21) सांसद एवं विधायक को वोट वापसी के दायरे में लाने के लिए प्रस्ताव
सांसद एवं विधायक को वोट वापसी के दायरे में लाने के लिए प्रस्ताव
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( Proposed Vote Vapsi Procedure over MP & MLA )
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इस कानून का सार : यह कानून विधायक एवं सांसद को वोट वापसी पासबुक के दायरे में लाने के लिए लिखा गया है। इस क़ानून के आने के बाद यदि आप अपने विधायक / सांसद के काम काज से संतुष्ट नहीं है, और उसे निष्काषित करके किसी अन्य व्यक्ति को लाना चाहते है तो किसी भी दिन अपनी स्वीकृति दर्ज करवा सकेंगे। यह प्रस्ताव “लोक जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951” में संशोधन करेगा एवं संसद से पारित होने के बाद यह क़ानून मौजूदा “लोक जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951” में जुड़ जाएगा।
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यह संशोधन संसद से पास होगा और विधानसभा से पास करके इसे लागू नहीं किया जा सकता है। इस क़ानून में 2 खंड है – खंड-अ सांसद एवं खंड-ब विधायक को वोट वापसी पासबुक के दायरे लाता है। सांसद को वोट वापसी पासबुक के दायरे में लाने के लिए प्रधानमंत्री खंड-अ को एवं विधायक के लिए खंड-ब को पारित कर सकते है। प्रधानमंत्री चाहे तो दोनों खंडो को संसद से पास कर सकते है। #VoteVapsiMP, #RRP21
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अधिकारीयों एवं नागरिकों के लिए निर्देश
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टिप्पणीयां इस क़ानून का हिस्सा नहीं है। नागरिक टिप्पणियों का इस्तेमाल दिशा निर्देशों के लिए कर सकते है
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(1) इस क़ानून के गेजेट में छपने के 30 दिनों के भीतर भारत के प्रत्येक मतदाता को एक वोट वापसी पासबुक मिलेगी। सांसद एवं विधायक इस वोट वापसी पासबुक के दायरे में आयेंगे।
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(2) तब यदि आप अपने सांसद या विधायक के काम-काज से संतुष्ट नहीं है, और उसे निकालकर किसी अन्य व्यक्ति को लाना चाहते है तो पटवारी कार्यालय में अपनी स्वीकृति दर्ज करवा सकते है। आप अपनी हाँ SMS, ATM या मोबाईल APP से भी दर्ज करवा सकेंगे। आप किसी भी दिन अपनी स्वीकृति दे सकते है, या अपनी स्वीकृति रद्द कर सकते है। आपकी स्वीकृति की एंट्री वोट वापसी पासबुक में आएगी। यह स्वीकृति वोट नही है। बल्कि यह एक सुझाव है ।
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(3) यदि आपका नाम जिले की वोटर लिस्ट में है और आप इस क़ानून की किसी धारा में कोई आंशिक या पूर्ण परिवर्तन चाहते है तो अपने जिले के कलेक्टर कार्यालय में इस क़ानून के जनता की आवाज खंड की धारा (13.1) के तहत एक शपथपत्र प्रस्तुत कर सकते है। कलेक्टर 20 रू प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर शपथपत्र स्वीकार करेगा और इसे प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर स्कैन करके रखेगा, ताकि कोई भी व्यक्ति इसे बिना लॉग-इन के देख सके।
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खंड अ ; सांसद की उम्मीदवारी के लिए आवेदन
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(4) किसी संसदीय क्षेत्र में आम चुनाव या उप चुनाव के नतीजे घोषित होने के 7 दिवस पश्चात् भारत के किसी भी क्षेत्र में निवास करने वाला कोई भी मतदाता जिला कलेक्टर कार्यालय में व्यक्तिशः रूप से उपस्थित होकर स्वयं को लोकसभा सांसद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करता है, तो जिला कलेक्टर सांसद का चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक तय राशि जमा करके उसके नामांकन को स्वीकार करेगा।
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(4.01) उम्मीदवार द्वारा प्रस्तुत किये गए नामांकन प्रपत्र का प्रारूप अनिवार्य रूप से लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले नामांकन प्रपत्र के सदृश होगा। उम्मीदवार को उन सभी अर्हताओ को पूरा करना होगा जो लोकसभा सदस्य का उम्मीदवार होने के लिए चुनाव आयोग द्वारा तय की गयी है। जिला कलेक्टर अगले 7 दिनों की अवधि के भीतर प्रस्तुत नामांकन की जांच करके इसे स्वीकार या खारिज करेगा।
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(4.02) यदि नामांकन ख़ारिज हो जाता है तो 1000 रूपये की कटौती करके उम्मीदवार द्वारा जमा की गयी शेष राशि उम्मीदवार को पुनः लौटा दी जायेगी। यदि उम्मीदवार अपना नामांकन फिर से प्रस्तुत करना चाहता है तो वह पुनः ऐसा कर सकता है।
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(4.03) फॉर्म स्वीकार होने के बाद जिला कलेक्टर उम्मीदवार को एक क्रमांक जारी करेगा तथा उसका नाम व अन्य सम्बंधित विवरण चुनाव आयोग की वेबसाइट पर रखेगा।
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(4.04) जिला कलेक्टर वर्तमान सांसद तथा पिछले चुनावों में सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले 5 उम्मीदवारों को बिना कोई शुल्क एवं आवेदन पत्र लिए पंजीकृत करेगा। वर्तमान सांसद का वरीयता क्रमांक 1 तथा अन्य 5 उम्मीदवारों के क्रमांक पिछले चुनाव में उनके द्वारा प्राप्त मतों के अनुसार होंगे। अधिक मत प्राप्त उम्मीदवार को उच्च क्रमांक एवं कम मत प्राप्त उम्मीदवार को निम्न क्रम दिया जाएगा।
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(4.05) वर्तमान सांसद और अन्य उम्मीदवारों की स्वीकृतियों की संख्या आम चुनाव, उपचुनाव, रिकॉल चुनाव एवं उम्मीदवारों के पंजीकृत होने के बाद शून्य कर दी जायेगी। (स्वीकृतियो की प्रक्रिया के लिए धारा 5 देखें)
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(4.06) जब भी कोई प्रत्याशी अपना आवेदन प्रस्तुत करेगा तब या उसका नामांकन स्वीकृत होने के बाद अन्य किसी भी दिन अमुक प्रत्याशी किसी राजनैतिक पार्टी से सम्बद्धता घोषित करने वाला फॉर्म जमा कर सकेगा। पार्टी से सम्बद्धता दर्शाने वाले फॉर्म प्रस्तुत करने की कोई समय सीमा नहीं होगी।
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(4.07) जब कोई प्रत्याशी पार्टी से सम्बद्धता घोषित करने वाला फॉर्म प्रस्तुत करेगा तो स्वयं कलेक्टर कार्यालय में उपस्थित होगा। यदि प्रत्याशी सांसद का उम्मीदवार है तो पार्टी से सम्बद्धता घोषित करने वाला फॉर्म पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष या राष्ट्रिय महासचिव द्वारा हस्ताक्षरित होना आवश्यक होगा। यदि प्रत्याशी विधायक का उम्मीदवार है, तो फॉर्म पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष या राष्ट्रिय महासचिव अथवा राज्य इकाई अध्यक्ष या राज्य के महासचिव द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए।
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(4.08) कलेक्टर द्वारा तय किये गए फॉर्म का इस्तेमाल करके कोई राजनैतिक पार्टी किसी भी दिन किसी प्रत्याशी से अपनी असम्बद्धता घोषित कर सकती है। किन्तु इस स्थिति में प्रत्याशी की स्वीकृतियों की संख्या को बदला नहीं जाएगा।
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(4.09) कलेक्टर द्वारा तय किये गए फॉर्म का इस्तेमाल करके कोई भी प्रत्याशी किसी भी दिन राजनैतिक पार्टी से अपनी असम्बद्धता घोषित कर सकता है। इस स्थिति में प्रत्याशी की स्वीकृतियों की संख्या को शून्य कर दिया जाएगा।
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(4.10) यदि कोई प्रत्याशी किसी पार्टी से सम्बद्ध है तो जब तक वह अमुक पार्टी से अपनी असम्बद्धता घोषित न करे, तब तक वह अन्य किसी पार्टी से अपनी सम्बद्धता घोषित नहीं कर सकेगा।
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(4.11) यदि किसी राजनैतिक पार्ट से असम्बद्ध प्रत्याशी किसी पार्टी की सम्बद्धता घोषित करता है तो उसकी स्वीकृतियों की संख्या में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
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(4.12) रिकॉल पोल घोषित होने के बाद किसी प्रत्याशी एवं पार्टी के बीच सम्बद्धता में कोई बदलाव नहीं हो सकेगा।
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(4.13) आवेदन करते समय या आवेदन करने के बाद भी कोई प्रत्याशी उपलब्ध चुनाव चिन्हों में से कोई 5 चिन्ह अपनी वरीयता के अनुसार चुन कर सकेगा। किन्तु स्वीकृतियों की प्रक्रिया में चिन्हों का प्रयोग नहीं किया जाएगा। चिन्हों का इस्तेमाल सिर्फ रिकॉल पोल के दौरान ही होगा। 1000 रू शुल्क देकर प्रत्याशी किसी भी दिन अपने द्वारा चुने हुए चुनाव चिन्हों में बदलाव कर सकता है।
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मतदाता द्वारा उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए हाँ दर्ज करना :
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(5) जिले का कोई भी नागरिक किसी भी दिन अपनी वोट वापसी पासबुक या मतदाता पहचान पत्र के साथ पटवारी कार्यालय में जाकर किसी भी प्रत्याशी के समर्थन में हाँ दर्ज करवा सकेगा। पटवारी अपने कम्प्यूटर एवं वोट वापसी पासबुक में मतदाता की हाँ को दर्ज करके रसीद देगा। पटवारी मतदाताओं की हाँ को प्रत्याशीयों के नाम एवं मतदाता की पहचान-पत्र संख्या के साथ जिले की वेबसाईट पर भी रखेगा , ताकि कोई भी नागरिक इसे देख सके । मतदाता किसी पद के प्रत्याशीयों में से अपनी पसंद के अधिकतम 5 व्यक्तियों को स्वीकृत कर सकता है।
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(5.1) स्वीकृति ( हाँ ) दर्ज करने के लिए मतदाता 3 रूपये फ़ीस देगा। BPL कार्ड धारक के लिए फ़ीस 1 रू होगी
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(5.2) यदि मतदाता अपनी स्वीकृती रद्द करवाने आता है तो पटवारी एक या अधिक नामों को बिना कोई फ़ीस लिए रद्द कर देगा। SMS द्वारा स्वीकृति दर्ज करने पर सभी मतदाताओ के लिए शुल्क 50 पैसा रहेगा।
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(5.3) हर महीने की 5 तारीख को कलेक्टर पिछले महीने के अंतिम दिन तक प्राप्त प्रत्येक प्रत्याशी को मिली स्वीकृतियों की गिनती प्रकाशित करेगा। पटवारी अपनी स्वीकृतियो का प्रदर्शन प्रत्येक सोमवार को करेगा।
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(5.4) नए मतदाता जिन्हें मतदाता सूची में पिछले आम चुनाव, या उपचुनाव या रिकॉल पोल संपन्न होने के बाद पंजीकृत किया गया है स्वीकृति नहीं दे सकेंगे।
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[ टिपण्णी : कलेक्टर ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता स्वीकृति SMS, ATM, मोबाईल APP द्वारा दर्ज करवा सके।
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रेंज वोटिंग के लिए अबाध्यकारी निर्देश - प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता किसी प्रत्याशी को -100 से 100 के बीच अंक दे सके। यदि मतदाता सिर्फ हाँ दर्ज करता है तो इसे 100 अंको के बराबर माना जाएगा। यदि मतदाता अपनी स्वीकृति दर्ज नही करता तो इसे शून्य अंक माना जाएगा । किन्तु यदि मतदाता अंक देता है तो दिए गए अंक ही मान्य होंगे, एवं प्रत्याशी द्वारा प्राप्त अंको को ही प्रत्याशी के कुल अंको की संख्या माना जाएगा। वर्तमान सांसद के कुल अंको की मान्य संख्या दी गयी दोनों संख्याओ में से उच्च अंक वाली संख्या को माना जाएगा :
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1. वर्तमान सांसद को प्राप्त कुल मत * 67,
2. चुनाव के बाद वर्तमान सांसद द्वारा प्राप्त अंक।
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रिकॉल पोल तब आयोजित किया जाएगा जब किसी उम्मीदवार के कुल अंको की संख्या ( वर्तमान सांसद के कुल अंको की संख्या + अमुक संसदीय क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या * 100 / 10 ) के बराबर हो। इस विधेयक की धारा 12 का उपयोग करते हुए यदि देश के कुल मतदाताओं के 51% नागरिक यदि इस व्यवस्था को लागू करने के "हाँ" दर्ज कर देते है तो इस प्रणाली को लागू किया जा सकेगा। रेंज वोटिंग की ये प्रक्रिया स्वीकृति प्रणाली से बेहतर है, और ऐरो की व्यर्थ असम्भाव्यता प्रमेय (Arrow’s Useless Impossibility Theorem) से प्रतिरक्षा प्रदान करती है। ]
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Term for Recall Poll over MP ; सांसद का रिकॉल पोल करवाने के लिए आवश्यक शर्त
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(6) यदि किसी उम्मीदवार को इतनी स्वीकृतियां मिल जाती हैं जो कि:
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(6.1) वर्तमान सांसद को प्राप्त स्वीकृतियों से अधिक हो, तथा
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6.2a. यह स्वीकृतियां वर्तमान सांसद को पिछले चुनावो में प्राप्त होने वाले मतो से अधिक हो तथा यह आधिक्य उस संसदीय क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 5% के बराबर हो। अथवा
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6.2b. यह स्वीकृतियॉं अमुक लोकसभा की मतदाता सूची में दर्ज कुल मतदाताओ के 51% से अधिक हो।
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यदि सांसद पद का कोई प्रत्याशी ऊपर दी गयी शर्तें पूरी कर लेता है तो 2 सप्ताह के भीतर लोकसभा स्पीकर चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर अमुक लोकसभा क्षेत्र में रिकॉल इलेक्शन आयोजित कराने के लिए कहेंगे। स्पीकर से चिट्ठी प्राप्त होने के 2 सप्ताह के भीतर चुनाव आयोग अमुक लोकसभा क्षेत्र में रिकॉल पोल आयोजित करेगा।
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धारा 6 के लिए स्पष्टीकरण :
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(C6.1) रिकॉल-पोल करवाने के लिए धारा [ (6.1) और (6.2a) या (6.2b) ] की शर्त पूरी होनी चाहिए। यह जरुरी होगा कि धारा (6.1) में दी गयी शर्त पूरी हो तथा धारा (6.2a) या (6.2b) में से किसी एक धारा में दी गयी शर्त पूरी हो।
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(C6.2) धारा (6.2a) में दिए गए 5% से आशय उस संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 5% से है। उदाहरण के लिए, यदि किसी संसदीय क्षेत्र में कुल मतदाताओ की संख्या 20 लाख है तो वर्तमान सांसद को प्राप्त हुए मतों की संख्या से उदासीन रहते हुए यह संख्या 1 लाख होगी।
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(C6.3) मान लीजिये किसी संसदीय क्षेत्र में कुल दर्ज मतदाताओ की संख्या 20 लाख है, तथा वर्तमान विजित सांसद को पिछले आम चुनाव में या उप चुनाव में 360,000 मत मिले है।
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(C.6.3.1) अतः यदि किसी उम्मीदवार को कम से कम उतनी स्वीकृतियां प्राप्त होती है जो कि उस संसदीय क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ के 5% ( 20,00,000 का 5% = 100,000 ) यानि वर्तमान सांसद को प्राप्त वोटो से 100,000 अधिक है एवं वर्तमान सांसद को प्राप्त स्वीकृतियों से भी अधिक है, सिर्फ तब ही रिकॉल-पोल होगा।
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(C6.3.2) मान लीजिये किसी उम्मीदवार को 500,000 स्वीकृतियां प्राप्त होती है, किन्तु वर्तमान सांसद की स्वीकृतियों की संख्या यदि 510,000 है तो इस परिस्थिति में रिकॉल-पोल संचालित नहीं किया जाएगा।
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(C6.4) मान लीजिये किसी संसदीय क्षेत्र में 20,00,000 मतदाता है। मान लीजिये कि पिछले आम चुनाव या उप चुनाव में विजित सांसद को 12,00,000 मत मिले है। इस स्थिति में रिकॉल-पोल सिर्फ तब आयोजित किया जाएगा जब किसी उम्मीदवार को अमुक संसदीय क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ के 51% से अधिक ( अभिप्राय 51% * 20,00,000 ) यानि कि 10,20,001 स्वीकृतियां मिले। तथा यह स्वीकृतियां वर्तमान सांसद को प्राप्त स्वीकृतियों से भी अधिक हो।
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(7) यदि धारा (6) में बतायी शर्तें पूरी हो जाती है, तो रिकॉल-पोल होगा। रिकॉल-पोल के दौरान वर्तमान सांसद के नाम को मतपत्र ( या EVM ) में पहले स्थान पर रखा जाएगा, तथा उसे नामांकन पत्र दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होगी। जिन 7 व्यक्तियों को सर्वाधिक स्वीकृतियां मिली है और जिन व्यक्तियों को प्राप्त स्वीकृतियों की संख्या कुल मतदाताओ की संख्या के 5% से अधिक है, तो उनके नाम भी रिकॉल-पोल के मतपत्र में रखे जाएंगे, तथा इन्हें भी नामांकन पत्र दाखिल करने की जरूरत नहीं होगी। इनके अतिरिक्त यदि अन्य कोई व्यक्ति उम्मीदवारी प्रस्तुत करना चाहता है वह चुनाव आयोग के समक्ष नामांकन प्रस्तुत कर सकता है। रिकॉल-पोल में मतदान गोपनीय होगा।
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(7.1) जिन पार्टियों को चुनाव आयोग द्वारा स्थायी चिन्ह आवंटित किये गए है, उनसे सम्बद्ध प्रत्याशी पार्टी के चिन्ह का ही इस्तेमाल कर सकेंगे।
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(7.2) कलेक्टर चुनाव चिन्हों का आवंटन करते समय उन प्रत्याशियों को क्रमिक रूप से वरीयता देगा जिन्हें ज्यादा स्वीकृतियां प्राप्त हुयी है।
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(7.3) यदि किसी प्रत्याशी के पास चुनाव चिन्ह नहीं है तो कलेक्टर चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित सूची में उपलब्ध सबसे ऊपर वाले क्रम में रखा गया चुनाव चिन्ह उसे आवंटित करेगा।
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Recall Poll Procedure for MP : सांसद के लिए रिकॉल-पोल की प्रक्रिया
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(8) यदि रिकॉल-पोल में कोई प्रत्याशी निचे दी गयी शर्तें पूरी कर लेता है तो अमुक प्रत्याशी सांसद बन जाएगा :
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(8.1) किसी प्रत्याशी को प्राप्त मत वर्तमान सांसद को प्राप्त होने वाले मतों की संख्या से अधिक हो, तथा
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(8.2a) किसी प्रत्याशी को प्राप्त मत वर्तमान सांसद को पिछले चुनावो में प्राप्त होने वाले मतो की संख्या से अधिक हो एवं यह आधिक्य उस संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 5% के बराबर हो। अथवा
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(8.2b) किसी प्रत्याशी को प्राप्त मत उस संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 51% से अधिक हो।
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सिर्फ और सिर्फ इसी स्थिति में चुनाव आयोग एवं लोकसभा अध्यक्ष वर्तमान सांसद को सेवा मुक्त करके नए विजित व्यक्ति को सांसद घोषित करेगा। यदि उपरोक्त दोनों शर्तें पूरी नहीं होती है तो वर्तमान सांसद पद पर बना रहेगा।
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धारा 8 के लिए स्पष्टीकरण :
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(C8.1) मान लीजिये कि किसी लोकसभा क्षेत्र में कुल 20,00,000 पंजीकृत मतदाता है, तथा पिछले आम चुनाव या उपचुनाव में कुल 12,00,000 मतों का मतदान हुआ एवं विजित सांसद को इसमें से 700,000 मत प्राप्त हुए। अब यदि रिकॉल-पोल आयोजित किया जाता है तो वर्तमान सांसद को नए उम्मीदवार से सिर्फ तब बदला जा सकेगा जब नए उम्मीदवार को वर्तमान सांसद से अधिक मत मिले हो तथा उम्मीदवार को प्राप्त मतों की यह संख्या वर्तमान सांसद को पिछले चुनावों में मिले मतों की संख्या ( 700,000 + 20,00,000 का 5% = 800,000 ) से अधिक हो।
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(C8.2) मान लीजिये कि किसी लोकसभा क्षेत्र में कुल 20,00,000 पंजीकृत मतदाता है, तथा पिछले आम चुनाव या उपचुनाव में विजित सांसद को इसमें से 11,00,000 मत प्राप्त हुए है। अब यदि रिकॉल-पोल आयोजित किया जाता है तो वर्तमान सांसद को नए उम्मीदवार से सिर्फ तब बदला जा सकेगा जब नए उम्मीदवार को वर्तमान सांसद से अधिक मत मिले हो तथा उम्मीदवार को प्राप्त मतों की यह संख्या उस संसदीय क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 51% ( 20,00,000 का 51% = 10,20,000 ) यानि 10,20,000 से अधिक हो।
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(C8.3) मान लीजिये कि किसी लोकसभा क्षेत्र में कुल 20,00,000 पंजीकृत मतदाता है, तथा पिछले आम चुनाव या उपचुनाव में विजित सांसद को इसमें से 9,50,000 मत प्राप्त हुए है। अब यदि रिकॉल-पोल आयोजित किया जाता है तो वर्तमान सांसद को नए उम्मीदवार से सिर्फ तब बदला जा सकेगा जब नए उम्मीदवार को वर्तमान सांसद से अधिक मत मिले हो तथा उम्मीदवार को प्राप्त मतों की यह संख्या उस संसदीय क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 51% ( 20,00,000 का 51% = 10,20,000 ) यानि 10,20,000 से अधिक हो।
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(9) रिकॉल-पोल संपन्न होने के बाद इस तथ्य से निरपेक्ष रहते हुए कि रिकॉल सफल रहा है या असफल, सभी उम्मीदवारों की स्वीकृतियों को शून्य कर दिया जायेगा।
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(9.1) विद्यमान उम्मीदवारों को नामांकन प्रपत्र दाखिल करने की जरूरत नहीं होगी।
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(9.2) नए मतदाता जिन्हें मतदाता सूची में पिछले आम चुनाव, या उपचुनाव या रिकॉल चुनाव संपन्न होने के बाद पंजीकृत किया गया है, मतदान नहीं कर सकेंगे।
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खंड ब ; विधायक की उम्मीदवारी के लिए आवेदन
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(10) किसी विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव या उप चुनाव के नतीजे घोषित होने के 7 दिवस पश्चात् अमुक विधानसभा क्षेत्र का कोई भी मतदाता जिला कलेक्टर कार्यालय में व्यक्तिशः रूप से उपस्थित होकर स्वयं को विधायक के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करता है, तो जिला कलेक्टर विधायक का चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक तय राशि जमा करके उसके नामांकन को स्वीकार करेगा।
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(10.1) उम्मीदवार द्वारा प्रस्तुत किये गए नामांकन प्रपत्र का प्रारूप अनिवार्य रूप से विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले नामांकन प्रपत्र के सदृश होगा। उम्मीदवार को उन सभी अर्हताओ को पूरा करना होगा जो विधानसभा सदस्य का प्रत्याशी होने के लिए चुनाव आयोग द्वारा तय की गयी है। जिला कलेक्टर अगले 7 दिनों के भीतर प्रस्तुत नामांकन की जांच करके इसे स्वीकार या खारिज करेगा।
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(10.2) जिला कलेक्टर वर्तमान विधायक तथा पिछले चुनावों में सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले 5 प्रत्याशियों को बिना कोई शुल्क एवं आवेदन पत्र लिए पंजीकृत करेगा। वर्तमान विधायक का वरीयता क्रमांक 1 तथा अन्य 5 उम्मीदवारों के क्रमांक पिछले चुनाव में उनके द्वारा प्राप्त मतों के अनुसार वरीयता क्रम से होंगे। अधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को उच्च क्रमांक एवं कम मत प्राप्त उम्मीदवार को निम्न क्रम दिया जाएगा।
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(10.3) वर्तमान विधायक और अन्य उम्मीदवारों की स्वीकृतियों की संख्या विधानसभा चुनाव, उपचुनाव, रिकॉल चुनाव एवं उम्मीदवारों के पंजीकृत होने के बाद शून्य कर दी जायेगी।
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Term for Recall Poll over MLA ; विधायक का रिकॉल पोल करवाने के लिए आवश्यक शर्त
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(11) यदि किसी उम्मीदवार को इतनी स्वीकृतियां मिल जाती हैं जो कि:
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(11.1) वर्तमान विधायक को प्राप्त स्वीकृतियों से अधिक हो तथा
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(11.2a) यह स्वीकृतियां वर्तमान विधायक को पिछले चुनावो में प्राप्त होने वाले मतो से अधिक हो तथा यह आधिक्य उस विधानसभा क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 10% के बराबर हो। अथवा
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(11.2b) यह स्वीकृतियॉं अमुक विधानसभा की मतदाता सूची में दर्ज कुल मतदाताओ के 51% से अधिक हो।
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यदि विधायक पद का कोई प्रत्याशी ऊपर दी गयी शर्तें पूरी कर लेता है तो तो 2 सप्ताह के भीतर विधानसभा स्पीकर चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर अमुक विधानसभा क्षेत्र में रिकॉल इलेक्शन आयोजित कराने के लिए कहेंगे। स्पीकर से चिट्ठी प्राप्त होने के 2 सप्ताह के भीतर चुनाव आयोग अमुक विधानसभा क्षेत्र में रिकॉल पोल आयोजित करेगा।
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धारा 11 का स्पष्टीकरण :
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(C11.3) मान लीजिये कि किसी विधानसभा क्षेत्र में कुल दर्ज मतदाताओ की संख्या 3 लाख है, तथा वर्तमान विजित विधायक को पिछले आम चुनाव में या उप चुनाव में 100,000 मत मिले है।
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(C11.3.1) अतः यदि किसी उम्मीदवार को कम से कम उतनी स्वीकृतियां प्राप्त होती है जो कि उस विधानसभा क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ के 10% ( आशय 3,00,000 का 10% ) यानि कि वर्तमान विधायक को प्राप्त वोटो से 30,000 अधिक ( 100,000 + 30,000 = 130,000 ) यानि 130,000 है, और वर्तमान विधायक को प्राप्त स्वीकृतियों से भी अधिक है, तो रिकॉल-पोल आयोजित किया जाएगा।
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(C11.3.2) यदि वर्तमान विधायक की स्वीकृतियों की संख्या शून्य है, ऐसी स्थिति में भी रिकॉल पोल तब कराया जाएगा जबकि किसी उमीदवार को कम से कम 130,000 स्वीकृतियां मिले।
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(C11.3.3) मान लीजिये, किसी उम्मीदवार को 145,000 स्वीकृतियां प्राप्त होती है, किन्तु वर्तमान विधायक की स्वीकृतियों की संख्या यदि 145,001 है तो रिकॉल-पोल नहीं किया होगा।
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(C11.4) यदि किसी विधानसभा में 300,000 मतदाता है और पिछले चुनाव में विजित विधायक को 170,000 मत मिले थे तो रिकॉल-पोल तब होगा जब किसी प्रत्याशी को अमुक विधानसभा में दर्ज कुल मतदाताओ के 51% से अधिक 51% *300,000=153,001 स्वीकृतियां मिली हो, तथा ये स्वीकृतियां मौजूदा विधायक की स्वीकृतियों से भी अधिक हो।
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Recall Poll Procedure for MLA : विधायक के लिए रिकॉल-पोल की प्रक्रिया
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(12) यदि रिकॉल-पोल में कोई प्रत्याशी निचे दी गयी शर्तें पूरी कर लेता है तो अमुक प्रत्याशी विधायक बन जाएगा
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(12.1) प्रत्याशी को प्राप्त मत वर्तमान विधायक को प्राप्त होने वाले मतों की संख्या से अधिक हो, तथा
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(12.2a) प्रत्याशी को प्राप्त मत वर्तमान विधायक को पिछले चुनावो में प्राप्त होने वाले मतो की संख्या से अधिक हो एवं यह आधिक्य उस विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 5% के बराबर हो। अथवा
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(12.2b) प्रत्याशी को प्राप्त मत उस विधानसभा की मतदाता सूची में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 51% से अधिक हो।
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सिर्फ और सिर्फ इसी परिस्थिति में चुनाव आयोग एवं लोकसभा अध्यक्ष वर्तमान सांसद को सेवा मुक्त करके विजित उम्मीदवार को सांसद घोषित करेगा। यदि उपरोक्त शर्तें पूरी नहीं होती है तो वर्तमान सांसद पद पर बना रहेगा।
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धारा 12 का स्पष्टीकरण
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(C12a) मान लीजिये, किसी विधानसभा क्षेत्र में कुल 300,000 पंजीकृत मतदाता है, तथा पिछले विधानसभा चुनाव या उपचुनाव में विजित विधायक को 90,000 मत प्राप्त हुए। अब यदि रिकॉल-पोल आयोजित किया जाता है तो वर्तमान विधायक को नए उम्मीदवार से सिर्फ तब बदला जा सकेगा जब नए उम्मीदवार को वर्तमान विधायक से अधिक मत मिले हो तथा उम्मीदवार को प्राप्त मतों की यह संख्या क्षेत्र के कुल मतदाताओ की संख्या के 10% के बराबर ( 90,000 + 300,000 का 10% = 120,000 ) से अधिक हो।
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(C12b) मान लीजिये, किसी विधानसभा क्षेत्र में कुल 300,000 पंजीकृत मतदाता है, तथा पिछले विधानसभा चुनाव या उपचुनाव में विजित विधायक को इसमें से 160,000 मत प्राप्त हुए है। अब यदि रिकॉल-पोल आयोजित किया जाता है तो वर्तमान विधायक को नए उम्मीदवार से सिर्फ तब बदला जा सकेगा जब नए उम्मीदवार को वर्तमान विधायक से अधिक मत मिले हो तथा उम्मीदवार को प्राप्त मतों की यह संख्या उस क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 51% ( 300,000 का 51% = 153,000 ) से भी अधिक हो।
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(C12c) मान लीजिये, किसी विधानसभा क्षेत्र में कुल 300,000 पंजीकृत मतदाता है, तथा पिछले विधानसभा चुनाव या उपचुनाव में विजित विधायक को इसमें से 145,000 मत प्राप्त हुए है। अब यदि रिकॉल-पोल आयोजित किया जाता है तो वर्तमान विधायक को नए उम्मीदवार से सिर्फ तब बदला जा सकेगा जब नए उम्मीदवार को वर्तमान विधायक से अधिक मत मिले हो तथा उम्मीदवार को प्राप्त मतों की यह संख्या उस विधानसभा क्षेत्र में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 51% ( 300,000 का 51% = 153,000 ) से अधिक हो।
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(13) जनता की आवाज :
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(13.1) यदि कोई मतदाता इस कानून में कोई परिवर्तन चाहता है या किसी मांग, सुझाव आदि के रूप में अर्जी देना चाहता है तो वह कलेक्टर कार्यालय में एक एफिडेविट जमा करवा सकेगा। जिला कलेक्टर 20 रूपए प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर एफिडेविट को मतदाता के वोटर आई.डी नंबर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन करके रखेगा।
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(13.2) यदि कोई मतदाता धारा (13.1) के तहत प्रस्तुत किसी एफिडेविट पर अपना समर्थन दर्ज कराना चाहे तो वह पटवारी कार्यालय में 3 रूपए का शुल्क देकर अपनी हां / ना दर्ज करवा सकता है। पटवारी इसे दर्ज करेगा और हाँ / ना को मतदाता के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।
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[ टिपण्णी : यह क़ानून लागू होने के 4 वर्ष बाद यदि व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आते है तो इस कानून की धारा (13.1) के तहत एक शपथपत्र दिया जा सकेगा, जिसमे उन कार्यकर्ताओ को सांत्वना के रूप में वाजिब प्रतिफल देने का प्रस्ताव होगा, जिन्होंने इस क़ानून को लागू करवाने के प्रयास किये है। कार्यकर्ता के जीवित नही होने पर प्रतिफल उसके नोमिनी को दिया जाएगा। यह प्रतिफल किसी स्मृति चिन्ह / प्रशस्ति पत्र या अन्य किसी रूप में हो सकता है। यदि 51% नागरिक इस शपथपत्र पर हाँ दर्ज कर देते है तो प्रधानमंत्री इन्हें लागू करने के आदेश जारी कर सकते है। ]
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