04) राज्य जूरी कोर्ट – अदालतों को सुधारने के लिए जिला जूरी अदालतें
राज्य जूरी कोर्ट – अदालतों को सुधारने के लिए जिला जूरी अदालतें
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State Jury Court – Proposed Notification to Enact Lower Jury Courts in India
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( इस क़ानून ड्राफ्ट का पीडीऍफ़ एवं अन्य सम्बंधित जानकारी के लिए इस पोस्ट के पहले 3 कमेन्ट देखें। पीडीऍफ़ पेम्पलेट छपवाने और मोबाईल पर पढने के फोर्मेट में है।)
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निचे दिया गया क़ानून राज्य स्तर पर थानों, अदालतों, सरकारी स्कूलों, सरकारी अस्पतालों एवं अन्य सरकारी विभागों का काम काज सुधारने के लिए लिखा गया है। गेजेट में आने के साथ ही यह क़ानून अमुक राज्य में लागू होगा जिस राज्य के मुख्यमंत्री ने इसे गेजेट में निकाला है। इस कानून को लोकसभा या विधानसभा से पास करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री इसे सीधे गेजेट में छाप सकते है। #RRP
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यदि आप इस क़ानून का समर्थन करते है और अपने राज्य में इसे लागू करना चाहते है तो मुख्यमंत्री को एक पोस्टकार्ड लिखें। पोस्टकार्ड में यह लिखे :
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मुख्यमंत्री जी, कृपया प्रस्तावित राज्य जूरी कोर्ट के क़ानून को गेजेट में छापें — #StateJuryCourt #VoteVapsiPassBook
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====ड्राफ्ट का प्रारंभ ====
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टिप्पणी : इस ड्राफ्ट में दो भाग है - (I) नागरिकों के लिए सामान्य निर्देश, (II) नागरिकों और अधिकारियों के लिए निर्देश। टिप्पणियाँ इस क़ानून का हिस्सा नहीं है। नागरिक एवं अधिकारी टिप्पणियों का इस्तेमाल दिशा निर्देशों के लिए कर सकते है।
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भाग (I) : नागरिकों के लिए निर्देश :
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(01) यदि आपका नाम वोटर लिस्ट में है तो यह कानून पास होने के बाद आपको जूरी ड्यूटी के लिए बुलाया जा सकता है। जूरी ड्यूटी में आपको आरोपी, पीड़ित, गवाहों व दोनों पक्षों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत सबूत देखकर बहस सुननी होगी और सजा / जुर्माना या रिहाई का फैसला देना होगा। जूरी का चयन वोटर लिस्ट में से लॉटरी द्वारा किया जाएगा और मामले की गंभीरता देखते हुए जूरी मंडल में 15 से 1500 तक सदस्य होंगे। यदि आपका नाम लॉटरी में निकल आता है तो आपको निचे दिए अपराधो के मुकदमे सुनने के लिए बुलाया जा सकता है :
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1.1. हत्या, हत्या के प्रयास , मारपीट, हिंसा , अप्राकृतिक मानव मृत्यु , दलित उत्पीड़न, Sc-St Act के मामले ।
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1.2. अपहरण , बलात्कार , छेड़छाड़ , कार्यस्थल पर उत्पीड़न , दहेज़ , घरेलू हिंसा , डिवोर्स , वैवाहिक झगड़े ।
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1.3. सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रसारणों से सम्बंधित सभी मामले एवं सम्बंधित सभी आपत्तियां ।
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1.4. किरायेदार-मकान मालिक विवाद, 2 करोड़ से कम मूल्य की सभी प्रकार की जमीन, प्रोपर्टी, सम्पत्तियों आदि के विवाद । मृत्यु भोज से सम्बंधित शिकायतें एवं आपत्तियां।
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(02) इस क़ानून के गेजेट में छपने के 30 दिनों के भीतर प्रत्येक मतदाता को एक वोट वापसी पासबुक मिलेगी। निम्नलिखित अधिकारी इस वोट वापसी पासबुक के दायरे में आयेंगे :
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01. जिला पुलिस प्रमुख
02. जिला शिक्षा अधिकारी
03. जिला चिकित्सा अधिकारी
04. जिला मिलावट रोक अधिकारी
05. जिला जज
06. राज्य सूचना आयुक्त
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तब यदि आप ऊपर दिए गए किसी अधिकारी के काम-काज से संतुष्ट नहीं है, और उसे निकालकर किसी अन्य व्यक्ति को लाना चाहते है तो पटवारी कार्यालय में जाकर स्वीकृति के रूप में अपनी हाँ दर्ज करवा सकते है। आप अपनी हाँ SMS, ATM या मोबाईल APP से भी दर्ज करवा सकेंगे। आप किसी भी दिन अपनी स्वीकृति दे सकते है, या अपनी स्वीकृति रद्द कर सकते है। आपकी स्वीकृति की एंट्री वोट वापसी पासबुक में आएगी। यह स्वीकृति आपका वोट नही है। बल्कि यह एक सुझाव है ।
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[ धारा 2 का स्पष्टीकरण : इस कानून में शुरूआती तौर पर सिर्फ कुछ सरल स्वभाव के अपराधों को शामिल किया गया है, ताकि विशिष्ट किस्म के बुद्धिजीवियों द्वारा दिए जा रहे इस तर्क को कि - आम भारतीय नागरिक ‘ऐसे वाले और वैसे वाले’ अपराधो की प्रकृति समझने की अक्ल नहीं रखते है , अत: उन्हें जूरी में आने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए - नागरिकों द्वारा एक सफ़ेद झूठ के रूप में ख़ारिज किया जा सके। बाद में प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री या मतदाता अन्य अपराधों एवं नागरिक विवादो के अन्य प्रकार भी इसमें जोड़ सकते है।
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इस तरह ये स्थापित किया जा सकेगा कि बुद्धिजीवियों का यह तर्क कि - आम भारतीय नागरिक ‘ऐसे वाले और वैसे वाले’ अपराधो को समझने की अक्ल नहीं रखते है - अधिकतम मतदाताओं द्वारा एक सफ़ेद झूठ के रूप में ख़ारिज किया जा चुका है। तब गोहत्या, भ्रष्टाचार, भाईभतीजा वाद, चोरी, धोखाधड़ी, चेक बाउंस, कर्ज ना चुकाना, किरायेदार-मकान मालिक विवाद, मजदूर-नियोक्ता विवाद, जमीन विक्रय के दस्तावेजों की जालसाजी आदि जैसे अपराध भी प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री / मतदाताओ द्वारा इस क़ानून में जोडे जा सकेंगे। ]
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(03) यदि आपका नाम वोटर लिस्ट में है और आप इस क़ानून की किसी धारा में कोई आंशिक या पूर्ण परिवर्तन चाहते है, तो अपने जिले के कलेक्टर कार्यालय में इस क़ानून के जनता की आवाज खंड की धारा (35.1) के तहत एक शपथपत्र प्रस्तुत कर सकते है। कलेक्टर 20 रू प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर शपथपत्र स्वीकार करेगा, और इसे स्कैन करके मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर रखेगा।
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(II) अधिकारियों के लिए निर्देश :
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टिप्पणी : टिप्पणियाँ इस क़ानून का हिस्सा नहीं है। नागरिक व अधिकारी टिप्पणियों का इस्तेमाल दिशा निर्देशों के लिए कर सकते है। टिप्पणियाँ किसी भी अधिकारी , मंत्री या न्यायाधीश पर बाध्यकारी नहीं है ।
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(04) यह कानून आरोपी या पीड़ित की आयु की अवहेलना करते हुए निम्नलिखित मामलो पर लागू होगा :
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4.1. हत्या, हत्या के प्रयास, दुर्घटना या लापरवाही जनित मानव मृत्यु या किसी भी प्रकार की अप्राकृतिक मानव मृत्यु।
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4.2. ऐसे सभी अपराध जिसमे हिंसा, जान लेवा धमकी, दुर्घटना एवं ऐसी लापरवाही जिससे शरीर को क्षति कारित हो, या गंभीर चोट कारित होने की संभावना हो, दलित उत्पीड़न, Sc-St Act के मामले ।
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4.3. अपहरण-बलात्कार-छेड़छाड़-उत्पीड़न , महिला का पीछा करना , दहेज़ , घरेलू हिंसा, डिवोर्स, वैवाहिक झगड़े।
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4.4. सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रसारण जिनमें सभी प्रकार के दृश्य, श्रव्य, इलेक्ट्रोनिक आदि माध्यम जिसमें- फ़िल्में, टीवी, समाचार पत्र, पुस्तकें, फेसबुक, यू ट्यूब आदि शामिल है - से सम्बंधित सभी प्रकार के मामले व आपत्तियां।
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4.5. किरायेदार-मकान मालिक विवाद, 2 करोड़ से कम मूल्य की सभी प्रकार की जमीन, प्रोपर्टी, सम्पत्तियों आदि के विवाद । मृत्यु भोज से सम्बंधित शिकायतें एवं आपत्तियां।
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4.6. सभी प्रकार के ऐसे अपराध या नागरिक विवाद जिन्हे प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने इस सूची में शामिल किया हो।
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4.7. ऐसे अपराध या विवाद जिन्हें नागरिको के बहुमत ने इस क़ानून की धारा (35) द्वारा एवं प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत किया गया हो
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(05) जिला सहायक निदेशक अभियोजन (A.D.P.) को शामिल करते हुए धारा (02) में दिए गए 6 अधिकारी वोट वापसी पासबुक के दायरे में रहेंगे। प्रत्येक नागरिक को राशन कार्ड या गैस डायरी की तरह एक वोट वापसी पासबुक जारी की जायेगी, जिसमें इन सभी अधिकारियों के खाने (कॉलम) होंगे। प्रधानमन्त्री या मुख्यमंत्री चाहे तो अन्य पदों जैसे सभापति, सरपंच आदि जन प्रतिनिधियों या अन्य अधिकारियों के पन्ने भी इसमें जोड़ने के लिए अधिसूचना जारी कर सकते है। इन अधिकारीयों के लिए नागरिको द्वारा स्वीकृति दर्ज करने और नियुक्ति के प्रावधानों के लिए धारा (31) देखें।
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(06) जूरी कोर्ट की स्थापना एवं इसका अस्थायी निलंबन :
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मुख्यमंत्री प्रत्येक जिले में 1 जिला जूरी प्रशासक की नियुक्ति करेंगे। यदि नागरिक उनके काम से संतुष्ट नही है तो धारा (31) का प्रयोग करके जूरी प्रशासको को बदलने की स्वीकृति दे सकते है।
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[ टिप्पणी : जिला जूरी प्रशासक वह अधिकारी होगा जो मुकदमो के लिए जूरी मंडलों का गठन करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि जूरी कोर्ट सुचारू रूप से काम करें। जिला जूरी प्रशासक को वोट वापसी पासबुक के अधीन किया गया है, ताकि नागरिक यदि यह पाते है कि वह ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो वे जूरी प्रशासक को बदलने के लिए अपनी स्वीकृति दे सकें। यदि जूरी प्रशासक को वोट वापसी पासबुक के अधीन नहीं किया गया तो जूरी प्रशासक के निकम्मे एवं पक्षपाती होने की सम्भावना बढ़ जायेगी और जूरी कोर्ट सुचारू ढंग से काम नहीं कर सकेगी। ]
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(07) जूरी प्रशासक की नियुक्ति एवं निलंबन :
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(7.1) किसी राज्य में दर्ज सभी मतदाताओं की 50% से अधिक स्वीकृतियां मिलने पर मुख्यमंत्री ऊपर दी गयी सभी धाराओं को निलंबित कर सकते है, और किसी एक या अधिक जिलों में अपनी पसंद का जिला जूरी प्रशासक 5 वर्षों के लिए नियुक्त कर सकते है। मुख्यमंत्री अमुक जिले के किसी मामले को क्रमरहित तरीके से चुने हुए किसी अन्य जिले में भी भेज सकते है।
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(7.2) भारत के सभी मतदाताओं के 51% मतदाताओ की स्वीकृति लेकर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री एक या अधिक जिलों या राज्यों में ऊपर बतायी सभी धाराओं को निलंबित कर सकते है, और अमुक जिलों में अपने विवेक से जूरी प्रशासको को 5 वर्षों के लिए नियुक्त कर सकते है। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री किसी मामले को पड़ोसी राज्य के क्रम रहित तरीके से चुने हुए जिले में भी भेज सकते है।
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(08) जूरी ड्यूटी में नागरिको के चयन सम्बन्धी नियम :
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सभी प्रकार के जूरी मंडलो एवं महाजूरी मंडलों का गठन करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाएगा :
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(8.1) मतदाता सूची ही जूरी ड्यूटी की सूची होगी, और जूरी का गठन मतदाता सूची से ही किया जाएगा।
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(8.2) जूरी सदस्यों की आयु 25 से 50 वर्ष के बीच होगी। व्यक्ति की उम्र वही मानी जायेगी जो वोटर लिस्ट में दर्ज है।
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(8.3) सभी श्रेणी के सरकारी कर्मचारी स्पष्ट रूप से जूरी ड्यूटी के दायरे से बाहर रहेंगे।
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(8.4) जो नागरिक जूरी ड्यूटी कर चुके है, उन्हें अगले 10 वर्ष तक जूरी में नहीं बुलाया जायेगा।
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(8.5) यदि किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सक को जूरी ड्यूटी पर बुलाया जाता है तो डॉक्टर जूरी ड्यूटी पर न आने के लिए सूचना दे सकता है। जूरी सदस्य डॉक्टर पर जूरी ड्यूटी न करने के एवज में कोई आर्थिक दंड नहीं लगायेंगे।
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(8.6) यदि निजी क्षेत्र के कर्मचारी को जूरी ड्यूटी पर बुलाया गया है तो नियोक्ता उसे आवश्यक दिवसों के लिए अवैतनिक अवकाश प्रदान करेगा। नियोक्ता अवकाश के दिनों का वेतन कर्मचारी के वेतन में से काट सकता है।
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(09) जिला महाजूरी मंडल = डिस्ट्रिक्ट ग्रेंड ज्यूरी का गठन :
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(09.1) प्रथम महाजूरी मंडल का गठन : जिला जूरी प्रशासक एक सार्वजनिक बैठक में मतदाता सूची में से 25 वर्ष से 50 वर्ष की आयु के मध्य के 50 मतदाताओं का चुनाव लॉटरी द्वारा करेगा। इन सदस्यों का साक्षात्कार लेने के बाद जूरी प्रशासक किन्ही 20 सदस्यों को निकाल सकता है। इस तरह 30 महाजूरी सदस्य शेष रह जायेंगे।
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(09.2) अनुगामी महाजूरी मंडल : प्रथम महा जूरी मंडल में से जिला जूरी प्रशासक पहले 10 महाजूरी सदस्यों को हर 10 दिन में सेवानिवृत्त करेगा। पहले महीने के बाद प्रत्येक महाजूरी सदस्य का कार्यकाल 3 महीने का होगा, अत: 10 महाजूरी सदस्य हर महीने सेवानिवृत्त होंगे, और 10 नए चुने जाएंगे। नये 10 सदस्य चुनने के लिए जूरी प्रशासक जिला/ राज्य /भारत की मतदाता सूची में से लॉटरी द्वारा 20 सदस्य चुनेगा और साक्षात्कार द्वारा इनमें से किन्ही 10 की छंटनी कर देगा।
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(10) क्रमरहित तरीके (लॉटरी) से मतदाताओं को चुनने का तरीका :
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(10.1) जूरी प्रशासक किसी अंक को क्रमरहित विधि से चुनने के लिए किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का प्रयोग नहीं करेगा। यदि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने किसी प्रक्रिया का विवरण नहीं दिया है तो वह नीचे बताये तरीके का प्रयोग करेगा :
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(10.2) मान लीजिये जूरी प्रशासक को 1 और 4 अंको वाली संख्या जैसे ABCD के मध्य की कोई संख्या चुननी है । तब वह हर अंक के लिए 4 दौर के लिए पांसे फेकेगा। पहले दौर में यदि उसे ऐसा अंक चुनना है जो 0 से 5 के मध्य का है, तब वह केवल 1 पांसे का इस्तेमाल करेगा और यदि उसे ऐसा अंक चुनना है जो 0-9 के मध्य है, तब वह 2 पांसों का प्रयोग करेगा।
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(10.3) चुनी गयी संख्या उस संख्या से 1 कम होगी जो एक अकेला पांसा फेकने पर आएगी, और दो पांसे फेकने की स्थिति में यह 2 से कम होगी। यदि पांसे फेकने पर आई संख्या जरुरत की सबसे बड़ी संख्या से बड़ी है तो वह पांसे दोबारा फेकेगा।
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(10.3.1) मान लीजिये जूरी प्रशासक को एक किताब जिसमे 3693 पेज है, में से एक पेज का चयन करना है। तब जूरी प्रशासक 4 दौर ( राउंड ) के पासें फेंकेगा। पहले दौर में वह एक ही पांसे का प्रयोग करेगा, क्योंकि उसे 0-3 के बीच की संख्या का चयन करना है। यदि पांसा 5 या 6 दर्शाता हैं तो वह पांसा दोबारा फेकेगा। यदि पांसा 3 दर्शाता है तो चुनी हुई संख्या 3-1=2 होगी। अब जूरी प्रशासक दूसरे दौर में चला जायेगा। इस दौर में उसे 0-6 के बीच की एक संख्या चुननी है, इसलिए वह दो पांसे फेकेगा। यदि उनका जोड़ 8 से अधिक हो जाता है तो वह पांसे दुबारा फेकेगा। यदि जोड़ का मान 6 आया तो चुनी हुई संख्या 6-2=4 होगी। इसी प्रकार मान लीजिये चार दौरों में पांसा 3, 5, 10 और 2 दर्शाता है। तब जूरी प्रशासक (3-1) , (5-2) , (10-2) और (2-1) अर्थात पेज संख्या 2381 चुनेगा।
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(10.3.2) जूरी प्रशासक सभी मतदाताओं की सूची तैयार कर सकता है और क्रमरहित तरीके से किन्ही दो बड़ी प्रधान संख्याओ को चुन सकता है। मान लीजिये सूची में N मतदाता है। तब वह N/2 और 2N के बीच दो प्रधान संख्या जिन्हें ‘n और m’ मान लेते है, चुन सकता है। चुने हुए मतदाता हो सकते है - ( n mod N ) , ( n +m ) mod N , ( n+2m ) mod N से (n+ ( k-1 )*m ) mod N , जहाँ k का आशय चुने जाने वाले व्यक्तियों की संख्या है।
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(11) महाजूरी सदस्य प्रत्येक शनिवार और रविवार पर बैठक करेंगे। यदि 15 से अधिक महाजूरी सदस्य सहमति देते है तो वे अन्य दिन भी मिल सकते है। ये संख्या 15 से ऊपर तब भी होनी चाहिए, जब 30 से कम महाजूरी सदस्य उपस्थित हों। यदि बैठक होती है तो आरंभ सुबह 11 बजे से और समाप्त शाम 5 बजे तक हो जानी चाहिए। महाजूरी सदस्य को प्रति उपस्थिती प्रतिदिन 500 रु. एवं साथ में यात्रा खर्च भी मिलेगा। मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री महंगाई दर के अनुसार या यात्रा दूरी जैसी स्थितियों में मुआवजा राशि बदल सकते है। ये राशि उसका कार्यकाल समाप्त होने के 30 दिनों बाद दी जाएगी।
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(12) यदि कोई महाजूरी सदस्य बैठक में अनुपस्थित रहता है तो उसे दैनिक भुगतान नहीं मिलेगा। साथ ही वह भुगतान की जाने वाली राशि की तिगुनी राशी से भी वंचित हो सकता है, तथा उसकी संपत्ति का अधिकतम 0.05% तक और उसकी वार्षिक आय का 1% तक का जुर्माना उस पर लगाया जा सकता है। महाजूरी सदस्य 30 दिनों के बाद जुर्माना राशि तय करेंगे।
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(13) जिला महाजूरी मंडल द्वारा मुकदमो को स्वीकार करना :
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(13.1) यदि किसी व्यक्ति, कंपनी या किसी संस्था का किसी और व्यक्ति या संस्था पर कोई आरोप है और यह आरोप यदि धारा (4) या उसके आधार पर जारी किये गए किसी गेजेट नोटीफिकेशन के अंतर्गत है, तो वे महाजूरी मंडल के सदस्यों को लिखित में सूचित कर सकते है, अथवा धारा (34.1) के अंतर्गत अपनी शिकायत प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की वेबसाइट पर अपलोड कर सकते है। अभियोग करने वाले अपनी तरफ से कानूनी सीमा के अन्दर समाधान के रूप में अभियुक्त की संपत्ति जप्त करना, आर्थिक क्षतिपूर्ति लेना, अभियुक्त को कुछ वर्षों या महीनो तक कारावास या मृत्युदंड का सुझाव दे सकते है।
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(13.2) यदि महाजूरी मंडल के 15 से अधिक सदस्य यदि किसी गवाह, शिकायतकर्ता या अभियुक्त को बुलावा देते है तो वे उनके समक्ष हाजिर हो सकते है। वे किसी वकील या विशेषज्ञ को बोलने की अनुमति दे सकते है या नहीं भी दे सकते है।
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(13.3) यदि महाजूरी मंडल के 15 से अधिक सदस्य किसी मामले को विचार योग्य मानते हैं तो मामले के विचार के लिए जिला जूरी प्रशासक 15 से 1500 नागरिकों की जूरी बुलाएगा जिनकी उम्र 25 से 50 वर्ष की आयु के बीच होगी । यदि 15 से अधिक महा जूरी मंडल के सदस्य कहते हैं कि मामला विचार योग्य नहीं है तो मामले को निरस्त कर दिया जाएगा।
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(13.4) यदि महाजूरी मंडल के अधिकांश सदस्य मानते है कि शिकायत बिलकुल आधारहीन और मनगड़ंत है तो वे मामले की सुनवाई में हुई समय की बर्बादी के लिए 5000 रूपये प्रति घंटे अधिकतम की दर से जुर्माना लगा सकते है। महाजूरी मंडल का प्रत्येक सदस्य जुर्माने की राशि प्रस्तावित करेगा और सबके द्वारा प्रस्तावित जुर्माने की मध्यराशि (median) जुर्माने की राशि मानी जाएगी। महाजूरी मंडल के सदस्य ये भी तय करेंगे कि झूठे आरोप की क्षतिपूर्ति के रूप में अभियुक्त को जुर्माने की राशि में से कितनी राशि दी जाएगी। झूठा आरोप होने की स्थिति में अभियुक्त अपने समय , सम्मान और अन्य नुकसान के लिए अधिकतम क्षतिपूर्ति पाने हेतु अलग से एक मामला दायर कर सकते है।
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(14) किसी मामले के लिए आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या का निर्धारण :
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महाजूरी मंडल का प्रत्येक सदस्य मामले के विचार के लिए वांछित जूरी की संख्या प्रस्तावित करेगा और जिला जूरी प्रशासक सारे सदस्यों द्वारा प्रस्तावित संख्या के माध्य को वांछित जूरी संख्या के रूप मे निर्धारित करेगा। यदि महाजूरी मंडल के सदस्यों की संख्या सम है तो जिला जूरी प्रशासक उच्चतर मध्य संख्या को वांछित जूरी संख्या के रूप मे निर्धारित करेंगे। जूरी सदस्यों की संख्या के संबध में महाजूरी मंडल का फैसला अंतिम होगा। महाजूरी सदस्यों के लिए दिशा निर्देश :
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(14.1) यदि अभियुक्त के पास अधिक आर्थिक या राजनैतिक हैसियत है तो जूरी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
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(14.2) यदि अपराध जघन्य है तो जूरी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। उदाहरण के लिए यदि मामला 100,000 रूपए या उससे कम धन राशि की चोरी का है तो जूरी सदस्यों की संख्या 15 हो सकती है। पर यदि चुराई धन राशि इससे अधिक है तो जूरी सदस्यों की संख्या ज्यादा होगी। यदि मामला हत्या का है तो जूरी सदस्यों की संख्या 50 या 100 या उससे भी अधिक हो सकती है।
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(14.3) यदि कोई व्यक्ति अतीत में एकाधिक अपराधों का अभियुक्त रहा है, और महाजूरी मंडल के सदस्य ज्यादातर मामलों को विचार योग्य मानते है तो वे जूरी सदस्यों की संख्या बढ़ा सकते है।
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(14.4) यदि मामला ज्यादा पैसों का है तो जूरी सदस्यों की संख्या ज्यादा हो सकती है। न्यूनतम संख्या 15 होगी और हर 1 करोड़ की राशि के लिए 1 अतिरिक्त सदस्य जोड़ा जाएगा। किन्तु जूरी का आकार 1500 से अधिक नहीं होगा।
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(15) जूरी सदस्यों का चयन :
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(15.1) जूरी प्रशासक मतदाता सूची से लॉटरी द्वारा वांछित जूरी संख्या से दुगनी संख्या में नागरिकों को चुनकर उन्हें बुलावा भेजेगा। उनमे से किसी भी पक्षकार के रिश्तेदार, पडोसी, सहकर्मी आदि को जूरी सदस्यों में शामिल नहीं किया जाएगा। जिले में पिछले 10 वर्षों में किसी सरकारी पद पर रहे नागरिक भी जूरी से बाहर रहेंगे। शेष लोगों में से बिना किसी इंटरव्यू के जूरी प्रशासक लाटरी द्वारा आवश्यक संख्या के जूरी सदस्य चुनेगा। किसी व्यक्ति को जूरी में शामिल नहीं करने का निर्णय जूरी प्रशासक द्वारा लिया जाएगा और उसे सिर्फ महाजूरी मंडल के बहुमत द्वारा बदला जा सकेगा।
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(15.2) जिला जूरी प्रशासक जूरी सदस्यों को प्रत्येक जूरी सदस्य की शिक्षागत योग्यता, पेशा और संपत्ति अथवा आय के बारे में सूचित करेगा। जिन जूरी सदस्यों के पास कम जानकारी है या तर्क या गणित में कम दक्षता है वे उन जूरी सदस्यों से सहायता ले सकते है, जिनके पास ज्यादा जानकारी है या जो तर्क या गणित में ज्यादा दक्ष हैं।
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(15.3) जिला जूरी प्रशासक जिला मुख्य न्यायधीश से मामले की सुनवाई में जूरी सदस्यों को आवश्यक सलाह देने और मामले के संचालन के लिए एक या अधिकतम 3 न्यायधीशों की नियुक्ती करने के लिए कहेगा। न्यायधीशों के संख्या के बारे मे जिला मुख्य न्यायधीश का निर्णय अंतिम होगा। जिला जूरी प्रशासक एक ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर को नियुक्त करेंगे और ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर मामले पर विचार करने की प्रक्रिया एवं जूरी ट्रायल का संचालन करेगा।
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(16) जूरी मंडल द्वारा मुकदमो की सुनवाई करना : सुनवाई सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी। मामले की सुनवाई सिर्फ तभी शुरू होगी जब चुने गए समस्त जूरी सदस्यों में से (चुने गए समस्त जूरी सदस्यों में से, ना कि सिर्फ उपस्थित जूरी सदस्यों के) 75% सुनवाई शुरू करने को राजी हों।
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(17) ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर शिकायत कर्ता को एक घंटे तक बोलने की अनुमति देगा तथा इस दौरान उन्हें कोई नहीं रोकेगा। इसके बाद अभियुक्त एक से डेढ़ घंटे तक अपना पक्ष रखेगा। इस तरह एक के बाद एक दोनों पक्ष बोलेंगे। भोजन विराम दोपहर 1 बजे से 2 बजे के बीच शुरू होगा और 1 घंटे तक रहेगा। इसी तरह सुनवाई लगातार प्रत्येक दिन चलेगी। जूरी सदस्यों के बहुमत द्वारा किसी भी पक्ष के बोलने की अवधि को बदला जा सकेगा। इस क़ानून में सभी जगह जूरी का बहुमत या अधिकांश का अर्थ चुने गए समस्त जूरी सदस्यों के बहुमत से है ना कि सिर्फ उपस्थित जूरी सदस्यों के बहुमत से।
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(18) मामले की सुनवाई न्यूनतम 2 दिन तक चलेगी । तीसरे दिन या उसके बाद यदि जूरी सदस्यों का बहुमत कहता है कि हमने दोनों पक्षों को पर्याप्त सुन लिया है, तो सुनवाई एक दिन और चलेगी। यदि अगले दिन बहुमत कहता है कि उन्हें और सुनना है तो सुनवाई तब तक चलती रहेगी जब तक जूरी का बहुमत सुनवाई ख़त्म करने को नही कहता। अंतिम दिन दोनों पक्ष 1-1 घंटे तक अपना पक्ष रखेंगे। इसके बाद जूरी सदस्य 2 घंटे तक आपस में विचार मंथन करेंगे। यदि 2 घंटे बाद जूरी सदस्य ये निर्णय लेते है की उन्हें और विचार मंथन की आवश्यकता नहीं है, तो जूरी अपना फैसला सार्वजनिक करेगी।
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(19) जुर्माने का निर्धारण : प्रत्येक जूरी सदस्य जुर्माने की राशि प्रस्तावित करेगा, जो कि प्रवृत क़ानूनी सीमा के अन्दर हो। यदि किसी सदस्य द्वारा प्रस्तावित जुर्माना राशि कानूनी सीमा से अधिक है तो जुर्माने की अधिकतम कानूनी सीमा को प्रस्तावित जुर्माने की राशि माना जाएगा। ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर सभी प्रस्तावित जुर्माना राशीयों को घटते क्रम में रखेगा। अर्थात सबसे अधिक प्रस्तावित राशि को सबसे ऊपर और सबसे अंत में सबसे कम जुर्माने की राशि को रखा जायेगा। ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर दो तिहाई जूरी सदस्यों द्वारा मंजूर जुर्माने की राशि को जुर्माने की राशि मानेंगे। उदाहरण के लिए, यदि जूरी सदस्यो की संख्या 100 हैं तो घटते क्रम में 67 क्रमांक पर प्रस्तावित जुर्माने की राशि को जुर्माने की राशि माना जाएगा। अर्थात, यदि 100 में से 34 जूरी सदस्यों ने शून्य जुर्माना प्रस्तावित किया है तो जुर्माने की राशि को शून्य माना जाएगा।
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(20) कारावासीय दंड : ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर जूरी सदस्यों द्वारा प्रस्तावित कारावास की अवधि को घटते क्रम में सजाएगा। अर्थात सबसे अधिक दंड सबसे पहले और सबसे कम को अंत में रखा जायेगा। यदि किसी सदस्य द्वारा बतायी कारावास की अवधि कानूनी सीमा से अधिक है तो ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर उस मामले में कानून द्वारा प्रस्तावित सर्वाधिक कारावास अवधि को प्रस्तावित कारावास की अवधि के रूप में दर्ज करेंगे, और 2/3 जूरी सदस्यो द्वारा मंजूर कारावास की अवधि को सम्मिलित रूप से तय की गयी कारावास की अवधि माना जाएगा। अर्थात, यदि एक तिहाई जूरी सदस्य कारावास की अवधि शून्य प्रस्तावित करते हैं तो अभियुक्त को निरपराध घोषित कर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि जूरी सदस्यों की संख्या 100 है तो घटते क्रम में 67 क्रम संख्या वाली प्रस्तावित कारावास की अवधि को कारावास की सम्मिलित अवधि के रूप में माना जाएगा और यदि 34 जूरी सदस्य कारावास की अवधि शून्य प्रस्तावित करते हैं तो कारावास नहीं होगा।
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(21) मृत्यु दंड एवं सार्वजनिक नारको टेस्ट के मामले में 75% से अधिक जूरी सदस्यों की मंजूरी आवश्यक होगी। इस तरह के मामलों में एक अन्य जूरी मंडल द्वारा मामले पर पुनर्विचार किया जाएगा। दूसरी बार में आयी जूरी ही ये निर्णय करेगी कि मृत्युदंड होगा या नहीं। मृत्यु दंड पर पुनर्विचार के लिए आयी जूरी भी मृत्यु दंड को 75% सदस्यों द्वारा अनुमोदित करेगी।
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(22) जूरी मंडल जो भी अंतिम फैसला देंगे उसे ट्रायल के पदासीन जज द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। यदि जज चाहे तो जूरी के फैसले में संशोधन कर सकता है, या फैसले को पूरी तरह से पलट सकता है। जज जब भी अपना फैसला लिखेगा तब वह सबसे पहले जूरी के फैसले को उद्धत करेगा। सरकारी दस्तावेजो, बुलेटिन एवं अन्य सभी जगह जहाँ पर भी फैसले को दर्ज / उद्धत किया जाएगा, वहां पर अनिवार्य रूप से सबसे पहले जूरी द्वारा दिए गए फैसले का जिक्र किया जाएगा।
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(23) यदि किसी अन्य समाधान की मांग की गयी है तो जूरी सदस्य दोनों पक्षों को अधिकतम 5 या उससे कम वैकल्पिक प्रस्ताव दाखिल करने को कहेंगे। इसके अलावा जूरी की अनुमति से कोई भी व्यक्ति समाधान के लिए अपना प्रस्ताव जूरी के सामने रख सकता है। प्रत्येक जूरी सदस्य प्रत्येक वैकल्पिक प्रस्ताव को 0 में से 100 के बीच अंक देगा। यदि किसी प्रस्ताव को किसी जूरी सदस्य ने कोई भी अंक नहीं दिया हैं तो उस प्रस्ताव के लिए उनके द्वारा दिया गया अंक शून्य माना जाएगा। जिस वैकल्पिक समाधान प्रस्ताव को सबसे ज्यादा अंक मिलेंगे उस प्रस्ताव को जूरी द्वारा मंजूर किया गया प्रस्ताव माना जाएगा।
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(24) अनुपस्थिति या देर से आने पर जूरी सदस्यों पर जुर्माना - यदि कोई जूरी सदस्य या कोई भी पक्ष सुनवाई में अनुपस्थित रहता हैं या विलम्ब से आते हैं तो तीन महीने बाद महा जूरी मंडल जुर्माने की राशी तय करेगा, जो कि उनकी संपत्ति का 0.1% अथवा वार्षिक आय का 1% हो सकता है। जुर्माने के निर्धारण में महाजूरी मंडल का फैसला अंतिम होगा।
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(25) यदि 50% से ज्यादा जूरी सदस्य मानते हैं कि शिकायत बिलकुल निराधार एवं मनगड़ंत है तो प्रत्येक जूरी सदस्य अधिकतम 1000 रूपए प्रति जूरी सदस्य तक का जुर्माना लगा सकता है। प्रत्येक जूरी सदस्य जुर्माने की राशि प्रस्तावित करेगा और जिला जूरी प्रशासक प्रस्तावित राशियों के मध्य मान को जुर्माने की राशि मानेगा। किन्तु जुर्माने की उच्चतम सीमा वह राशि होगी जो कि शिकायतकर्ता की संपत्ति की 2% या वार्षिक आय की 10% में से उच्च है। जुर्माने की इस राशि में से अभियुक्त को जो राशि दी जायेगी उसकी गणना इस प्रकार होगी - अभियुक्त द्वारा पिछले वर्ष भरे गए आयकर रिटर्न के अनुसार उसकी प्रतिदिन आय का निर्धारण किया जाएगा। तथा जितने दिन सुनवाई चली और अभियुक्त को जितने दिन का नुकसान हुआ उस हिसाब से उसे मुआवजा दिया जाएगा। अभियुक्त ज्यादा मुआवजे के लिए अलग से मामला दायर कर सकता है।
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(26) जटिल मामलों में यदि कोई तकनिकी या कानूनी विशेषज्ञ कोई जानकारी देने के इच्छुक हैं तो कोई भी पक्षकार या ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर उनकी मदद ले सकते है। जूरी प्रशासक उनकी दैनिक भुगतान राशि तय करेंगे, जो उनकी दैनिक आय से अधिक नहीं होगी। जूरी सदस्यों को भत्तों के रूप में जिला महाजूरी मंडल के सदस्यों के समान धनराशी दी जायेगी।
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(27) यदि किसी जिले में तहसील स्तर के न्यायालय है तो जूरी प्रशासक तहसील स्तर पर भी महाजूरी मंडल का गठन कर सकता। तहसील का महाजूरी मंडल तहसील के अंतर्गत मामलों की सुनवाई करेगा। जिला जूरी प्रशासक तहसील अदालतों के लिए तहसील जूरी प्रशासक की नियुक्ति करेंगे और जूरी कोर्ट की कार्यवाही ऊपर दी गयी धाराओं के अनुरूप ही होगी।
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[ टिपण्णी : यदि वादी गण को लगता है कि जिला जज ने अनुचित फैसला दिया है तो वे इस क़ानून के वोट वापसी खंड की धारा (31) का इस्तेमाल करके जिले के नागरिको से विनती कर सकते है कि नागरिक जिला जज को नौकरी से निकालने की स्वीकृति दें। या वे इस क़ानून के जनता की आवाज खंड की धारा (35.1) के तहत राज्य के नागरिको के समक्ष पुनर्विचार (Riview) का एक शपथपत्र दाखिल कर सकता है।
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(28) इसी क़ानून की धारा (04) में वर्णित मामलो या धारा (04) के तहत जारी की गयी राजपत्र अधिसूचना द्वारा निर्धारित मामलों में जूरी मंडल के 2/3 से अधिक बहुमत द्वारा दी गयी सहमती बिना किसी भी नागरिक को किसी भी सरकारी अधिकारी द्वारा न तो दण्डित किया जा सकेगा, और न ही जुर्माना लगाया सकेगा। किन्तु निम्नलिखित दशाओं में जूरी मंडल की सहमती आवश्यक नहीं होगी - यदि ऐसे आदेश को उच्च या उच्चतम न्यायालय ने अनुमोदित किया हो, अथवा ऐसे आदेश को इस क़ानून के जनता की आवाज खंड की धारा (35) के प्रावधानों का प्रयोग करते हुए जिले / राज्य / देश के मतदाताओ के बहुमत ने अनुमोदित किया हो। कोई भी सरकारी अधिकारी किसी भी नागरिक को ज्यूरी मंडल के 2/3 से अधिक बहुमत द्वारा दी गयी सहमती बिना या महाजूरी मंडल के साधारण बहुमत द्वारा दी गयी सहमती बिना या धारा (35) के प्रावधानों के तहत दर्शाए गए जिला / राज्य / देश के नागरिको के बहुमत बिना 48 घंटो से अधिक समय तक कारावास में नहीं रखेगा।
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(29) जिला स्तर के अधिकारियों के लिए आवेदन एवं योग्यताएं :
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(29.1) जिला पुलिस प्रमुख : यदि 32 वर्ष से अधिक आयु का कोई भारतीय नागरिक जो पिछले 3000 दिनों में 2400 से अधिक दिनों के लिए किसी जिले में पुलिस प्रमुख नहीं रहा हो, तथा जिसने 5 वर्षों तक सेना में काम किया हो, या पुलिस विभाग में एक भी दिन काम किया हो, या सरकारी कर्मचारी के रूप में 10 वर्षों तक काम किया हो या उसने राज्य / संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रशासनिक सेवाओ की लिखित परीक्षा पास की हो, या उसने विधायक /सांसद / पार्षद या जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता हो, तो ऐसा व्यक्ति जिला पुलिस प्रमुख के प्रत्याशी के रूप में आवेदन कर सकेगा।
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(29.2) जिला जज, जिला जूरी प्रशासक एवं सहायक निदेशक अभियोजन : भारत का कोई भी नागरिक जिसकी आयु 32 वर्ष से अधिक हो एवं उसे LLB की शिक्षा पूर्ण किये हुए 8 वर्ष हो चुके हो या वह सहायक लोक अभियोजक ( APP = Assistance Public Prosecutor ) के रूप में 3 वर्ष तक सेवाएं दे चुका हो तो वह जिला जज, जिला जूरी प्रशासक एवं सहायक निदेशक अभियोजन ( ADP = Additional Director of Prosecution ) पद के लिए आवेदन कर सकेगा।
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(29.3) जिला चिकित्सा अधिकारी : 32 वर्ष से अधिक आयु का भारतीय नागरिक जिसे ऐलोपेथी, आयुर्वेद, होम्योपेथ, यूनानी या भारत सरकार द्वारा स्वीकार की गयी इसके समकक्ष किसी अन्य चिकित्सा विज्ञान का मान्यता प्राप्त चिकित्सक होने के लिए वांछित डिग्री प्राप्त किये हुए 5 वर्ष हो चुके हो तो वह जिला चिकित्सा अधिकारी के लिए आवेदन कर सकेगा।
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(29.4) जिला शिक्षा अधिकारी, राज्य सूचना आयुक्त एवं जिला मिलावट रोकथाम अधिकारी : भारत का कोई भी नागरिक जिसकी आयु 32 वर्ष से अधिक हो तो वह जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला मिलावट रोकथाम अधिकारी पद के लिए आवेदन कर सकेगा।
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(30) धारा (29) में दी गयी योग्यता धारण करने वाला कोई भी नागरिक यदि जिला कलेक्टर कार्यालय में स्वयं या किसी वकील के माध्यम से कोई एफिडेविट प्रस्तुत करता है, तो जिला कलेक्टर सांसद के चुनाव में जमा की जाने वाली राशि के बराबर शुल्क लेकर अर्हित पद के लिए उसका आवेदन स्वीकार कर लेगा, तथा इसे मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर स्कैन करके रखेगा।
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(31) मतदाता द्वारा उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए हाँ दर्ज करना :
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(31.1) कोई भी नागरिक किसी भी दिन अपनी वोट वापसी पासबुक या वोटर आई डी के साथ पटवारी कार्यालय में जाकर किसी भी प्रत्याशी के समर्थन में हाँ दर्ज करवा सकेगा। पटवारी अपने कम्प्यूटर एवं वोट वापसी पासबुक में मतदाता की हाँ दर्ज करेगा। पटवारी मतदाताओं की हाँ को प्रत्याशीयों के नाम व मतदाता की पहचान-पत्र संख्या के साथ जिला वेबसाईट पर भी सार्वजनिक करेगा। मतदाता किसी पद के प्रत्याशीयों में से अपनी पसंद के अधिकतम 5 व्यक्तियों को स्वीकृति दे सकता है।
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(31.2) स्वीकृति ( हाँ ) दर्ज करने के लिए मतदाता 3 रूपये फ़ीस देगा। BPL कार्ड धारक के लिए फ़ीस 1 रुपया होगी।
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(31.3) यदि मतदाता सहमती रद्द करवाने आता है तो पटवारी एक या अधिक नामों को बिना कोई फ़ीस लिए रद्द कर देगा
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(31.4) प्रत्येक महीने की 5 तारीख को कलेक्टर पिछले महीने में प्राप्त प्रत्येक प्रत्याशियों को मिली स्वीकृतियों की गिनती प्रकाशित करेगा। पटवारी अपने क्षेत्र की स्वीकृतियों का यह प्रदर्शन प्रत्येक सोमवार को करेगा।
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[ टिप्पणी : कलेक्टर ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता अपनी हाँ SMS, ATM, मोबाईल एप से दर्ज कर सके।
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रेंज वोटिंग - प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता किसी प्रत्याशी को -100 से 100 के बीच अंक दे सके। यदि मतदाता सिर्फ हाँ दर्ज करता है तो इसे 100 अंको के बराबर माना जाएगा। यदि मतदाता अपनी स्वीकृति दर्ज नही करता तो इसे शून्य अंक माना जाएगा । किन्तु यदि मतदाता अंक देता है तब उसके द्वारा दिए अंक ही मान्य होंगे। रेंज वोटिंग की ये प्रक्रिया स्वीकृति प्रणाली से बेहतर है, और ऐरो की व्यर्थ असम्भाव्यता प्रमेय ( Arrow’s Useless Impossibility Theorem ) से प्रतिरक्षा प्रदान करती है। ]
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(32) अधिकारियों की नियुक्ति एवं निष्कासन :
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(32.1) जिला पुलिस प्रमुख एवं जिला शिक्षा अधिकारी : यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं ( सभी मतदाता, न कि केवल वे जिन्होंने सहमती दर्ज की है ) के 50% से अधिक मतदाता किसी उम्मीदवार के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है तो मुख्यमंत्री इस्तीफा दे सकते है, या सबसे अधिक स्वीकृति प्राप्त करने वाले व्यक्ति को उस जिले में अगले 4 वर्ष के लिए नया जिला पुलिस प्रमुख या शिक्षा अधिकारी नियुक्त कर सकते है, या नही भी कर सकते है। नियुक्ति के बारे में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री करेंगे। यदि दिल्ली पुलिस प्रमुख का कोई उम्मीदवार 50% से अधिक स्वीकृति प्राप्त कर लेता है तो दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख सकते है, और दिल्ली पुलिस प्रमुख की नियुक्ति का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री करेंगे।
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(32.2) जिला जूरी प्रशासक, मिलावट रोक अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी एवं जिला सहायक निदेशक अभियोजन : यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक मतदाता किसी प्रत्याशी के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है, और यदि ये स्वीकृतियां पदासीन अधिकारी से 1% अधिक भी है तो मुख्यमंत्री अमुक प्रत्याशी को जूरी प्रशासक या सहायक निदेशक अभियोजन की नौकरी दे सकते है ।
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(32.3) राज्य सूचना आयुक्त : यदि किसी राज्य की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक मतदाता किसी प्रत्याशी के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है, और यदि ये स्वीकृतियां पदासीन अधिकारी से 1% अधिक भी है तो मुख्यमंत्री उसकी नियुक्ति के लिए पीएम को चिट्ठी लिख सकते है।
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(32.4) जिला जज : यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक मतदाता किसी प्रत्याशी के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है और यदि ये स्वीकृतियां पदासीन जिला जज से 1% अधिक भी है तो मुख्यमंत्री उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को चिट्ठी लिख सकते है। जिला जज की नियुक्ति का अंतिम निर्णय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश करेंगे।
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(32.5) जिला शिक्षा अधिकारी : यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी अभिभावकों के 35% से अधिक अभिभावक किसी प्रत्याशी के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है और यदि ये स्वीकृतियां पदासीन अधिकारी से 1% अधिक भी है तो मुख्यमंत्री अमुक प्रत्याशी को जिला शिक्षा अधिकारी की नौकरी दे सकते है।
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(32.5.1) जिला शिक्षा अधिकारी को अभिभावक एवं आम नागरिक दोनों अपनी स्वीकृतियां दे सकेंगे। 35% अभिभावकों की सहमती से मुख्यमंत्री जिला शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति कर सकते है, और यदि आम नागरिक शिक्षा अधिकारी के किसी प्रत्याशी को 50% से अधिक स्वीकृतियां दे देते है तो नागरिको की मंशा को उच्च माना जायेगा।
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(32.5.2) इस क़ानून में अभिभावक शब्द का अर्थ होगा - 0 से 18 वर्ष आयुवर्ग के बच्चो के पिता या उनकी माता, जो उस जिले का मतदाता भी हो। जब तक अभिभावको की सूची नहीं बनती, प्रत्येक मतदाता जो 23 और 45 वर्ष के बीच है, इस क़ानून के लिए अभिभावक माना जायेगा।
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(32.5.3) मतदाताओ या अभिभावकों की स्वीकृतियों से नियुक्त हुआ शिक्षा अधिकारी एक से अधिक जिलो का भी शिक्षा अधिकारी बन सकता है। वह किसी राज्य में अधिक से अधिक 5 जिलों का, और भारत भर में अधिक से अधिक 20 जिलों का शिक्षा अधिकारी बन सकता है। कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में किसी जिले का शिक्षा अधिकारी 8 वर्षों से अधिक समय के लिए नहीं रह सकता है। यदि वह एक से अधिक जिलो का शिक्षा अधिकारी है तो उसे उन सभी जिलों के शिक्षा अधिकारी के पद का वेतन, भत्ता, बोनस आदि मिलेगा।
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(33) जिला पुलिस प्रमुख के लिए गुप्त स्वीकृति की अतिरिक्त प्रक्रिया एवं कार्यकाल :
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(33.1) मुख्यमंत्री एवं राज्य के सभी मतदाता राज्य चुनाव आयुक्त से विनती करते है कि, जब भी जिले में कोई आम चुनाव, जिला पंचायत चुनाव, ग्राम पंचायत चुनाव, स्थानीय निकाय चुनाव, सांसद का चुनाव, विधायक का चुनाव या अन्य कोई भी चुनाव करवाया जाएगा तो इन चुनावों के साथ राज्य चुनाव आयुक्त एस.पी. के चुनाव के लिए भी मतदान कक्ष में एक अलग से मतपत्र पेटी रखेगा, ताकि जिले के मतदाता यह तय कर सके कि वे मौजूदा एस.पी. की नौकरी चालू रखना चाहते है या किसी अन्य व्यक्ति को एस.पी. की नौकरी देना चाहते है।
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(33.2) यदि कोई उम्मीदवार जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं (सभी, न कि केवल वे जिन्होंने गुप्त स्वीकृतियों के लिए मतदान किया है) के 50% से अधिक गुप्त स्वीकृतियां प्राप्त कर लेता है तो मुख्यमंत्री त्यागपत्र दे सकते है, या 50% से अधिक गुप्त स्वीकृतियां प्राप्त करने वाले व्यक्ति को उस जिले में अगले 4 वर्ष के लिए जिला पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकते है। यदि दिल्ली पुलिस प्रमुख का कोई उम्मीदवार 50% से अधिक गुप्त स्वीकृति प्राप्त कर लेता है, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख सकते है, और दिल्ली पुलिस प्रमुख की नियुक्ति का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री करेंगे।
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(33.3) यदि कोई व्यक्ति पिछले 3000 दिनों में 2400 से अधिक दिनों के लिए पुलिस प्रमुख रह चुका हो तो मुख्यमंत्री उसे अगले 600 दिनों के लिए जिला पुलिस प्रमुख के पद पर रहने की अनुमति नहीं देंगे। किन्तु यदि पुलिस प्रमुख गुप्त स्वीकृति की प्रक्रिया में जिले के 50% से अधिक स्वीकृतियां प्राप्त कर लेता है तो मुख्यमंत्री उसे पद पर बनाए रख सकते है।
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(33.4) राज्य के सभी मतदाताओं के 50% से अधिक मतदाताओं की स्पष्ट स्वीकृति लेकर मुख्यमंत्री किसी जिले में पुलिस प्रमुख के लिए नागरिको द्वारा स्वीकृत करने की इस प्रक्रिया एवं उसके स्टाफ पर ज्यूरी ट्रायल को 4 वर्षों के लिए हटाकर अपनी पसंद का नया जिला पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकते है। किन्तु मुख्यमंत्री शिक्षा अधिकारी, जिला जज, जूरी प्रशासक एवं चिकित्सा अधिकारी को स्वीकृत करने की प्रक्रियाए तब भी जारी रख सकते है।
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(34) जिला शिक्षा अधिकारी : सात्य प्रणाली के लिए निर्देश
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[ टिप्पणी : सात्य प्रणाली एक ऐसी व्यवस्था की रचना करती है जिससे हम गणित-विज्ञान के अध्यापन में उन लोगो को मुक्त रूप से आकर्षित कर सके जिनमे प्रतिभा एवं शिक्षण तत्व (टीचिंग मेटेरियल) है। साथ ही यह ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाशाली छात्रों को गणित विज्ञान में कुशलता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है।]
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(34.1) कोई भी व्यक्ति DEO ऑफिस में 200 रू जमा करके खुद को गणित-विज्ञान के शिक्षक के रूप में पंजीकृत करने के लिए एक शपथपत्र दे सकेगा। शिक्षा अधिकारी उसे पंजीकृत करेगा और एक रजिस्ट्रेशन नंबर जारी करेगा। इस शपथपत्र के साथ वह अपनी शिक्षा सम्बन्धी डिग्रियां, अनुभव आदि के दस्तावेज सलंग्न कर सकता है। यह शपथपत्र सार्वजनिक रहेगा ताकि अभिभावक इसे देख सके।
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(34.2) कोई भी छात्र शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जाकर खुद को एक छात्र के रूप में पंजीकृत करवा सकेगा।
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(34.3) पंजीकृत शिक्षक छात्रों को आकर्षित करेंगे और उन्हें स्वतन्त्र रूप से पढ़ायेंगे। पढ़ाने की जगह, ब्लेक बोर्ड, फर्नीचर आदि की व्यवस्था शिक्षक को स्वयं करनी होगी।
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(34.3.1) स्पष्टीकरण - यदि शिक्षक के पास 20 से अधिक छात्र हो जाते है तो DEO उसे किसी नजदीकी सरकारी स्कूल का कक्षा कक्ष आवंटित कर सकता है। अमुक शिक्षक अनुमति प्राप्त समय में अपने छात्रों को यहाँ पढ़ा सकता है। यदि निजी स्कूल अनुमति देता है तो DEO किसी निजी स्कूल का कक्ष भी शिक्षक को आवंटित कर सकता है।
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(34.4) शिक्षा अधिकारी शिक्षको को कोई भी वेतन नहीं देगा। यदि अभिभावक चाहे तो शिक्षक को उसके शिक्षण की गुणवत्ता एवं नतीजो के आधार पर फ़ीस दे सकते है।
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(34.5) यदि छात्र को पाठ समझ नहीं आ रहा है तो छात्र अपना शिक्षक किसी भी समय बदल सकता है। छात्र जब किसी एक शिक्षक के पास से अपना नाम कटवाएगा तो किसी अन्य शिक्षक के पास खुद को पंजीकृत करवाएगा।
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(34.6) शिक्षा अधिकारी सिलेबस / पाठ्यक्रम की एक प्रश्नमाला पहले से प्रकाशित करेगा। प्रश्नमाला में 10,000 से कम प्रश्न नहीं होंगे और ये प्रश्न 25,000 या उससे ज्यादा भी हो सकते है।
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(34.7) शिक्षा अधिकारी अनिवार्य रूप से मासिक, त्रेमासिक, अर्ध वार्षिक एवं वार्षिक परीक्षाएं आयोजित करवाएगा। इन सभी परीक्षाओं के प्रश्न अनिवार्य रूप से बहु वैकल्पिक प्रकार के होंगे।
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(34.8) DEO जिले के परीक्षा परिणाम के आधार पर ग्रेडिंग करेगा तथा प्रदर्शन के अनुरूप शिक्षको को पुरूस्कार देगा। जितना पुरूस्कार शिक्षक को मिलेगा, उतना ही पुरूस्कार अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को भी दिया जाएगा।
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(34.8.1) स्पष्टीकरण- मान लीजिये कोई शिक्षक 30 छात्रों को पढाता है। इनमे से 3 छात्र "अ, ब एवं स” वरीयता सूची में स्थान पाते है, एवं 1 छात्र ‘द’ जिले में 100 वीं रेंक हासिल करता है। यदि वरीयता सूची के लिए DEO 25,000 रू एवं 100 वी रेंक के लिए 5000 रू पारितोषिक तय करता है तो शिक्षक 25,000*3 = 75,000 + 5000 =80,000 रू प्राप्त करेगा एवं इन छात्रों को भी क्रमश: 25,000 एवं 5,000 रू का पुरूस्कार देंगे।
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(34.9) गणित-विज्ञान के अतिरिक्त इतिहास, सामाजिक विज्ञान, भूगोल आदि विषयों से ग्रेड का निर्धारण नहीं होगा, एवं इन विषयों में छात्र को सिर्फ पास होना होगा। छात्र उपरोक्त विषयों में 100 में से 100 अंक लाता है तब भी मार्कशीट में सिर्फ पास अंकित किया जाएगा।
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(35) जनता की आवाज :
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(35.1) यदि कोई मतदाता इस कानून में कोई परिवर्तन चाहता है या किसी मांग, सुझाव आदि के रूप में अर्जी देना चाहता है तो वह कलेक्टर कार्यालय में एक एफिडेविट जमा करवा सकेगा। जिला कलेक्टर 20 रूपए प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर एफिडेविट को मतदाता के वोटर आई.डी नंबर के साथ मुख्यमंत्री / प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन करके रखेगा।
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(35.2) यदि कोई मतदाता धारा (35.1) के तहत प्रस्तुत किसी एफिडेविट पर अपना समर्थन दर्ज कराना चाहे तो वह पटवारी कार्यालय में 3 रूपए का शुल्क देकर अपनी हां / ना दर्ज करवा सकता है। पटवारी इसे दर्ज करेगा और हाँ / ना को मतदाता के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ मुख्यमंत्री / प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।
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[ टिपण्णी : यह क़ानून लागू होने के 4 वर्ष बाद यदि व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आते है तो इस कानून की धारा (35.1) के तहत एक शपथपत्र दिया जा सकेगा, जिसमे उन कार्यकर्ताओ को सांत्वना के रूप में वाजिब प्रतिफल देने का प्रस्ताव होगा, जिन्होंने इस क़ानून को लागू करवाने के प्रयास किये है। कार्यकर्ता के जीवित नही होने पर प्रतिफल उसके नोमिनी को दिया जाएगा। यह प्रतिफल किसी स्मृति चिन्ह / प्रशस्ति पत्र या अन्य किसी रूप में हो सकता है। यदि 51% नागरिक इस शपथपत्र पर हाँ दर्ज कर देते है तो प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री इन्हें लागू करने के आदेश जारी कर सकते है, या नहीं भी कर सकते है। ]
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====राज्य जूरी कोर्ट ड्राफ्ट का समापन====
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इस क़ानून को गेजेट में प्रकाशित करवाने के लिए आप क्या सहयोग कर सकते है ?
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1. कृपया " मुख्यमंत्री कार्यालय " के पते पर पोस्टकार्ड लिखकर इस क़ानून की मांग करें। पोस्टकार्ड में यह लिखे :
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“ मुख्यमंत्री जी, कृपया प्रस्तावित राज्य जूरी कोर्ट क़ानून को गेजेट में छापें --- #StateJuryCourt , #VoteVapsiPassbook
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2. ऊपर दी गयी इबारत उसी तरफ लिखे जिस तरफ पता लिखा जाता है। पोस्टकार्ड भेजने से पहले पोस्टकार्ड की एक फोटो कॉपी करवा ले। यदि आपको पोस्टकार्ड नहीं मिल रहा है तो अंतर्देशीय पत्र ( inland letter ) भी भेज सकते है।
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3. "मुख्यमंत्री / प्रधानमन्त्री जी से मेरी मांग" नाम से एक रजिस्टर बनाएं। लेटर बॉक्स में डालने से पहले पोस्टकार्ड की जो फोटो कॉपी आपने करवाई है उसे अपने रजिस्टर के पन्ने पर चिपका देवें। फिर जब भी आप पीएम या सीएम को किसी मांग की चिट्ठी भेजें तब इसकी फोटो कॉपी रजिस्टर के पन्नो पर चिपकाते रहे। इस तरह आपके पास भेजी गयी चिट्ठियों का रिकॉर्ड रहेगा।
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4. आप किसी भी दिन यह चिट्ठी भेज सकते है। किन्तु इस क़ानून ड्राफ्ट के लेखको का मानना है कि सभी नागरिको को यह चिठ्ठी महीने की एक निश्चित तारीख को और एक तय वक्त पर ही भेजनी चाहिए।
तय तारीख व तय वक्त पर ही क्यों ?
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4.1. यदि चिट्ठियां एक ही दिन भेजी जाती है तो इसका ज्यादा प्रभाव होगा, और प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री कार्यालय को इन्हें गिनने में भी आसानी होगी। चूंकि नागरिक कर्तव्य दिवस 5 तारीख को पड़ता है अत: पूरे देश में सभी शहरो के लिए चिट्ठी भेजने के लिए महीने की 5 तारीख तय की गयी है। तो यदि आप Pm को ये चिट्ठी भेजते है तो सिर्फ 5 तारीख को ही भेजें।
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4.2. शाम 5 बजे इसलिए ताकि पोस्ट ऑफिस के स्टाफ को इससे अतिरिक्त परेशानी न हो। अमूमन 3 से 5 बजे के बीच लेटर बॉक्स खाली कर लिए जाते है, अब मान लीजिये यदि किसी शहर से 100-200 नागरिक चिट्ठी डालते है तो उन्हें लेटर बॉक्स खाली मिलेगा, वर्ना भरे हुए लेटर बॉक्स में इतनी चिट्ठियां आ नहीं पाएगी जिससे पोस्ट ऑफिस व नागरिको को असुविधा होगी। और इसके बाद पोस्ट मेन 6 बजे पोस्ट बॉक्स खाली कर सकता है, क्योंकि जल्दी ही वे जान जायेंगे कि पीएम को निर्देश भेजने वाले जिम्मेदार नागरिक 5-6 के बीच ही चिट्ठियां डालते है। इससे उन्हें इनकी छंटनी करने में अपना अतिरिक्त वक्त नहीं लगाना पड़ेगा। अत: यदि आप यह चिट्ठी भेजते है तो कृपया 5 बजे से 6 बजे के बीच ही लेटर बॉक्स में डाले। यदि आप 5 तारीख को चिट्ठी नहीं भेज पाते है तो फिर अगले महीने की 5 तारीख को भेजे।
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4.3. आप यह चिट्ठी किसी भी लेटर बॉक्स में डाल सकते है, किन्तु हमारे विचार में यथा संभव इसे शहर या कस्बे के हेड पोस्ट ऑफिस के बॉक्स में ही डाला जाना चाहिए । वजह यह है कि, हेड पोस्ट ऑफिस का लेटर बॉक्स अपेक्षकृत बड़े आकार का होता है, और वहां से पोस्टमेन को चिट्ठियाँ निकालकर ले जाने में ज्यादा दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती ।
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5. यदि आप फेसबुक पर है तो प्रधानमंत्री जी से मेरी मांग नाम से एक एल्बम बनाकर रजिस्टर पर चिपकाए गए पेज की फोटो इस एल्बम में रखें। यदि आप ट्विटर पर है तो मुख्यमंत्री जी एवं प्रधानमंत्री जी को रजिस्टर के पेज की फोटो के साथ यह ट्विट करें :
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" @Pmoindia , कृपया यह क़ानून गेजेट में छापें - #StateJuryCourt , #VoteVapsiPassbook
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6. Pm / Cm को चिट्ठी भेजने वाले नागरिक यदि आपसी संवाद के लिए कोई मीटिंग वगेरह करना चाहते है तो वे स्थानीय स्तर पर महीने के दुसरे रविवार यानी सेकेण्ड सन्डे को सांय 4 बजे मीटिंग कर सकते है। मीटिंग हमेशा सार्वजनिक स्थल पर रखी जानी चाहिए। इसके लिए आप कोई मंदिर या रेलवे-बस स्टेशन के परिसर आदि चुन सकते है। 2nd Sunday के अतिरिक्त अन्य दिनों में कार्यकर्ता निजी स्थलों पर मीटिंग वगेरह रख सकते है, किन्तु महीने के द्वितीय रविवार की मीटिंग सार्वजनिक स्थल पर ही होगी। इस सार्वजनिक मीटिंग का समय भी अपरिवर्तनीय रहेगा।
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7. "अहिंसा मूर्ती महात्मा उधम सिंह जी" से प्रेरित यह एक विकेन्द्रित जन आन्दोलन है। (35) धाराओं का यह ड्राफ्ट ही इस आन्दोलन का नेता है। यदि आप भी यह मांग आगे बढ़ाना चाहते है तो अपने स्तर पर जो भी आप कर सकते है करें। यह कॉपी लेफ्ट प्रपत्र है, और आप इस बुकलेट को अपने स्तर पर छपवाकर नागरिको में बाँट सकते है। इस आन्दोलन के कार्यकर्ता धरने, प्रदर्शन, जाम, मजमे, जुलूस जैसे उन कदमों से बहुधा परहेज करते है जिससे नागरिको को परेशानी होकर समय-श्रम-धन की हानि होती हो। अपनी मांग को स्पष्ट रूप से लिखकर चिट्ठी भेजने से नागरिक अपनी कोई भी मांग Pm तक पहुंचा सकते है। इसके लिए नागरिको को न तो किसी नेता की जरूरत है और न ही मीडिया की।
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8. आप इस ड्राफ्ट के पर्चे छपवाकर नागरिको में भी बाँट सकते है। पर्चे छपवाने के लिए इसका पीडीऍफ़ एवं इस क़ानून ड्राफ्ट का मोबाईल वर्जन डाउनलोड करने के लिए कमेन्ट बोक्स में कमेन्ट देखें।
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