्या सहयोग कर सकते है ?
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1. कृपया “ मुख्यमंत्री कार्यालय ” के पते पर पोस्टकार्ड लिखकर इस क़ानून की मांग करें। पोस्टकार्ड में यह लिखे :
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मुख्यमंत्री जी, प्रस्तावित जूरी पंचायत क़ानून को गेजेट में छापे - #JuryPanchayat , #VoteVapsiPassbook , #P20180436110
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2. ऊपर दी गयी इबारत उसी तरफ लिखे जिस तरफ पता लिखा जाता है। पोस्टकार्ड भेजने से पहले पोस्टकार्ड की एक फोटो कॉपी करवा ले। यदि आपको पोस्टकार्ड नहीं मिल रहा है तो अंतर्देशीय पत्र ( inland letter ) भी भेज सकते है।
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3. प्रधानमन्त्री / मुख्यमंत्री जी से मेरी मांग नाम से एक रजिस्टर बनाएं। लेटर बॉक्स में डालने से पहले पोस्टकार्ड की जो फोटो कॉपी आपने करवाई है उसे अपने रजिस्टर के पन्ने पर चिपका देवें। फिर जब भी आप पीएम को किसी मांग की चिट्ठी भेजें तब इसकी फोटो कॉपी रजिस्टर के पन्नो पर चिपकाते रहे। इस तरह आपके पास भेजी गयी चिट्ठियों का रिकॉर्ड रहेगा।
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4. आप किसी भी दिन यह चिट्ठी भेज सकते है। किन्तु इस क़ानून ड्राफ्ट के लेखको का मानना है कि सभी नागरिको को यह चिठ्ठी महीने की एक निश्चित तारीख को और एक तय वक्त पर ही भेजनी चाहिए।
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तय तारीख व तय वक्त पर ही क्यों ?
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4.1. यदि चिट्ठियां एक ही दिन भेजी जाती है तो इसका ज्यादा प्रभाव होगा, और मुख्यमंत्री कार्यालय को इन्हें गिनने में भी आसानी होगी। चूंकि नागरिक कर्तव्य दिवस 5 तारीख को पड़ता है अत: पूरे देश में सभी शहरो के लिए चिट्ठी भेजने के लिए महीने की 5 तारीख तय की गयी है। तो यदि आप चिट्ठी भेजते है तो 5 तारीख को ही भेजें।
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4.2. शाम को 5 बजे इसलिए ताकि पोस्ट ऑफिस के स्टाफ को इससे अतिरिक्त परेशानी न हो। अमूमन 3 से 5 बजे के बीच लेटर बॉक्स खाली कर लिए जाते है, अब मान लीजिये यदि किसी शहर से 100-200 नागरिक चिट्ठी डालते है तो उन्हें लेटर बॉक्स खाली मिलेगा, वर्ना भरे हुए लेटर बॉक्स में इतनी चिट्ठियां आ नहीं पाएगी जिससे पोस्ट ऑफिस व नागरिको को असुविधा होगी। और इसके बाद पोस्ट मेन 6 बजे पोस्ट बॉक्स खाली कर सकता है, क्योंकि जल्दी ही वे जान जायेंगे कि पीएम को निर्देश भेजने वाले जिम्मेदार नागरिक 5-6 के बीच ही चिट्ठियां डालते है। इससे उन्हें इनकी छंटनी करने में अपना अतिरिक्त वक्त नहीं लगाना पड़ेगा। अत: यदि आप यह चिट्ठी भेजते है तो कृपया 5 बजे से 6 बजे के बीच ही लेटर बॉक्स में डाले। यदि आप 5 तारीख को चिट्ठी नहीं भेज पाते है तो फिर अगले महीने की 5 तारीख को भेजे।
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4.3. आप यह चिट्ठी किसी भी लेटर बॉक्स में डाल सकते है, किन्तु हमारे विचार में यथा संभव इसे शहर या कस्बे के हेड पोस्ट ऑफिस के बॉक्स में ही डाला जाना चाहिए। क्योंकि हेड पोस्ट ऑफिस का लेटर बॉक्स अपेक्षाकृत बड़ा होता है, और वहां से पोस्टमेन को चिट्ठियाँ निकालकर ले जाने में ज्यादा दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती ।
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5. यदि आप फेसबुक पर है तो प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री जी से मेरी मांग नाम से एक एल्बम बनाकर रजिस्टर पर चिपकाए गए पेज की फोटो इस एल्बम में रखें।
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6. यदि आप ट्विटर पर है तो मुख्यमंत्री जी को रजिस्टर के पेज की फोटो के साथ यह ट्विट करें :
@Cmo... , कृपया यह क़ानून गेजेट में छापें - #JuryPanchayat , #VoteVapsiPassbook , #P20180436110
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7. Pm / Cm को चिट्ठी भेजने वाले नागरिक यदि आपसी संवाद के लिए कोई मीटिंग वगेरह करना चाहते है तो वे स्थानीय स्तर पर महीने के दुसरे रविवार यानी सेकेण्ड सन्डे को प्रात: 10 बजे मीटिंग कर सकते है। मीटिंग हमेशा सार्वजनिक स्थल पर रखी जानी चाहिए। इसके लिए आप कोई मंदिर या रेलवे-बस स्टेशन के परिसर आदि चुन सकते है। 2nd Sunday के अतिरिक्त अन्य दिनों में कार्यकर्ता निजी स्थलों पर मीटिंग वगेरह रख सकते है, किन्तु महीने के द्वितीय रविवार की मीटिंग सार्वजनिक स्थल पर ही होगी। इस सार्वजनिक मीटिंग का समय भी अपरिवर्तनीय रहेगा।
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8. अहिंसा मूर्ती महात्मा उधम सिंह जी से प्रेरित यह एक विकेन्द्रित जन आन्दोलन है। (20) धाराओं का यह ड्राफ्ट ही इस आन्दोलन का नेता है। यदि आप भी यह मांग आगे बढ़ाना चाहते है तो अपने स्तर पर जो भी आप कर सकते है करें। यह कॉपी लेफ्ट प्रपत्र है, और आप इस बुकलेट को अपने स्तर पर छपवाकर नागरिको में बाँट सकते है। इस आन्दोलन के कार्यकर्ता धरने, प्रदर्शन, जाम, मजमे, जुलूस जैसे उन कदमों से बहुधा परहेज करते है जिससे नागरिको को परेशानी होकर समय-श्रम-धन की हानि होती हो। अपनी मांग को स्पष्ट रूप से लिखकर चिट्ठी भेजने से नागरिक अपनी कोई भी मांग Pm तक पहुंचा सकते है। इसके लिए नागरिको को न तो किसी नेता की जरूरत है और न ही मीडिया की।
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