23) रेगो – जिला एवं केन्द्रीय अधिकारीयों को प्रजा अधीन करने के लिए प्रस्तावित क़ानून

रेगो – जिला एवं केन्द्रीय अधिकारीयों को प्रजा अधीन करने के लिए प्रस्तावित क़ानून

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( REGO ; Proposal for Right to Expel Central & Disst Level Officers )

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( इस क़ानून ड्राफ्ट का पीडीऍफ़ एवं अन्य सम्बंधित जानकारी के लिए इस पोस्ट के पहले 3 कमेन्ट देखें। पीडीऍफ़ पेम्पलेट छपवाने और मोबाईल पर पढने के फोर्मेट में है। )

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इस कानून का सार : यह क़ानून स्कूलो-अस्पतालो-थानों-अदालतों-बैंक एवं मीडिया को सुधारने के लिए लिखा गया है। यह क़ानून 10 अधिकारीयों को वोट वापसी पासबुक के दायरे में लाता है। इस क़ानून को संसद से पास करने की जरूरत नही है। इसे प्रधानमंत्री सीधे गेजेट में छाप सकते है। #P20180436106

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यदि आप इस क़ानून का समर्थन करते है तो पीएम को एक पोस्टकार्ड भेजे । पोस्टकार्ड में यह लिखे :

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प्रधानमंत्री जी, कृपया प्रस्तावित रेगो क़ानून को गेजेट में छापे - #VoteVapsiPassbook , #Rego

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--------क़ानून ड्राफ्ट का प्रारम्भ--------

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[ टिप्पणी : इस ड्राफ्ट में दो भाग है - (I) नागरिकों के लिए सामान्य निर्देश, (II) नागरिकों और अधिकारियों के लिए निर्देश। टिप्पणियाँ इस क़ानून का हिस्सा नहीं है। नागरिक एवं अधिकारी टिप्पणियों का इस्तेमाल दिशा निर्देशों के लिए कर सकते है। ]

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भाग (I) नागरिको के लिए निर्देश :

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(01) इस क़ानून के गेजेट में छपने के 30 दिनों के भीतर आपको यानी प्रत्येक मतदाता को एक वोट वापसी पासबुक मिलेगी। निम्नलिखित 10 अधिकारी इस वोट वापसी पासबुक के दायरे में आयेंगे :

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1. जिला पुलिस प्रमुख

2. जिला शिक्षा अधिकारी

3. जिला चिकित्सा अधिकारी

4. जिला जज

5. मिलावट रोक अधिकारी

6. DD चेयरमेन

7. RBI गवर्नर

8. CBI डायरेक्टर

9. BSNL चेयरमेन

10. सेंसर बोर्ड चेयरमेन

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तब यदि आप ऊपर दिए गए किसी अधिकारी के काम-काज से संतुष्ट नहीं है, और उसे निकालकर किसी अन्य व्यक्ति को लाना चाहते है तो पटवारी कार्यालय में जाकर स्वीकृति के रूप में अपनी हाँ दर्ज करवा सकते है। आप अपनी हाँ SMS, ATM या मोबाईल APP से भी दर्ज करवा सकेंगे। आप किसी भी दिन अपनी स्वीकृति दे सकते है, या अपनी स्वीकृति रद्द कर सकते है। आपकी स्वीकृति की एंट्री वोट वापसी पासबुक में आएगी। यह स्वीकृति आपका वोट नही है। बल्कि यह एक सुझाव है।

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(02) यदि आपका नाम वोटर लिस्ट में है तो इस कानून के पारित होने के बाद आपको जूरी ड्यूटी के लिए बुलाया जा सकता है। ऊपर दिए गए 10 अधिकारी एवं उनके स्टाफ से सम्बंधित नागरिक शिकायतें जूरी ड्यूटी के दायरे में रहेगी। जूरी मंडल का चयन लॉटरी से किया जाएगा। यदि लॉटरी में आपका नाम निकल आता है तो आपको आरोपी, पीड़ित, गवाहों और दोनों पक्षों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत सबूत आदि देखकर बहस सुननी होगी और सजा / जुर्माना या रिहाई का फैसला देना होगा।

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भाग (II) : नागरिकों और अधिकारियों के लिए निर्देश

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(03) इस क़ानून में अभिभावक शब्द का अर्थ होगा - 0 से 18 वर्ष आयुवर्ग के बच्चो के पिता या उनकी माता, जो उस जिले का मतदाता भी हो। जब तक अभिभावको की सूची नहीं बनती, प्रत्येक मतदाता जो 23 और 45 वर्ष के बीच है, इस राजपत्र अधिसूचना के लिए अभिभावक माना जायेगा। अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी की नौकरी चालू रखने या निकाल दिए जाने के लिए हाँ दर्ज कर सकेंगे।

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(04) पुलिस प्रमुख, चिकित्सा अधिकारी, शिक्षा अधिकारी, जिला जज एवं जूरी प्रशासक के लिए आवेदन एवं योग्यताएं :

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(4.1) पुलिस प्रमुख के लिए : यदि 30 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी भारतीय नागरिक जो पिछले 3000 दिनों में 2400 से अधिक दिनों के लिए किसी जिले में पुलिस प्रमुख नहीं रहा हो, तथा जिसने 5 वर्षों से अधिक समय तक सेना में काम किया हो, या पुलिस विभाग में एक भी दिन काम किया हो, या सरकारी कर्मचारी के रूप में 10 वर्षों तक काम किया हो अथवा उसने राज्य लोक सेवा आयोग या संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रशासनिक सेवाओ की लिखित परीक्षा पास की हो, अथवा उसने विधायक या सांसद या पार्षद या जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव जीता हो, तो ऐसा व्यक्ति जिला पुलिस प्रमुख के प्रत्याशी के रूप में आवेदन कर सकेगा।

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(4.2) चिकित्सा अधिकारी के लिए : 30 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी भारतीय नागरिक जिसे ऐलोपेथी, आयुर्वेद, होम्योपेथ, यूनानी या भारत सरकार द्वारा स्वीकार की गयी इसके समकक्ष किसी अन्य चिकित्सा विज्ञान का मान्यता प्राप्त चिकित्सक होने के लिए आवश्यक जैसे MBBS, BAMS या इसके समकक्ष डिग्री प्राप्त किये हुए 5 वर्ष पूर्ण हो चुके हो, तो वह जिला चिकित्सा अधिकारी के लिए आवेदन कर सकेगा।

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(4.3) जिला जज के लिए : भारत का कोई भी नागरिक जिसकी आयु 35 वर्ष से अधिक हो एवं उसे वकालत की शिक्षा पूर्ण किये हुए 5 वर्ष हो चुके हो तो वह जिला जज पद के लिए आवेदन कर सकेगा।

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(4.4) शिक्षा अधिकारी एवं जूरी प्रशासक के लिए : भारत का कोई भी नागरिक जिसकी आयु 30 वर्ष से अधिक हो तो वह जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला न्यायवादी ( जूरी प्रशासक ) पद के लिए आवेदन कर सकेगा।

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(4.5) DD चेयरमेन, RBI गवर्नर, CBI डायरेक्टर एवं सेंसर बोर्ड चेयरमेन के लिए : 30 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी भारतीय नागरिक DD चेयरमेन , RBI गवर्नर , CBI डायरेक्टर या सेंसर बोर्ड चेयरमेन के लिए आवेदन कर सकेगा।

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(05) धारा 4 में दी गयी योग्यता धारण वाला कोई भी नागरिक यदि जिला कलेक्टर के सामने स्वयं या किसी वकील के माध्यम से ऐफिडेविट प्रस्तुत करता है, तो जिला कलेक्टर सांसद के चुनाव में जमा की जाने वाली राशि के बराबर शुल्क‍ लेकर अर्हित पद के लिए उसका आवेदन स्वीकार कर लेगा, तथा उसे एक विशिष्ट सीरियल नम्बर जारी करेगा।

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(06) मतदाता द्वारा प्रत्याशियों का समर्थन करने के लिए हाँ दर्ज करना :

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(6.1) कोई भी नागरिक किसी भी दिन अपनी वोट वापसी पासबुक या मतदाता पहचान पत्र के साथ पटवारी कार्यालय में जाकर धारा 01 में दिए गए पदों के किसी भी प्रत्याशी के समर्थन में हाँ दर्ज करवा सकेगा। पटवारी अपने कम्प्यूटर एवं वोट वापसी पासबुक में मतदाता की हाँ को दर्ज करके रसीद देगा। पटवारी मतदाताओं की हाँ को प्रत्याशीयों के नाम एवं मतदाता की पहचान-पत्र संख्या के साथ जिले की वेबसाईट पर भी रखेगा। मतदाता किसी पद के प्रत्याशीयों में से अपनी पसंद के अधिकतम 5 व्यक्तियों को स्वीकृत कर सकता है।

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(6.2) स्वीकृति ( हाँ ) दर्ज करने के लिए मतदाता 3 रूपये फ़ीस देगा। BPL कार्ड धारक के लिए फ़ीस 1 रुपया होगी

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(6.3) यदि कोई मतदाता अपनी स्वीकृती रद्द करवाने आता है तो पटवारी एक या अधिक नामों को बिना कोई फ़ीस लिए रद्द कर देगा ।

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(6.4) प्रत्येक सोमवार को महीने की 5 तारीख को, कलेक्टर पिछले महीने के अंतिम दिन तक प्राप्त प्रत्येक प्रत्याशियों को मिली स्वीकृतियों की गिनती प्रकाशित करेगा। पटवारी अपने क्षेत्र की स्वीकृतियो का यह प्रदर्शन प्रत्येक सोमवार को करेगा। धारा (4.5) में वर्णित केन्द्रीय स्तर के अधिकारियो की स्वीकृतियों का प्रदर्शन 5 तारीख को कैबिनेट सचिव द्वारा भी किया जाएगा।

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[ टिपण्णी : कलेक्टर ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता अपनी स्वीकृति SMS, ATM एवं मोबाईल एप द्वारा दर्ज करवा सके।

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रेंज वोटिंग - प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता किसी प्रत्याशी को -100 से 100 के बीच अंक दे सके। यदि मतदाता सिर्फ हाँ दर्ज करता है तो इसे 100 अंको के बराबर माना जाएगा। यदि मतदाता अपनी स्वीकृति दर्ज नही करता तो इसे शून्य अंक माना जाएगा । किन्तु यदि मतदाता अंक देता है तब उसके द्वारा दिए अंक ही मान्य होंगे। रेंज वोटिंग की ये प्रक्रिया स्वीकृति प्रणाली से बेहतर है, और ऐरो की व्यर्थ असम्भाव्यता प्रमेय ( Arrow’s Useless Impossibility Theorem ) से प्रतिरक्षा प्रदान करती है।]

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(07) पुलिस प्रमुख, शिक्षा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी एवं जूरी प्रशासक की नियुक्ति एवं निष्कासन :

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(7.1) पुलिस प्रमुख एवं शिक्षा अधिकारी के लिए : यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं ( सभी मतदाता, न कि केवल वे जिन्होंने स्वीकृति दर्ज की है ) के 50% से अधिक मतदाता किसी प्रत्याशी के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है तो मुख्यमंत्री इस्तीफा दे सकते है, या सबसे अधिक स्वीकृति प्राप्त करने वाले व्यक्ति को उस जिले में अगले 4 वर्ष के लिए नया जिला पुलिस प्रमुख या शिक्षा अधिकारी नियुक्त कर सकते है। इस बारे में मुख्यमंत्री का फैसला अंतिम होगा। यदि दिल्ली पुलिस प्रमुख का कोई उम्मीदवार 50% से अधिक स्वीकृति प्राप्त कर लेता है तो दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख सकते है, और दिल्ली पुलिस प्रमुख की नियुक्ति का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री करेंगे।

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(7.2) जिला चिकित्सा अधिकारी एवं जिला जूरी प्रशासक के लिए : यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक मतदाता किसी उम्मीदवार के पक्ष में "हाँ" दर्ज कर देते है और यदि यह स्वीकृतियां पदासीन अधिकारी से 1% अधिक भी है, तो मुख्यमंत्री उसकी नियुक्ति कर सकते है।

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(7.3) जिला जज के लिए : यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक मतदाता किसी प्रत्याशी के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है और यदि यह स्वीकृतियां पदासीन जज से 1% अधिक भी है, तो मुख्यमंत्री उसकी नियुक्ति की विनती के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को चिट्ठी लिख सकते है, या अपना इस्तीफा दे सकते है। नियुक्ति के बारे में अंतिम निर्णय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश करेंगे।

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(7.4) जिला शिक्षा अधिकारी के लिए : यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी अभिभावकों के 35% से अधिक अभिभावक किसी उम्मीदवार के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है और यदि यह स्वीकृतियां पदासीन अधिकारी से 1% अधिक भी है, तो मुख्यमंत्री उसकी नियुक्ति कर सकते है।

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(7.5) DD चेयरमेन , RBI गवर्नर , CBI डायरेक्टर , एवं सेंसर बोर्ड चेयरमेन के लिए : यदि किसी उम्मीदवार को देश की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं ( सभी मतदाता, न कि केवल वे जिन्होंने स्वीकृति दर्ज की है ) की 35% से अधिक स्वीकृतियां प्राप्त हो जाती है, और यदि यह स्वीकृतियां पदासीन अधिकारी से 1% अधिक भी है, तो प्रधानमंत्री मौजूदा अधिकारी को निकाल कर सबसे अधिक स्वीकृति पाने वाले उम्मीदवार की नियुक्ति सम्बंधित पद पर कर सकते है, या अपना इस्तीफा दे सकते है। नियुक्ति के बारे में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री का ही होगा।

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(08) जिला पुलिस प्रमुख के लिए गुप्त स्विकृतियोँ की अतिरिक्त प्रक्रिया एवं कार्यकाल :

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(8.1) प्रधानमंत्री एवं राज्य के सभी मतदाता राज्य चुनाव आयुक्त से विनती करते है कि, जब भी जिले में कोई आम चुनाव, जिला पंचायत चुनाव, ग्राम पंचायत चुनाव, तहसील पंचायत चुनाव, स्थानीय निकाय चुनाव, सांसद का चुनाव, विधायक का चुनाव या अन्य कोई भी चुनाव करवाया जाएगा तो इन चुनावों के साथ राज्य चुनाव आयुक्त एस.पी. के चुनाव के लिए भी मतदान कक्ष में एक अलग से मतपत्र पेटी रखेगा, ताकि जिले के मतदाता यह तय कर सके कि वे मौजूदा एस.पी. की नौकरी चालू रखना चाहते है या किसी अन्य व्यक्ति को एस.पी. की नौकरी देना चाहते है।

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(8.2) यदि कोई उम्मीदवार जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं (सभी, न कि केवल वे जिन्होंने वोट किया है ) के 50% से अधिक मत प्राप्त कर लेता है तो मुख्यमंत्री त्यागपत्र दे सकते है, या 50% से अधिक स्वीकृति प्राप्त करने वाले व्यक्ति को उस जिले में अगले 4 वर्ष के लिए जिला पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकते है। यदि दिल्ली पुलिस प्रमुख का कोई उम्मीदवार 50% से अधिक स्वीकृति प्राप्त कर लेता है, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख सकते है, और दिल्ली पुलिस प्रमुख की नियुक्ति का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री करेंगे।

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(09) यदि कोई व्यक्ति पिछले 3000 दिनों में 2400 से अधिक दिनों के लिए पुलिस प्रमुख रह चुका हो तो मुख्यमंत्री उसे अगले 600 दिनों के लिए जिला पुलिस प्रमुख के पद पर रहने की अनुमति नहीं देंगे । किन्तु यदि पुलिस प्रमुख गुप्त स्वीकृति की प्रक्रिया में जिले के 50% से अधिक मत प्राप्त कर लेता है तो मुख्यमंत्री उसे पद पर बनाए रख सकते है।

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(10) विशिष्ट परिस्थितियों में राज्य की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 50% से अधिक मतदाताओं की स्पष्ट स्वीकृति लेकर मुख्यमंत्री किसी जिले में पुलिस प्रमुख के लिए नागरिको द्वारा स्वीकृत करने की इस प्रक्रिया एवं उसके स्टाफ पर ज्यूरी ट्रायल को 4 वर्षों के लिए हटाकर अपने विवेकाधिकार से उस जिले में नया जिला पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकते है। किन्तु मुख्यमंत्री जिला शिक्षा अधिकारी, जिला जज एवं जिला चिकित्सा अधिकारी को स्वीकृत करने की प्रक्रियाए तब भी जारी रख सकते है।

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(11.1) मतदाताओ या अभिभावकों की स्वीकृति से नियुक्त हुआ शिक्षा अधिकारी एक से अधिक जिलो का भी शिक्षा अधिकारी बन सकता है। वह किसी राज्य में अधिक से अधिक 5 जिलों का, और भारत भर में अधिक से अधिक 20 जिलों का शिक्षा अधिकारी बन सकता है। कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में किसी जिले का शिक्षा अधिकारी 8 वर्षों से अधिक समय के लिए नहीं रह सकता है। यदि वह एक से अधिक जिलो का शिक्षा अधिकारी है तो उसे उन सभी जिलों के शिक्षा अधिकारी के पद का वेतन, भत्ता, बोनस आदि मिलेगा।

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(11.2) जिला शिक्षा अधिकारी को अभिभावक एवं आम नागरिक दोनों अपनी स्वीकृतियां दे सकेंगे। 35% अभिभावकों की सहमती से मुख्यमंत्री जिला शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति कर सकते है, और यदि आम नागरिक शिक्षा अधिकारी के किसी प्रत्याशी को 50% से अधिक स्वीकृतियां दे देते है तो नागरिको की मंशा को उच्च माना जायेगा।

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(12) पुलिस, शिक्षा, न्यायालय एवं चिकित्सा विभाग के मामलो का नागरिको की जूरी द्वारा निपटान

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[ टिप्पणी : प्रधानमंत्री जूरी मंडल के गठन एवं संचालन के लिए आवश्यक विस्तृत प्रक्रियाएं गेजेट में प्रकाशित करेंगे, जिन्हें इस क़ानून में जोड़ा जायेगा। प्रधानमंत्री के अलावा कोई अन्य मतदाता भी इसी क़ानून की धारा 15.1 का प्रयोग करते हुए ऐसी आवश्यक प्रक्रियाएं जोड़ने का शपथपत्र दे सकता है। ]

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(12.1) जूरी प्रशासक जिले की मतदाता सूची में से 30 सदस्यीय महाजूरी मंडल की नियुक्ति करेगा। इनमे से हर 10 दिन में 10 सदस्य सेवानिवृत होंगे और नए 10 सदस्यो का चयन मतदाता सूची में से लॉटरी द्वारा कर लिया जाएगा। यह महा जूरी मंडल निरंतर काम करता रहेगा। महा जूरी सदस्य को प्रति उपस्थिति 500 रू एवं यात्रा व्यय मिलेगा।

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(12.2). यदि पुलिस प्रमुख, शिक्षा अधिकारी, जिला जज, चिकित्सा अधिकारी या उनके स्टाफ से सम्बंधित कोई भी मामला है तो वादी अपने मामले की शिकायत महा जूरी मंडल के सदस्यों को लिख कर दे सकते है। यदि महा जूरी मंडल मामले को निराधार पाते है तो शिकायत खारिज कर सकते है, अथवा इस मामले की सुनवाई के लिए एक नए जूरी मंडल के गठन का आदेश दे सकते है।

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(12.3) मामले की जटिलता एवं आरोपी की हैसियत के अनुसार महा जूरी मंडल तय करेगा कि 15-1500 के बीच में कितने सदस्यों की जूरी बुलाई जानी चाहिए। तब जूरी प्रशासक मतदाता सूची से लॉटरी द्वारा सदस्यों का चयन करते हुए जूरी मंडल का गठन करेगा और मामला इन्हें सौंप देगा।

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(12.4) अब यह जूरी मंडल दोनों पक्षों, गवाहों आदि को सुनकर फैसला देगा। प्रत्येक जूरी सदस्य अपना फैसला बंद लिफ़ाफ़े में लिखकर ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर या जज को देंगे। दो तिहाई सदस्यों द्वारा मंजूर किये गये निर्णय को जूरी का फैसला माना जाएगा। किन्तु नौकरी से निकालने एवं नारको टेस्ट का फैसला लेने के लिए 75% सदस्यों के अनुमोदन की जरूरत होगी। जज या ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर सभी के सामने जूरी का निर्णय सुनायेंगे। यदि जज जूरी द्वारा दिए गए फैसले को खारिज करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। प्रत्येक मामले की सुनवाई के लिए अलग से जूरी मंडल होगा, और फैसला देने के बाद जूरी भंग हो जाएगी। पक्षकार चाहे तो फैसले की अपील उच्च जूरी मंडल में कर सकते है।

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(12.5) यदि DD चेयरमेन , RBI गवर्नर , CBI डायरेक्टर, सेंसर बोर्ड चेयरमेन या उनके स्टाफ से सम्बंधित कोई भी मामला है तो वादी अपने मामले की शिकायत दिल्ली राज्य के महाजूरी मंडल में कर सकते है। यदि मामला किसी अन्य राज्य या जिले का है और महा जूरी मंडल उचित समझता है तो महा जूरी मंडल अमुक मामले को सम्बंधित जिले में स्थानांतरित करने का फैसला ले सकते है।

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(13) जिला शिक्षा अधिकारी : सात्य प्रणाली के लिए निर्देश

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[ टिप्पणी : सात्य प्रणाली एक ऐसी व्यवस्था की रचना करती है जिससे हम गणित-विज्ञान के अध्यापन में उन लोगो को मुक्त रूप से आकर्षित कर सके जिनमे प्रतिभा एवं शिक्षण तत्व (टीचिंग मेटेरियल) है। साथ ही यह ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाशाली छात्रों को गणित विज्ञान में कुशलता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है।]

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(13.1) कोई भी व्यक्ति DEO ऑफिस में 200 रू जमा करके खुद को गणित-विज्ञान के शिक्षक के रूप में पंजीकृत करने के लिए एक शपथपत्र दे सकेगा। शिक्षा अधिकारी उसे पंजीकृत करेगा और एक रजिस्ट्रेशन नंबर जारी करेगा। इस शपथपत्र के साथ वह अपनी शिक्षा सम्बन्धी डिग्रियां, अनुभव आदि के दस्तावेज सलंग्न कर सकता है। यह शपथपत्र सार्वजनिक रहेगा ताकि अभिभावक इसे देख सके।

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(13.2) कोई भी छात्र शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जाकर खुद को एक छात्र के रूप में पंजीकृत करवा सकेगा।

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(13.3) पंजीकृत शिक्षक छात्रों को आकर्षित करेंगे और उन्हें स्वतन्त्र रूप से पढ़ायेंगे। पढ़ाने की जगह, ब्लेक बोर्ड, फर्नीचर आदि की व्यवस्था शिक्षक को स्वयं करनी होगी।

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(13.3.1) स्पष्टीकरण - यदि शिक्षक के पास 20 से अधिक छात्र हो जाते है तो DEO उसे किसी नजदीकी सरकारी स्कूल का कक्षा कक्ष आवंटित कर सकता है। अमुक शिक्षक अनुमति प्राप्त समय में अपने छात्रों को यहाँ पढ़ा सकता है। यदि निजी स्कूल अनुमति देता है तो DEO किसी निजी स्कूल का कक्ष भी शिक्षक को आवंटित कर सकता है।

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(13.4) शिक्षा अधिकारी शिक्षको को कोई भी वेतन नहीं देगा। यदि अभिभावक चाहे तो शिक्षक को उसके शिक्षण की गुणवत्ता एवं नतीजो के आधार पर फ़ीस दे सकते है।

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(13.5) यदि छात्र को पाठ समझ नहीं आ रहा है तो छात्र अपना शिक्षक किसी भी समय बदल सकता है। छात्र जब किसी एक शिक्षक के पास से अपना नाम कटवाएगा तो किसी अन्य शिक्षक के पास खुद को पंजीकृत करवाएगा।

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(13.6) शिक्षा अधिकारी सिलेबस / पाठ्यक्रम की एक प्रश्नमाला पहले से प्रकाशित करेगा। प्रश्नमाला में 10,000 से कम प्रश्न नहीं होंगे और ये प्रश्न 25,000 या उससे ज्यादा भी हो सकते है।

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(13.7) शिक्षा अधिकारी अनिवार्य रूप से मासिक, त्रेमासिक, अर्ध वार्षिक एवं वार्षिक परीक्षाएं आयोजित करवाएगा। इन सभी परीक्षाओं के प्रश्न अनिवार्य रूप से बहु वैकल्पिक प्रकार के होंगे।

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(13.😎 DEO जिले के परीक्षा परिणाम के आधार पर ग्रेडिंग करेगा तथा प्रदर्शन के अनुरूप शिक्षको को पुरूस्कार देगा। जितना पुरूस्कार शिक्षक को मिलेगा, उतना ही पुरूस्कार अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को भी दिया जाएगा।

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(13.8.1) स्पष्टीकरण- मान लीजिये कोई शिक्षक 30 छात्रों को पढाता है। इनमे से 3 छात्र "अ, ब एवं स” वरीयता सूची में स्थान पाते है, एवं 1 छात्र ‘द’ जिले में 100 वीं रेंक हासिल करता है। यदि वरीयता सूची के लिए DEO 25,000 रू एवं 100 वी रेंक के लिए 5000 रू पारितोषिक तय करता है तो शिक्षक 25,000*3 = 75,000 + 5000 =80,000 रू प्राप्त करेगा एवं इन छात्रों को भी क्रमश: 25,000 एवं 5,000 रू का पुरूस्कार देंगे।

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(13.9) गणित-विज्ञान के अतिरिक्त इतिहास, सामाजिक विज्ञान, भूगोल आदि विषयों से ग्रेड का निर्धारण नहीं होगा, एवं इन विषयों में छात्र को सिर्फ पास होना होगा। छात्र उपरोक्त विषयों में 100 में से 100 अंक लाता है तब भी मार्कशीट में सिर्फ पास अंकित किया जाएगा।

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(14) दूरदर्शन अध्यक्ष के लिए निर्देश

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(14.1) राष्ट्रिय स्तर पर दूरदर्शन को 5 स्वतंत्र चेनलो में विभाजित किया जाएगा। एक चैनल प्रधानमन्त्री के सीधे नियंत्रण में होगा, तथा अन्य 4 अपने अपने स्तर पर स्वतंत्र होंगे। इन सभी चेनल्स के अध्यक्ष वोट वापसी पासबुक के दायरे में होंगे, ताकि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनी रहे, और खबरों को दबाया न जा सके। निजी चेनल्स भी मुक्त रूप से प्रसारण के लिए स्वतंत्र होंगे।

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(14.2) प्रत्येक राज्य के पास दो चैनल अलग से होंगे। एक फ्री टू एयर तथा एक केबल के माध्यम से प्रसारित होने वाला। राज्यों के दूरदर्शन अध्यक्ष भी वोट वापसी के दायरे आयेंगे।

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(14.3) राष्ट्रीय और राज्यों के दूरदर्शन विभाग एक दैनिक समाचार पत्र तथा साप्ताहिक पत्रिका भी प्रकाशित करेंगे। इनका पीडीएफ वर्जन भी वेबसाइट पर रखा जाएगा, तथा कोई भी व्यक्ति या समाचार पत्र इस सामग्री को प्रकाशित करने के लिए स्वतंत्र होगा।

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(14.4) दूरदर्शन स्टाफ के सभी पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया सिर्फ लिखित परीक्षा के माध्यम से की जायेगी तथा स्टाफ के खिलाफ आने वाली शिकायतों की सुनवाई जूरी करेगी।

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(14.5) यदि दूरदर्शन के स्टाफ या अध्यक्ष द्वारा घूस खाकर खबरे दिखाना पाया जाता है तो नागरिको की ज्यूरी उनका सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट ले सकेगी, उन्हें नौकरी से निकाल सकेगी तथा जेल में भेज सकेगी। जिन कर्मचारियों को यह शर्ते मंजूर नहीं होगी, वे अपना इस्तीफा दे सकते है।

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(15) जनता की आवाज

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(15.1) यदि कोई मतदाता इस कानून में कोई परिवर्तन चाहता है तो वह कलेक्टर कार्यालय में एक एफिडेविट जमा करवा सकेगा। जिला कलेक्टर 20 रूपए प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर एफिडेविट को मतदाता के वोटर आई.डी नंबर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन करके रखेगा।

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(15.2) यदि कोई मतदाता धारा 15.1 के तहत प्रस्तुत किसी एफिडेविट पर अपना समर्थन दर्ज कराना चाहे तो वह पटवारी कार्यालय में 3 रूपए का शुल्क देकर अपनी हां / ना दर्ज करवा सकता है। पटवारी इसे दर्ज करेगा और हाँ / ना को मतदाता के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।

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[ टिपण्णी : यह क़ानून लागू होने के 4 वर्ष बाद यदि व्यवस्था में सकारात्मक एवं निर्णायक बदलाव आते है तो कोई भी नागरिक इस कानून की धारा 15 के तहत एक शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है, जिसमे उन कार्यकर्ताओ को सांत्वना के रूप में वाजिब प्रतिफल देने का प्रस्ताव होगा, जिन्होंने इस क़ानून को लागू करवाने के प्रयास किये है। यदि कोई कार्यकर्ता तब जीवित नही है तो प्रतिफल उसके नोमिनी को दिया जाएगा। यह प्रतिफल किसी मौद्रिक पारितोषिक के रूप में या स्मृति चिन्ह / प्रशस्ति पत्र आदि के रूप में हो सकता है। यदि 51% नागरिक इस शपथपत्र पर हाँ दर्ज कर देते है तो प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री इन्हें लागू करने के आदेश जारी कर सकते है। ]

----------ड्राफ्ट का समापन---------

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इस क़ानून को गेजेट में प्रकाशित करवाने के लिए हम क्या सहयोग कर सकते है ?

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1. कृपया “ प्रधानमंत्री कार्यालय , दिल्ली ” के पते पर पोस्टकार्ड लिखकर इस क़ानून की मांग करें। पोस्टकार्ड में यह लिखे :

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प्रधानमंत्री जी, कृपया प्रस्तावित रेगो क़ानून को गेजेट में छापे - #VoteVapsiPassbook , #Rego ,

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2. ऊपर दी गयी इबारत उसी तरफ लिखे जिस तरफ पता लिखा जाता है। पोस्टकार्ड भेजने से पहले पोस्टकार्ड की एक फोटो कॉपी करवा ले। यदि आपको पोस्टकार्ड नहीं मिल रहा है तो अंतर्देशीय पत्र ( inland letter ) भी भेज सकते है।

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3. प्रधानमन्त्री जी से मेरी मांग नाम से एक रजिस्टर बनाएं। लेटर बॉक्स में डालने से पहले पोस्टकार्ड की जो फोटो कॉपी आपने करवाई है उसे अपने रजिस्टर के पन्ने पर चिपका देवें। फिर जब भी आप पीएम को किसी मांग की चिट्ठी भेजें तब इसकी फोटो कॉपी रजिस्टर के पन्नो पर चिपकाते रहे। इस तरह आपके पास भेजी गयी चिट्ठियों का रिकॉर्ड रहेगा।

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4. आप किसी भी दिन यह चिट्ठी भेज सकते है। किन्तु इस क़ानून ड्राफ्ट के लेखको का मानना है कि सभी नागरिको को यह चिठ्ठी महीने की एक निश्चित तारीख को और एक तय वक्त पर ही भेजनी चाहिए।

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तय तारीख व तय वक्त पर ही क्यों ?

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4.1. यदि चिट्ठियां एक ही दिन भेजी जाती है तो इसका ज्यादा प्रभाव होगा, और प्रधानमंत्री कार्यालय को इन्हें गिनने में भी आसानी होगी। चूंकि नागरिक कर्तव्य दिवस 5 तारीख को पड़ता है अत: पूरे देश में सभी शहरो के लिए चिट्ठी भेजने के लिए महीने की 5 तारीख तय की गयी है। तो यदि आप चिट्ठी भेजते है तो 5 तारीख को ही भेजें।

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4.2. शाम को 5 बजे इसलिए ताकि पोस्ट ऑफिस के स्टाफ को इससे अतिरिक्त परेशानी न हो। अमूमन 3 से 5 बजे के बीच लेटर बॉक्स खाली कर लिए जाते है, अब मान लीजिये यदि किसी शहर से 100-200 नागरिक चिट्ठी डालते है तो उन्हें लेटर बॉक्स खाली मिलेगा, वर्ना भरे हुए लेटर बॉक्स में इतनी चिट्ठियां आ नहीं पाएगी जिससे पोस्ट ऑफिस व नागरिको को असुविधा होगी। और इसके बाद पोस्ट मेन 6 बजे पोस्ट बॉक्स खाली कर सकता है, क्योंकि जल्दी ही वे जान जायेंगे कि पीएम को निर्देश भेजने वाले जिम्मेदार नागरिक 5-6 के बीच ही चिट्ठियां डालते है। इससे उन्हें इनकी छंटनी करने में अपना अतिरिक्त वक्त नहीं लगाना पड़ेगा। अत: यदि आप यह चिट्ठी भेजते है तो कृपया 5 बजे से 6 बजे के बीच ही लेटर बॉक्स में डाले। यदि आप 5 तारीख को चिट्ठी नहीं भेज पाते है तो फिर अगले महीने की 5 तारीख को भेजे।

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4.3. आप यह चिट्ठी किसी भी लेटर बॉक्स में डाल सकते है, किन्तु हमारे विचार में यथा संभव इसे शहर या कस्बे के हेड पोस्ट ऑफिस के बॉक्स में ही डाला जाना चाहिए। क्योंकि हेड पोस्ट ऑफिस का लेटर बॉक्स अपेक्षाकृत बड़ा होता है, और वहां से पोस्टमेन को चिट्ठियाँ निकालकर ले जाने में ज्यादा दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती ।

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5. यदि आप फेसबुक पर है तो प्रधानमंत्री जी से मेरी मांग नाम से एक एल्बम बनाकर रजिस्टर पर चिपकाए गए पेज की फोटो इस एल्बम में रखें।

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6. यदि आप ट्विटर पर है तो प्रधानमंत्री जी को रजिस्टर के पेज की फोटो के साथ यह ट्विट करें :

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@Pmoindia , कृपया यह क़ानून गेजेट में छापें - #Rego #VoteVapsiPassbook

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7. Pm को चिट्ठी भेजने वाले नागरिक यदि आपसी संवाद के लिए कोई मीटिंग वगेरह करना चाहते है तो वे स्थानीय स्तर पर महीने के दुसरे रविवार यानी सेकेण्ड सन्डे को प्रात: 10 बजे मीटिंग कर सकते है। मीटिंग हमेशा सार्वजनिक स्थल पर रखी जानी चाहिए। इसके लिए आप कोई मंदिर या रेलवे-बस स्टेशन के परिसर आदि चुन सकते है। 2nd Sunday के अतिरिक्त अन्य दिनों में कार्यकर्ता निजी स्थलों पर मीटिंग वगेरह रख सकते है, किन्तु महीने के द्वितीय रविवार की मीटिंग सार्वजनिक स्थल पर ही होगी। इस सार्वजनिक मीटिंग का समय भी अपरिवर्तनीय रहेगा।

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8. अहिंसा मूर्ती महात्मा उधम सिंह जी से प्रेरित यह एक विकेन्द्रित जन आन्दोलन है। (15) धाराओं का यह ड्राफ्ट ही इस आन्दोलन का नेता है। यदि आप भी यह मांग आगे बढ़ाना चाहते है तो अपने स्तर पर जो भी आप कर सकते है करें। यह कॉपी लेफ्ट प्रपत्र है, और आप इस बुकलेट को अपने स्तर पर छपवाकर नागरिको में बाँट सकते है। इस आन्दोलन के कार्यकर्ता धरने, प्रदर्शन, जाम, मजमे, जुलूस जैसे उन कदमों से बहुधा परहेज करते है जिससे नागरिको को परेशानी होकर समय-श्रम-धन की हानि होती हो। अपनी मांग को स्पष्ट रूप से लिखकर चिट्ठी भेजने से नागरिक अपनी कोई भी मांग Pm तक पहुंचा सकते है। इसके लिए नागरिको को न तो किसी नेता की जरूरत है और न ही मीडिया की।

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