16) राज्य स्तरीय जनमत संग्रह ; सज्जन नागरिको के लिए बंदूक रखने का प्रस्ताव

राज्य स्तरीय जनमत संग्रह ; सज्जन नागरिको के लिए बंदूक रखने का प्रस्ताव

.

( State Wide Referendum ; Right to Bear Gun to Law Abide Citizens )

.

इस क़ानून का सार : मुख्यमंत्री यह क़ानून सिर्फ तब लागू करेंगे जब जनमत संग्रह में राज्य के कुल मतदाताओं के कम से कम 55% मतदाता इसे लागू करने की स्पष्ट सहमती दें। जनमत संग्रह से पास होने के बाद यह क़ानून राज्य के प्रत्येक नागरिक को बंदूक रखने का अधिकार देगा।

.

इस क़ानून से सम्बंधित सभी मामलो का निपटान नागरिको की जूरी द्वारा किया जाएगा जज द्वारा नहीं, एवं जूरी किसी नागरिक के बंदूक धारण करने पर प्रतिबन्ध या दंड लगा सकेगी। साथ ही 10 लाख से अधिक संपत्ति रखने वाले नागरिको के लिए कम से कम 1 बंदूक एवं 100 कारतूस रखना अनिवार्य होगा। प्रधानमंत्री किसी राज्य के 55% मतदाताओ की सहमती से यह क़ानून किसी राज्य या किसी जिले में लागू कर सकते है। मुख्यमंत्री भी यह क़ानून अपने राज्य के एक या अधिक जिलो में लागू कर सकते है।

#StateGunLawReferendum , #RRP16

.

यदि आप बंदूक रखने के कानून पर जनमत संग्रह कराना चाहते है तो मुख्यमंत्री को एक पोस्टकार्ड भेजे। पोस्टकार्ड में यह लिखे :

.

‘ मुख्यमंत्री जी, कृपया बंदूक रखने के क़ानून पर जनमत संग्रह कराएं - #StateGunLawReferendum

.

--------क़ानून ड्राफ्ट का प्रारम्भ------

.

इस कानून में 2 खंड है :

.

(i) नागरिको के लिए निर्देश

(ii) अधिकारियों एवं नागरिको के लिए निर्देश

.

--------------------------------------

भाग (I) : नागरिकों के लिए निर्देश

--------------------------------------

.

(01) यह क़ानून गेजेट में आने के साथ ही राज्य में एक देश जनमत संग्रह किया जाएगा। यदि राज्य की मतदाता सूची में दर्ज कुल मतदाताओ के 55% मतदाता इस क़ानून को लागू करने के लिए “हाँ” दर्ज कर देते है, सिर्फ तब ही यह क़ानून लागू होगा, अन्यथा नहीं।

.

(1.1) जनमत संग्रह में मतदाता के पास सिर्फ हाँ या ना दर्ज कराने का विकल्प होगा, और जनमत संग्रह पूर्ण होने से पहले मुख्यमंत्री इस कानून की किसी भी धारा में कोई बदलाव नहीं करेंगे। इस क़ानून के लागू होने के बाद गुजरात राज्य का कोई भी मतदाता यदि इस क़ानून की किसी धारा में कोई आंशिक या पूर्ण परिवर्तन चाहता है, तो वह अमुक बदलाव के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय में एक शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है।

.

(1.2) कलेक्टर 20 रू प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर मतदाता का शपथपत्र स्वीकार करेगा, और इसे स्कैन करके मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर सार्वजनिक करेगा, ताकि अन्य मतदाता अमुक शपथपत्र पर अपनी सहमती दर्ज करवा सके।

.

(1.3) यदि राज्य की मतदाता सूची में दर्ज कुल मतदाताओं के 55% नागरिक अमुक शपथपत्र पर हाँ दर्ज करवा देते है तो मुख्यमंत्री शपथपत्र में दिए गए सुझावों को लागू करने के लिए आदेश जारी कर सकते है।

.

(1.4) मुख्यमंत्री या प्रधानमन्त्री राज्य के 51% मतदाताओं की स्वीकृति से किसी जिले में, एवं प्रधानमंत्री भारत के 51% मतदाताओं की स्वीकृति से गुजरात में यह क़ानून 4 वर्ष के लिए निलम्बित कर सकते है।

.

(02) इस क़ानून में वयस्क नागरिक से आशय है – ऐसा नागरिक जिसकी आयु 22 वर्ष से अधिक हो। यह क़ानून अवयस्क नागरिको को बंदूक धारण करने की अनुमति नहीं देता है। 22 वर्ष से कम आयु के नागरिक इस क़ानून के दायरे से बाहर रहेंगे।

.

(03) यह क़ानून लागू होने के बाद राज्य का कोई भी सज्जन वयस्क नागरिक अपने पास छोटी, मध्यम या बड़े आकार की कोई भी पंजीकृत बन्दूक रख सकेगा।

.

(3.1) बंदूक रखने के लिए नागरिक को जिला शस्त्र अधिकारी के पास अपनी बंदूक का पंजीयन कराना होगा।

.

(3.2) राज्य का कोई भी नागरिक किसी भी श्रेणी की दो बंदूके अपने पास रख सकेगा।

.

(3.3) दो से अधिक बंदूके रखने के लिए नागरिक को जिला पुलिस प्रमुख से लाइसेंस लेना होगा।

.

(04) यदि कोई सज्जन वयस्क नागरिक 10 लाख से अधिक संपत्ति का मालिक है तो उसे अपने घर में निम्नलिखित मात्रा में बंदूक एवं कारतूस रखना अनिवार्य होगा :

.

(4.1) 10 लाख से अधिक संपत्ति – एक छोटी बंदूक एवं 100 कारतूस

.

(4.2) 20 लाख से अधिक संपत्ति – एक मध्यम आकार की बंदूक एवं 100 कारतूस

.

(4.3 ) 30 लाख से अधिक संपत्ति – एक बड़े आकार की बंदूक एवं 100 कारतूस

.

(4.4) संपत्ति में 1 घर जिसकी कीमत 1 करोड़ तथा फर्नीचर जिसकी कीमत 10 लाख हो, को शामिल नहीं किया जाएगा

.

(05) इस क़ानून से सम्बंधित सभी विवादों की सुनवाई नागरिको की जूरी करेगी, एवं जूरी मंडल का चयन जिले की वोटर लिस्ट में से लॉटरी द्वारा किया जाएगा। यदि लॉटरी में आपका नाम निकल आता है तो आपको जूरी ड्यूटी के लिए बुलाया जा सकता है। जूरी में आकर आपको आरोपी, पीड़ित, गवाहों व दोनों पक्षों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत सबूत देखकर बहस सुननी होगी और सजा / जुर्माना या रिहाई का फैसला देना होगा।

.

---------------------------------------

भाग (II) : अधिकारियों के लिए निर्देश

---------------------------------------

.

(06) मुख्यमंत्री प्रत्येक जिले में एक जिला शस्त्र अधिकारी (DGO = District Gun Officer) की नियुक्ति करेंगे। जिला शस्त्र अधिकारी एवं उसका स्टाफ वोट वापसी एवं जूरी मंडल के दायरे में होगा। वोट वापसी की प्रक्रिया देखने के लिए कृपया धारा 14 देखें।

.

(07) जिला शस्त्र अधिकारी तमंचे, पिस्तौल, राइफल, मशीन गन, कार्बाइन आदि बन्दूको का वर्गीकरण करने के लिए निम्नलिखित श्रेणियों में बन्दूको की सूची प्रकाशित करेगा :

.

(7.1) छोटी बंदूको के प्रकार।

(7.2) मध्यम आकार की बंदूको के प्रकार।

(7.3) बड़ी बंदूको के प्रकार।

(7.4) कारतूस, गोले तथा उनके प्रकार।

.

(08) जिला शस्त्र अधिकारी सभी नागरिकों के लिए बंदूक चलाने एवं इसके रख रखाव के लिए अनिवार्य ट्रेनिंग तथा वैकल्पिक टेनिंग के नियम निर्धारित करेगा।

.

(8.1) अनिवार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम की घोषणा होने पर जिला क्षेत्र में रहने वाले 22 से 50 वर्ष की आयु के सभी नागरिकों के लिए 2 वर्ष के भीतर प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा।

.

(8.2) DGO प्रशिक्षण शिविरो के संचालन के लिए आवश्यक निधि रक्षा मंत्री आदि से प्राप्त कर सकता है, या अनुदान, चंदे आदि स्वीकार कर सकता है। प्रशिक्षण शुल्क प्रशिक्षुओं द्वारा देय होगा, तथा प्रशिक्षण शुल्क दरें जिला शस्त्र अधिकारी द्वारा निर्धारित की जाएँगी।

.

(8.3) जिला शस्त्र अधिकारी प्रति सप्ताह महा-जूरी मंडल की उपस्थिति में मतदाता सूची से 0.01% वयस्क नागरिको का चयन लॉटरी से करेगा। जिला शस्त्र अधिकारी या उसके द्वारा नियुक्त कर्मचारी लॉटरी द्वारा चुने हुए नागरिकों के यहाँ जाकर ये सुनिश्चित करेगा कि वे नागरिक निर्धारित नियम के अनुसार बन्दूक तथा कारतूस रख रहे है या नहीं।

.

(09) प्रधानमंत्री की अनुमति से रक्षा मंत्री इंसास राइफल, 303, 202, .22 रिवोल्वर और भारतीय पुलिस द्वारा प्रयोग की जाने वाली सभी बंदूकें, जो "इंसास से कम" के स्तर की है, उनके डिजाईन सार्वजनिक करेंगे। कोई भी नागरिक इस डिजाईन से, बिना किसी लाइसेन्स के, केवल पंजीकरण करवाकर बंदूक, बन्दुक के पुर्जे, कारतूस, बुलेट प्रूफ जेकेट आदि बनाने की फैक्ट्री राज्य में शुरू कर सकता है।

.

(10) राज्य में यदि कोई भी व्यक्ति बंदूक बनाने की निर्माण इकाई, कारखाना आदि लगाना चाहता है तो वह जिला शस्त्र अधिकारी के पास अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर कारखाना शुरू कर सकेगा। कारखाना शुरू करने के लिए किसी लाइसेंस या अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।

.

(10.1) यह क़ानून लागू होने के बाद राज्य में बंदूक निर्माण में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं होगी, और सिर्फ भारतीय नागरिको के सम्पूर्ण स्वामित्व की कम्पनियां / फर्म आदि ही राज्य में बंदूक निर्माण के कारखाने स्थापित कर सकेगी।

.

(11) जूरी प्रशासक की नियुक्ति एवं महा जूरी मंडल का गठन

.

(11.1) जिला शस्त्र अधिकारी प्रत्येक जिले में 1 जिला जूरी प्रशासक की नियुक्ति करेंगे। यदि नागरिक जूरी प्रशासक के काम-काज से संतुष्ट नही है तो धारा (14) में दी गयी वोट वापसी प्रक्रियाओ का प्रयोग करके जूरी प्रशासक को बदलने की स्वीकृति दे सकते है।

.

(11.2) प्रथम महाजूरी मंडल का गठन : जिला जूरी प्रशासक एक सार्वजनिक बैठक में जिले की मतदाता सूची में से 25 वर्ष से 50 वर्ष की आयु के मध्य के 50 मतदाताओं का चुनाव लॉटरी द्वारा करेगा। इन सदस्यों का साक्षात्कार लेने के बाद जूरी प्रशासक किन्ही 20 सदस्यों को निकाल सकता है। इस तरह 30 महाजूरी सदस्य शेष रह जायेंगे।

.

(11.3) अनुगामी महाजूरी मंडल : प्रथम महाजूरी मंडल में से जिला जूरी प्रशासक पहले 10 महाजूरी सदस्यों को हर 10 दिन में सेवानिवृत्त करेगा। पहले महीने के बाद प्रत्येक महाजूरी सदस्य का कार्यकाल 3 महीने का होगा, अत: 10 महाजूरी सदस्य हर महीने सेवानिवृत्त होंगे, और 10 नए चुने जाएंगे। नये 10 सदस्य चुनने के लिए जूरी प्रशासक जिला मतदाता सूची में से लॉटरी द्वारा 20 सदस्य चुनेगा और साक्षात्कार द्वारा इनमें से किन्ही 10 की छंटनी कर देगा।

.

(11.4) महाजूरी सदस्य प्रत्येक शनिवार और रविवार पर बैठक करेंगे। यदि बैठक होती है तो आरंभ सुबह 11 बजे से और समाप्त शाम 5 बजे तक हो जानी चाहिए। जूरी सदस्य को प्रति उपस्थिती प्रतिदिन 600 रु. एवं साथ में यात्रा खर्च भी मिलेगा।

.

(11.5) यदि निजी क्षेत्र के कर्मचारी को जूरी ड्यूटी पर बुलाया गया है तो नियोक्ता उसे आवश्यक दिवसों के लिए अवैतनिक अवकाश प्रदान करेगा। नियोक्ता अवकाश के दिनों का वेतन कर्मचारी के वेतन में से काट सकता है।

.

(11.6) सभी श्रेणी के सरकारी कर्मचारी स्पष्ट रूप से जूरी ड्यूटी के दायरे से बाहर रहेंगे।

.

(11.7) जो नागरिक जूरी ड्यूटी कर चुके है, उन्हें अगले 10 वर्ष तक जूरी में नहीं बुलाया जायेगा।

.

(12) जूरी मंडल का न्यायिक क्षेत्राधिकार :

.

(12.1) जूरी मंडल किसी असज्जन नागरिक को हथियार रखने से एक निश्चित समयावधि के लिए प्रतिबंधित कर सकेंगे। तय अवधि बीत जाने पर अन्य जूरी मंडल यह फैसला करेगा कि आरोपी को हथियार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं।

.

(12.2) DGO या कोई भी नागरिक महाजूरी मंडल को उन लोगो की सूची दे सकेंगे जिनको बंदूक रखने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। यदि महाजूरी मंडल इसे अनुमोदित कर देता है, तो एक नए जूरी मंडल का गठन किया जाएगा। यदि जूरी मंडल के 67% सदस्य सहमती दे देते है तो अमुक व्यक्ति को बंदूक रखने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

.

(12.3) यदि कोई सज्जन नागरिक निर्धारित नियमों के अनुसार बंदूक या कारतूस अपने घर पर नहीं रख रहा है, तो महाजूरी मंडल सदस्य यह फैसला करेंगे कि मामले सुनवाई की जानी चाहिए या नहीं।

.

(12.4) कोई व्यक्ति सज्जन है या असज्जन, इस बारे में अंतिम निर्णय करने का अधिकार जूरी के पास होगा। जूरी व्यक्ति के आपराधिक रिकॉर्ड, चाल चलन, आरोप, दोष सिद्धि आदि के आधार पर इस बारे में अपने विवेक से फैसला लेगी।

.

(12.5) जिला जूरी प्रशासक, जिला शस्त्र अधिकारी एवं उनके खिलाफ आने वाली सभी शिकायतों की सुनवाई जूरी मंडल करेगा।

.

(13) जूरी मंडल द्वारा सुनवाई

.

(13.1) यदि धारा (12) में दिए गए मामलो से सम्बंधित कोई भी विवाद है तो वादी अपनी शिकायत महा जूरी मंडल के सदस्यों को लिख कर दे सकते है। यदि महाजूरी मंडल मामले को निराधार पाते है तो शिकायत खारिज कर सकते है, अथवा इस मामले की सुनवाई के लिए एक नए जूरी मंडल के गठन का आदेश दे सकते है।

.

(13.2) मामले की जटिलता एवं आरोपी की हैसियत के अनुसार महा जूरी मंडल तय करेगा कि 15-1500 के बीच में कितने सदस्यों की जूरी बुलाई जानी चाहिए। तब जूरी प्रशासक मतदाता सूची से लॉटरी द्वारा सदस्यों का चयन करते हुए एक नए जूरी मंडल का गठन करेगा और मामला इन्हें सौंप देगा।

.

(13.3) अब यह जूरी मंडल दोनों पक्षों, गवाहों आदि को सुनकर फैसला देगा। प्रत्येक जूरी सदस्य अपना फैसला बंद लिफ़ाफ़े में लिखकर ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर को देंगे। दो तिहाई सदस्यों द्वारा मंजूर किये गये निर्णय को जूरी का फैसला माना जाएगा। किन्तु नौकरी से निकालने का फैसला लेने के लिए 75% सदस्यों के अनुमोदन की जरूरत होगी। प्रत्येक मामले की सुनवाई के लिए अलग से जूरी मंडल होगा, और फैसला देने के बाद जूरी भंग हो जाएगी। पक्षकार चाहे तो फैसले की अपील उच्च जूरी मंडल में कर सकते है।

.

(13.4) यदि यह सिद्ध होता है कि आरोपी निर्धारित नियम के अनुसार बंदूक तथा कारतूस अपने घर पर नहीं रख रहा है, तो जूरी सदस्य उसकी संपत्ति के 5% के अनुपात तक जुर्माना (इस संपत्ति में 1 करोड़ का घर तथा 10 लाख तक का फर्नीचर शामिल नहीं किया जाएगा) और / या 2 माह के कारावास की सजा सुना सकेंगे। अपवादित मामलों को छोड़कर, प्रथम अपराध के लिए जुर्माना 2% तक, द्वितीय अपराध के लिए 4% तक तथा तीसरे तथा अन्य अपराधों के लिए यह जुर्माना 5% तक हो सकेगा। प्रथम अपराध कारावास द्वारा दंडनीय नहीं हो सकेगा।

.

(14) वोट वापसी : जिला शस्त्र अधिकारी ( DGO )

.

(14.1) 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका कोई भी मतदाता जिला कलेक्टर के सामने स्वयं या किसी वकील के माध्यम से जिला शस्त्र अधिकारी एवं जिला जूरी प्रशासक बनने के लिए ऐफिडेविट प्रस्तुत कर सकेगा। जिला कलेक्टर सांसद के चुनाव में जमा की जाने वाली राशि के बराबर शुल्क‍ लेकर उसका आवेदन स्वीकार कर लेगा, तथा उसे एक विशिष्ट सीरियल नम्बर जारी करेगा। कलेक्टर एफिडेविट को स्कैन करके मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर रखेगा ।

.

(14.2) कोई भी मतदाता किसी भी दिन पटवारी कार्यालय में जाकर जूरी प्रशासक एवं जिला शस्त्र अधिकारी के किसी भी प्रत्याशी के समर्थन में हाँ दर्ज करवा सकेगा। पटवारी अपने कम्प्यूटर में मतदाता की हाँ को दर्ज करके रसीद देगा। पटवारी मतदाताओं की हाँ को प्रत्याशीयों के नाम एवं मतदाता की पहचान-पत्र संख्या के साथ जिले की वेबसाईट पर भी रखेगा। मतदाता किसी पद के प्रत्याशीयों में से अपनी पसंद के अधिकतम 5 व्यक्तियों को स्वीकृत कर सकता है।

.

(14.3) स्वीकृति (हाँ) दर्ज करने के लिए मतदाता 3 रूपये फ़ीस देगा। BPL कार्ड धारक के लिए फ़ीस 1 रुपया होगी

.

(14.4) यदि कोई मतदाता अपनी स्वीकृती रद्द करवाने आता है तो पटवारी एक या अधिक नामों को बिना कोई फ़ीस लिए रद्द कर देगा।

.

(14.4) प्रत्येक सोमवार को महीने की 5 तारीख को, कलेक्टर पिछले महीने के अंतिम दिन तक प्राप्त प्रत्येक प्रत्याशियों को मिली स्वीकृतियों की गिनती प्रकाशित करेगा। पटवारी अपने क्षेत्र की स्वीकृतियो का यह प्रदर्शन प्रत्येक सोमवार को करेगा।

.

[ टिपण्णी : कलेक्टर ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता अपनी स्वीकृति SMS, ATM एवं मोबाईल एप द्वारा दर्ज करवा सके।

.

रेंज वोटिंग – मुख्यमंत्री ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता किसी प्रत्याशी को -100 से 100 के बीच अंक दे सके। यदि मतदाता सिर्फ हाँ दर्ज करता है तो इसे 100 अंको के बराबर माना जाएगा। यदि मतदाता अपनी स्वीकृति दर्ज नही करता तो इसे शून्य अंक माना जाएगा । किन्तु यदि मतदाता अंक देता है तब उसके द्वारा दिए अंक ही मान्य होंगे। रेंज वोटिंग की ये प्रक्रिया स्वीकृति प्रणाली से बेहतर है, और ऐरो की व्यर्थ असम्भाव्यता प्रमेय (Arrow’s Useless Impossibility Theorem) से प्रतिरक्षा प्रदान करती है।]

.

--------- ड्राफ्ट का समापन---------

.

बंदूकधारी भारतीय समाज के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

.

(1) यह क़ानून मेरे राज्य में कैसे लागू होगा ?

.

इस क़ानून की धारा (1) में जनमत संग्रह का प्रावधान दिया गया है। मुख्यमंत्री इस क़ानून पर हस्ताक्षर करके इसे गेजेट में निकालेंगे और गेजेट में आने के साथ ही इस पर जनमत संग्रह शुरू हो जाएगा। तब राज्य का कोई भी नागरिक चाहे तो पटवारी कार्यालय में जाकर या अपने रजिस्टर्ड मोबाइल द्वारा SMS भेजकर इस कानून पर अपनी हाँ दर्ज करवा सकता। यदि राज्य के कुल मतदाताओं के 55% नागरिक इस पर अपनी सहमती दर्ज करवा देते है, तब सिर्फ तब ही यह क़ानून राज्य में लागू होगा। जब तक 55% मतदाता इस पर अपनी सहमती दर्ज नहीं करते है, तब तक जनमत संग्रह जारी रहेगा। यदि किसी मतदाता ने इस क़ानून पर अपनी सहमती दर्ज करवा दी है, और वह अपनी सहमती रद्द करना चाहता है तो वह किसी भी दिन अपनी स्वीकृति को रद्द भी कर सकता है। इस तरह यह क़ानून नागरिको का स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने के बाद ही राज्य में लागू होगा अन्यथा नहीं।

.

(2) क्या मुख्यमंत्री यह क़ानून बिना जनमत संग्रह के लागू कर सकते है ?

.

यदि मुख्यमंत्री चाहे तो इस कानून की धारा 1 में से जनमत संग्रह का प्रावधान निकाल कर इसे सीधे अपने राज्य में लागू कर सकते है। मुख्यमंत्री चाहे तो बिना जनमत संग्रह के इस क़ानून को राज्य के कुछ या किसी एक जिले में भी लागू कर सकते है। किन्तु इस क़ानून ड्राफ्ट के लेखको का मानना है कि, यह क़ानून 55% नागरिको की स्पष्ट सहमती प्राप्त करने के बाद ही लागू किया जाना चाहिए अन्यथा नहीं।

.

(3) हमें इस क़ानून की जरूरत क्यों है ?

.

3.1. बाह्य आक्रमण : हथियारबंद नागरिक समाज लोकतंत्र की जननी है। प्रत्येक नागरिक का शस्त्रधारी होना राज्य को इतनी शक्ति प्रदान कर देता है कि सेना के हारने के बावजूद वे खुद की एवं अपने राज्य की रक्षा कर पाते है।

.

(3.1.1) हिटलर ने स्विट्जर्लेंड पर हमला करने की योजना को इसीलिए स्थगित कर दिया था, क्योंकि तब सभी स्विस नागरिको के पास बंदूक थी। जब प्रत्येक नागरिक के पास बंदूक होती है तो इसे सेना द्वारा हराया नहीं जा सकता, और न ही राज्य पर पूरी तरह से कंट्रोल लिया जा सकता है।

(3.1.2) प्रत्येक अफगान के पास बंदूक होने के कारण अमेरिका, ब्रिटेन और रूस भी कई वर्षो तक चली लड़ाइयो के बावजूद अफगानिस्तान पर कभी भी पूरी तरह से नियंत्रण नहीं बना सके।

(3.1.3) विएतनाम अमेरिका से 20 वर्षो तक लड़ने में इसीलिए कामयाब रहा क्योंकि सेना के हारने के बाद यह युद्ध वहां के नागरिक लड़ रहे थे। सोवियत रूस ने नागरिको को हथियार भेजे और वे अपने देश की रक्षा कर पाए।

(3.1.4) ब्रिटिश भारत पर 200 वर्षो तक इसीलिए शासन कर पाए क्योंकि भारत के नागरिक हथियार विहीन थे। गोरो के पास सिर्फ 1 लाख बंदूके थे, और इन 1 लाख बन्दूको के माध्यम से उन्होंने 60 करोड़ नागरिको पर शासन किया। यदि सिर्फ 1% यानी 60 लाख भारतीयों के पास बंदूक होती तो ब्रिटिश भारत को नियंत्रित नहीं कर पाते थे।

.

यदि आज भारत का चीन से युद्ध हो जाता है, और अमेरिका हमें हथियारों की मदद देने से इनकार कर देता, या हमें देरी से हथियार भेजता है, तो हथियारो के अभाव में ज्यादातर से भी ज्यादा सम्भावना है कि हमारी सेना रूपी दीवार दीवार टूट जायेगी। और एक बाद यदि हमारी सीमाओं में सेना घुस आती है तो नागरिको के पास प्रतिरोध करने के लिए कोई हथियार नहीं है। तब हमारी अवस्था ईराक जैसी हो जायेगी। ऐसे संभावित संकट से बचने के लिए यह क़ानून जरुरी है।

.

3.2. आंतरिक आक्रमण : प्रत्येक नागरिक के पास बंदूक होने से आन्तरिक स्तर पर भी देश काफी हद तक सुरक्षित हो जाता है, और विभिन्न अपराधो में कमी आती है।

.

(3.2.1) कसाब दर्जनों नागरिको को इसीलिए मार सका था क्योंकि नागरिको के पास हथियार नहीं थे। यदि मुम्बई वासियों के पास बंदूक होती तो कसाब आता नहीं था, और आ भी जाता तो 5-7 लोगो से ज्यादा को नहीं मार पाता। और आगे भी यदि इस तरह के हमले बड़े पैमाने पर होने लगते है तो हमारे पास कोई उपाय नहीं है।

.

(3.2.2) सिर्फ 2000 हथियारबंद इस्लामिक आतंकियों के दस्ते ने 2 लाख कश्मीरी पंडितो को घाटी से खदेड़ दिया था। यदि कश्मीरी पंडितो के पास बंदूके होती थी, तो उन्हें कभी पलायन नहीं करना पड़ता था।

.

(3.2.3) 2012 में असम के कोकराझार में सिर्फ 4000 हथियारबंद मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपेठियो ने हमला करके 2 लाख हिन्दु नागरिको को अपनी जमीन, संपत्ति आदि छोड़कर पलायन करने पर मजबूर कर दिया था। यदि सभी नागरिको के पास बंदूक होती तो उन्हें अपना घर बार छोड़कर भागना नहीं पड़ता।.

(3.2.4) 1947 में विभाजन के दौरान भी 20 लाख हथियार विहीन हिन्दू नागरिको को अपनी जान-माल गंवाना पड़ा था। वजह यह थी कि सीधी कार्यवाही करने वाले पक्ष के पास हथियार थे, जबकि दुसरे पक्ष के नागरिक हथियार विहीन थे। चूंकि सिक्खों के पास हथियार थे, अत: वे कुछ हद तक इसका प्रतिरोध कर पाए।

.

(3.2.5) भारत में निरंतर चुनाव होने, जनता का लोकतंत्र में विश्वास होने और सैनिको का सरकार पर भरोसा होने के कारण अब तक कभी तख्ता पलट नहीं हुआ है। किन्तु कोई विदेशी ताकत जैसे अमेरिका आदि भारत में तख्ता पलट करवाना चाहे तो वे कुछ ही महीनो में गृह युद्ध छिडवाकर, आतंकवादी हमले करवाकर, असुरक्षा का भाव उत्पन्न करके एवं राजनैतिक विकल्प हीनता दर्शा कर ऐसे हालात पैदा कर सकते है कि जनरल तख्ता पलट कर सकता है।

.

(4) इस क़ानून के गेजेट में आने से क्या परिवर्तन आयेंगे ?

.

4.1. नकारात्मक प्रभाव : प्रथम चरण में गन क्राइम जैसे क्रोध जनित हमले आदि में वृद्धि होगी और बन्दुक से होने वाली मौतों में इजाफा होगा। लेकिन जैसे जैसे प्रत्येक नागरिक के पास बन्दुक पहुंचेगी वैसे वैसे दुसरे चरण में इस हिंसा में थोड़ी कमी आने लगेगी। इस क़ानून में किसी व्यक्ति को बंदूक रखने की अनुमति देने का अधिकार नागरिको की जूरी को दिया गया है। अत: जूरी मंडल गन क्राइम करने वाले नागरिको को हथियारों से वंचित कर देगा, और अपराध में गिरावट आने लगेगी। यदि पुलिस प्रमुख को वोट वापसी पासबुक के दायरे में कर दिया जाता है तो पुलिस प्रमुख यह सुनिश्चित करेगा कि अपराधी बंदूक से वंचित बने रहे।

.

4.2. सकारात्मक प्रभाव :

.

(4.2.1) नक्सलवाद एवं संगठित अपराध की समस्या साल छह महीने में लगभग 70% तक कम हो जायेगी

.

(4.2.2) बलात्कार , लूट , डकैती , अपहरण आदि अपराधो में लगभग 70% की गिरावट आएगी।

.

(4.2.3) कसाब जैसे आतंकी हमलो में कमी आ जायेगी। और हमले होते भी है तो कम जनहानि होगी।

.

(4.2.4) सांप्रदायिक तनाव, एवं दंगो से सम्बधित हिंसा में कमी आएगी।

.

(4.2.5) भारत को अमेरिका, चीन या पाकिस्तान से होने वाले युद्ध का सामना नहीं करना पड़ेगा। और तब भी युद्ध होता है और यदि हमारी सेना रुपी दीवार टूट जाती है तो दुश्मन सेना कभी हमारी भूमि का अधिग्रहण नहीं कर पाएगी।

.

(4.2.6) भारत में बंदूक निर्माण की तकनीक का विकास होगा और हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जायेंगे।

.

(4.2.7) सरकारी अधिकारियो / नेताओं के व्यवहार में सुधार आएगा और दमन में भी कमी आएगी। सुदूरवर्ती एवं रिमोट एरिया में पुलिस द्वारा किये जा रहे दमन में कमी आएगी।

.

(4.2.😎 भारत में कभी भी अन्य देशो की तरह तख्ता पलट न हो सकेगा।

.

(4.2.9) किसी दुश्मन देश के हमले की स्थिति में देश टोटल लोस से बच जाएगा।

.

तो हमारे विचार में, प्रत्येक नागरिक को बन्दुक देना ऐसा क़ानून नहीं है जिससे सारे लाभ ही हो। इससे कई आयामों में देश को फायदे होंगे, किन्तु एक आयाम में मामूली नुकसान भी होगा। सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पक्ष होने के कारण हमने इस क़ानून को सीधे लागू करने की जगह जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव किया है।

.

(5) बंदूके काफी महंगी है, लोग इन्हें खरीदेंगे कैसे ?

.

ब्रिटिश बंदूके देखकर भारतीय तकनीशियनों ने ऐसे डिजाइन का अविष्कार कर लिया था जो ब्रिटिश बन्दूको से बेहतर था। तब 1800 ई. में गोरो ने भारत के सभी बंदूक कारखानों का अधिग्रहण किया और बंदूक बनाने पर लाइसेंस नीति डाल दी। और लाइसेंस वे कभी देते नहीं थे। 1857 की क्रांति के बाद गोरो ने आर्म्स एक्ट बनाकर भारतीयों को हथियार धारण करने से भी प्रतिबंधित कर दिया था। इस कानून में बंदूक लगाने के कारखानों को लाइसेंस से मुक्त कर दिया गया है, अत: बड़े पैमाने पर कारखाने लगना शुरू होंगे जिससे बेहतर एवं सस्ती बंदूके बनने लगेगी।

.

(6) क्या भारतीयों को बंदूक देने से वे एक दुसरे को मार नहीं देंगे ?

.

यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा खड़ी की गयी है ताकि नागरिको को हथियार विहीन रखने के लिए कन्विंस किया जा सके। वे एक तरफ़ा एवं चयनात्मक सूचनाओ का इस्तेमाल करके यह भ्रम खड़ा करते है। जब बंदूक की वजह से किसी की जान जाती है तो इसे बड़े पैमाने पर कवरेज दिया जाता है, किन्तु उन घटनाओ को छिपा लिया जाता है जब बंदूको ने नागरिको की रक्षा की। बहुधा पेड मीडिया अपराध की वजह को गलत तरीके से बंदूक से जोड़ देता है, जबकि अपराध की मूल वजह भिन्न होती है।

.

उदाहरण के लिए, कर्नाटक के कूर्ग जिले में लगभग 80% नागरिको के पास बंदूके है, किन्तु वहां पर गन क्राइम रेट सबसे कम कम है। कर्नाटक भी भारत में ही है, और यदि भारतीयों को बंदूक देने से वे एक दुसरे को मार देंगे तो अब तक कूर्ग में लोगो ने एक दुसरो को मार क्यों नहीं दिया। यह एक वास्तविक उदाहरण है जो यह सिद्ध करता है कि - "भारतीयों को बंदूक रखने का अधिकार देने से वे एक दुसरे को मार देंगे" नामक धारणा पूरी तरह से झूठ है, और पेड मीडिया द्वारा भारतीयों के दिमाग में डाली गयी है। और ज्यादातर भारतीय इस धारणा के शिकार इसीलिए है क्योंकि पेड मीडिया इस सूचना को छिपाता है कि, कूर्ग जिले के 80% नागरिको के पास पंजीकृत बंदूके है !! और इसी तर्ज पर बंदूक के बारे में सही सूचना देने वाली कई खबरें छिपायी जाती है, और भ्रमित करने वाली खबरों को उछाला जाता है !!

.

(6.1) बंदूक नहीं रखने का अधिकार देने का मतलब है अपराधीयों को बंदूक रखने की छूट देना। क्योंकि कानून में नहीं मानने वाले लोग अवैध रूप से बंदूक ले आयेंगे और क़ानून में मानने वाले लोग क़ानून का पालन करने के कारण बंदूक रखने से वंचित हो जाते है। और इस तरह अपराधी प्रवृति के लोगो की शक्ति बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए दाउद या छोटा राजन जैसे लोगो ने बंदूके जुटाई और पूरी मुंबई को गन पॉइंट पर नाचने लगे। बंदूक के अलावा उनके पास कुछ नहीं था। यदि सभी मुंबई निवासियों के पास बंदूक होती तो दाउद की बढ़त ख़त्म हो जाती है, और वह इतना बड़ा गैंग खड़ा नहीं कर पाता।

.

(6.2) बंदूक अच्छी या बुरी नहीं होती, बल्कि इसे चलाने वाला व्यक्ति अच्छा या बुरा होता है। आप अपने घर-परिवार एवं मोहल्ले में देखिये कि कितने लोग अपराधी मानसिकता के है, और कितने लोग कानून में मानने वाले है। 99% लोग क़ानून में मानने वाले होते है। और जब क़ानून में मानने वाले लोगो के हाथ में बंदूक जाती है तो यह अपराध नहीं करती, बल्कि अपराधियो से रक्षा करती है।

.

(6.3) यह एक तथ्य है कि अपराध गैर कानूनी बन्दूको से होते है, वैध बन्दूको से नहीं। यदि व्यक्ति के पास वैध बंदूक होगी तो वह उनसे अपराध नहीं कर पायेगा। यदि वह रजिस्टर्ड बंदूक से अपराध करता है तो तुरंत पकड़ा जाएगा।

.

(6.4) दूसरा सबसे बड़ा खतरा* जिसका हम सामना कर रहे है : हमारे विचार में, अमेरिकी-ब्रिटिश धनिक भारत में हिन्दू मुस्लिम गृह युद्ध शुरू करना चाहते है। इसके लिए वे उसी ट्रेक का इस्तेमाल कर रहे है जिसका इस्तेमाल उन्होंने 1947 में और 1990 में कश्मीर पंडितो के निष्कासन में किया था। और इसके लिए वे पेड मीडिया पार्टियों और पेड मीडिया नेताओं का इस्तेमाल करके लगातार तनाव भड़का रहे है।

.

2 करोड़ अवैध बंगलादेशीयों का देश में बने रहना एक वास्तविक वजह है, जो भारत में हिन्दू-मुस्लिम गृह युद्ध को शुरू कर सकतीहै। CAA को NRC से मिक्स करके भ्रम फ़ैलाने का एक उद्देश्य यह था कि असम NRC से बाहर रह गए अवैध बंगलादेशीयों को हथियार पकड़ने के लिए तैयार किया जा सके। इसीलिए असम के NRC में यह प्रावधान नहीं रखा गया कि जो अवैध बंगलादेशी NRC से बाहर रह जायेंगे, उन्हें भारत से कैसे निष्कासित किया जायेगा। अब यदि वे असम में रोहिंग्यो, अवैध बंगलादेशी निवासियों, घुसपेठियो और कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों को हथियार (AK-47, ग्रेनेड आदि) भेजना शुरु करे तो असम में बड़े पैमाने पर कत्ले आम शुरू हो सकता है, और लाखो हिन्दू उसी तरह भारत की और पलायन करेंगे जैसे कश्मीरी पंडितो ने किया था।

.

इसके बाद वे भारत के अन्य राज्यों में भी हथियार भेजना शुरू कर सकते है, और पूरा देश चपेट में आ जाएगा। एक बार यह सब शुरू होने के बाद कई सालों तक रुकने वाला नहीं है। वे अलग अलग गुटों को हथियार भेजते रहेंगे और पेड मीडिया का इस्तेमाल करके दंगा भड़काते रहेंगे। यदि वे हथियार भेजना तय करते है तो प्रत्येक नागरिक को बंदूक दिए बिना उन्हें रोकने का हमारे पास अन्य कोई उपाय नहीं है।

.

(*) पहले नंबर का सबसे बड़ा खतरा यह है कि हमारी सेना आयातित हथियारों पर बुरी तरह से निर्भर है।

.

इस क़ानून को गेजेट में प्रकाशित करवाने के लिए हम क्या सहयोग कर सकते है ?

.

1. कृपया मुख्यमंत्री कार्यालय के पते पर पोस्टकार्ड लिखकर इस क़ानून की मांग करें। पोस्टकार्ड में यह लिखे - मुख्यमंत्री जी, कृपया बंदूक रखने के क़ानून पर जनमत संग्रह कराएं - # StateGunLawReferendum

.

2. ऊपर दी गयी इबारत उसी तरफ लिखे जिस तरफ पता लिखा जाता है। पोस्टकार्ड भेजने से पहले पोस्टकार्ड की एक फोटो कॉपी करवा ले। यदि आपको पोस्टकार्ड नहीं मिल रहा है तो अंतर्देशीय पत्र ( inland letter ) भी भेज सकते है।

.

3. प्रधानमन्त्री जी से मेरी मांग नाम से एक रजिस्टर बनाएं। लेटर बॉक्स में डालने से पहले पोस्टकार्ड की जो फोटो कॉपी आपने करवाई है उसे अपने रजिस्टर के पन्ने पर चिपका देवें। फिर जब भी आप पीएम / सीएम को किसी मांग की चिट्ठी भेजें तब इसकी फोटो कॉपी रजिस्टर के पन्नो पर चिपकाते रहे। इस तरह आपके पास भेजी गयी चिट्ठियों का रिकॉर्ड रहेगा।

.

4. आप किसी भी दिन यह चिट्ठी भेज सकते है। किन्तु इस क़ानून ड्राफ्ट के लेखको का मानना है कि सभी नागरिको को यह चिठ्ठी महीने की एक निश्चित तारीख को और एक तय वक्त पर ही भेजनी चाहिए।

.

तय तारीख व तय वक्त पर ही क्यों ?

.

4.1. यदि चिट्ठियां एक ही दिन भेजी जाती है तो इसका ज्यादा प्रभाव होगा, और प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री कार्यालय को इन्हें गिनने में भी आसानी होगी। चूंकि नागरिक कर्तव्य दिवस 5 तारीख को पड़ता है अत: पूरे देश में सभी शहरो के लिए चिट्ठी भेजने के लिए महीने की 5 तारीख तय की गयी है। तो यदि आप चिट्ठी भेजते है तो 5 तारीख को ही भेजें।

.

4.2. शाम को 5 बजे इसलिए ताकि पोस्ट ऑफिस के स्टाफ को इससे अतिरिक्त परेशानी न हो। अमूमन 3 से 5 बजे के बीच लेटर बॉक्स खाली कर लिए जाते है, अब मान लीजिये यदि किसी शहर से 100-200 नागरिक चिट्ठी डालते है तो उन्हें लेटर बॉक्स खाली मिलेगा, वर्ना भरे हुए लेटर बॉक्स में इतनी चिट्ठियां आ नहीं पाएगी जिससे पोस्ट ऑफिस व नागरिको को असुविधा होगी।

.

और इसके बाद पोस्ट मेन 6 बजे पोस्ट बॉक्स खाली कर सकता है, क्योंकि जल्दी ही वे जान जायेंगे कि पीएम को निर्देश भेजने वाले नागरिक 5-6 के बीच ही चिट्ठियां डालते है। इससे उन्हें इनकी छंटनी करने में अपना अतिरिक्त वक्त नहीं लगाना पड़ेगा। अत: यदि आप यह चिट्ठी भेजते है तो कृपया 5 बजे से 6 बजे के बीच ही लेटर बॉक्स में डाले। यदि आप 5 तारीख को चिट्ठी नहीं भेज पाते है तो फिर अगले महीने की 5 तारीख को भेजे।

.

4.3. आप यह चिट्ठी किसी भी लेटर बॉक्स में डाल सकते है, किन्तु हमारे विचार में यथा संभव इसे शहर या कस्बे के हेड पोस्ट ऑफिस के बॉक्स में ही डाला जाना चाहिए। क्योंकि हेड पोस्ट ऑफिस का लेटर बॉक्स अपेक्षाकृत बड़ा होता है, और वहां से पोस्टमेन को चिट्ठियाँ निकालकर ले जाने में ज्यादा दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती ।

.

5. यदि आप फेसबुक पर है तो प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री जी से मेरी मांग नाम से एक एल्बम बनाकर रजिस्टर पर चिपकाए गए पेज की फोटो इस एल्बम में रखें।

.

6. यदि आप ट्विटर पर है तो प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री जी को रजिस्टर के पेज की फोटो के साथ यह ट्विट करें :

.

@Cmo.. , कृपया बंदूक रखने के क़ानून पर जनमत संग्रह कराएं - #StateGunLawReferendum

.

7. Pm / Cm को चिट्ठी भेजने वाले नागरिक यदि आपसी संवाद के लिए कोई मीटिंग वगेरह करना चाहते है तो वे स्थानीय स्तर पर महीने के दुसरे रविवार यानी सेकेण्ड सन्डे को सांय 4 बजे मीटिंग कर सकते है। मीटिंग हमेशा सार्वजनिक स्थल पर रखी जानी चाहिए। इसके लिए आप कोई मंदिर या रेलवे-बस स्टेशन के परिसर आदि चुन सकते है।

.

2nd Sunday के अतिरिक्त अन्य दिनों में कार्यकर्ता निजी स्थलों पर मीटिंग वगेरह रख सकते है, किन्तु महीने के द्वितीय रविवार की मीटिंग सार्वजनिक स्थल पर ही होगी। इस सार्वजनिक मीटिंग का समय भी अपरिवर्तनीय रहेगा। यदि कार्यकर्ता स्थानीय स्तर पर कोई रेली वगेरह करना चाहते है तो महीने के 4th Sunday को सांय 4 बजे रेली कर सकते है.

.

8. अहिंसा मूर्ती महात्मा उधम सिंह जी से प्रेरित यह एक विकेन्द्रित जन आन्दोलन है। (14) धाराओं का यह ड्राफ्ट ही इस आन्दोलन का नेता है। यदि आप भी यह मांग आगे बढ़ाना चाहते है तो अपने स्तर पर जो भी आप कर सकते है करें। यह कॉपी लेफ्ट प्रपत्र है, और आप इसकी बुकलेट अपने स्तर पर छपवाकर नागरिको में बाँट सकते है।

.

इस आन्दोलन के कार्यकर्ता धरने, प्रदर्शन, जाम, मजमे, जुलूस जैसे उन कदमों से बहुधा परहेज करते है जिससे नागरिको को परेशानी होकर समय-श्रम-धन की हानि होती हो। अपनी मांग को स्पष्ट रूप से लिखकर चिट्ठी भेजने से नागरिक अपनी कोई भी मांग Pm / Cm तक पहुंचा सकते है। इसके लिए नागरिको को न तो किसी नेता की जरूरत है और न ही मीडिया की।

.

============